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Baahubali 2 Rana Daggubati Blind From One Eye

Rana Bhahubali 2


हाल ही में बॉक्स ऑफिस पर उतरी ‘बाहुबली 2’ बड़े परदे पर धमाल मचा रही है। रिलीज के पहले ही दिन 121 करोड़ रुपये कमा कर फिल्म ने इतिहास बना दिया है। यह फिल्म एक के बाद एक कई रिकॉर्ड तोड़ रही है।




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इस फिल्म में न केवल एस.एस. राजामौली और बाहुबली की भूमिका निभाने वाले प्रभास को प्रसिद्धि दी, बल्कि भल्लाल देव का किरदार निभाने वाले राणा दग्गुबाती के अभिनय की भी हर कोई तारीफ़ कर रहा है।


Rana Bhahubali 2


लेकिन क्या आपको पता है कि राणा दग्गुबाती अपनी दाएं आंख से देख नहीं सकते। जी हां, उन्होंने खुद इस बात का खुलासा एक तेलुगु चैट शो के दौरान किया। शो के दौरान राणा ने बताया-




“क्या मैं आप लोगों को एक बात बताऊं? मैं दाएं आंख से देख नहीं सकता। मैं सिर्फ अपने बाएं आंख से देखता हूं। अगर मैं अपना बायां आंख बंद कर लूं तो मुझे कुछ दिखाई नहीं देगा।”




उन्होंने आगे बताया कि उन्हें दायां आंख बचपन में किसी ने डोनेट किया था।लेकिन उसमें रोशनी कभी नहीं रही।



राणा ने कहा कि नहीं देख पाने के कारण किसी को अपनी जिंदगी किसी डर में नहीं बितानी चाहिए। अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखनी चाहिए।




सोर्स:टॉपयपस
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Who Slapped Virat Kohli Reveals his Biography

 

 विराट कोहली ने किससे थप्पड़ खाए? बचपन में उनका फेवरेट शॉट क्या था? ट्रेनिंग के पहले दिन किस चीज को देख कोच हैरान रह गए थे? कामयाब होने के बाद उन्होंने अपने कोच को क्या गिफ्ट दिया? विराट कोहली के जबरा फैन लोग खुश हो जाएं. उनकी जिंदगी पर नई किताब आई  थी , जिसमें ऐसे सैकड़ों सवालों के जवाब आपको मिले. नाम है, ‘ड्रिवेन: द विराट कोहली स्टोरी’. इसे लिखा है सीनियर खेल पत्रकार विजय लोकापल्ली ने और छापा है ‘ब्लूम्सबरी इंडिया’ ने. इस किताब एक हिस्सा आप पढ़ रहे हैं.


1. गुरु को गिफ्ट

राजकुमार शर्मा के लिए ‘टीचर्स डे’ का मतलब था, अपने बच्चों अविरल और सुहानी से उनके स्कूली किस्से सुनना. लेकिन 2014 की उस सुबह ने इस दिन को यादगार बना दिया. शुक्रिया, उनके लाडले चेले का.


‘दरवाजे की घंटी बजी. मैंने खोला तो विकास (विराट का भाई) खड़ा था.’ राजकुमार जानते थे कि विराट एक फोटोशूट के लिए अमेरिका में है. इतनी सुबह-सुबह उसके भाई के आने से वो एकबारगी फिक्रमंद हो गए थे. विकास ने भी क्रिकेट के सपने देखे थे, लेकिन वो क्लब क्रिकेट से आगे नहीं जा सका. राजकुमार कहते हैं, ‘मैं दोनों भाइयों में फर्क नहीं करता, लेकिन सच यही है कि विराट कई मील आगे था.’


Driven - The Virat Kholi Story
किताब का कवर पेज

विकास घर में आया और अपने फोन से एक नंबर डायल किया. ‘हैपी टीचर्स डे सर.’ उधर से विराट की आवाज थी. ठीक इसी वक्त विकास ने राजकुमार की मुट्ठी में कुछ फंसा दिया. ये चाभियों का एक गुच्छा था. राजकुमार हैरान थे. विकास ने उनसे घर के बाहर चलने को कहा. वहां एक चमकती हुई स्कोडा रैपिड कार खड़ी हुई थी. ये विराट कोहली का अपने गुरु को गिफ्ट था.



राजकुमार कहते हैं, ‘गिफ्ट बहुत अच्छा था, लेकिन मैं उसके स्टाइल और तरीके पर बिछ गया. उसकी भावुकता देखिए. विराट की विनम्रता और बड़ों के लिए सम्मान से मैं आश्वस्त हो गया. इसलिए नहीं कि उसने मुझे कार गिफ्ट की. इस पूरे प्रोसेस में उसका इमोशनल टच था, ये याद दिलाने के लिए कि उसने हमारे रिश्ते को कैसे संजोया है और जिंदगी में टीचर के रोल की कद्र की है.’



2. कोचिंग का पहला दिन

राजकुमार के मुताबिक, ‘छुटपन में कोचिंग के समय विराट चोरी से सीनियर्स के ग्रुप में घुस जाता था. मैं हर बार उसे डांटता था. मैं उसके लिए तब से फिक्रमंद हूं, जब वो 10 साल का भी नहीं था. लेकिन उसके पास हिम्मत और विलपावर थी, अपने से बड़े प्लेयर्स के साथ खेलने की.’ पहले दिन बाउंड्री के पास से उसका तेजतर्रार थ्रो, सीधा विकेटकीपर के दस्तानों में गया. 9 साल के इस बच्चे के बाजुओं की ताकत देख राजकुमार हैरान रह गए.


Kohli rajkumar
राजकुमार शर्मा के साथ विराट.

राजकुमार बताते हैं कि विराट हमेशा अपने से ज्यादा उम्र के खिलाड़ियों के साथ खेलना चाहता था. वो कहता था, ‘मैं उनसे बेटर कर सकता हूं.’ ऐसा उसने करके भी दिखाया. वो खेल के हर फील्ड में घुसना चाहता था. उसे इस सबसे दूर रखना मुश्किल था. वो बैटिंग, बोलिंग और सारी पोजीशन पर फील्डिंग करना चाहता था. मुझ पर विराट को प्रमोट करने के आरोप भी लगे, लेकिन यकीन करिए मुझे आराम से बैठकर बस उसे प्रोग्रेस करते और लोगों को गलत साबित करते हुए देखना था.



3. ‘सर, सीनियर्स के साथ खेलना है, ये बच्चे मुझे आउट नहीं कर पाते’

राजकुमार को बखूबी याद है. वेस्ट दिल्ली क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन का पहला दिन था. सैकड़ों बच्चों आए थे. उनमें 9 साल का ये गोलू-मोलू भी अपने पापा का हाथ थामे पहुंचा था. राजकुमार ने बच्चों को दो ग्रुप में बांटा- सीनियर और जूनियर. विराट सिर्फ 9 साल का था. 


वो उदासीन कदमों से सीनियर्स की तरफ बढ़ा और उनसे एक-एक करके ‘हेलो’ करने लगा. राजकुमार ने चिल्लाकर कहा, ‘वहां जाओ’ और उसे जूनियर ग्रुप में भेज दिया. पहले दिन से वो लड़का सीनियर्स के साथ ट्रेनिंग लेना चाहता था.


 Virat Kohli


फिर एक दिन विराट एक शिकायत के साथ राजकुमार के पास पहुंचा. ‘मैं सीनियर्स के साथ खेलना चाहता हूं. जूनियर लड़के मुझे आउट नहीं कर पाते.’ राजकुमार ने उसके पैड बंधवाए और सीनियर्स के साथ खिलाने ले गए. वो कहते हैं, ‘वो एक बार भी आउट ऑफ प्लेस नहीं लगा.’



राजकुमार भी अपने दिनों में इतने ही कंपटीटिव थे. वो ऑफ स्पिन फेंकते थे और हमेशा सेट हो चुके बल्लेबाज को आउट करने में आनंद लेते थे.




जब मुथैया मुरलीधर अपने पहले सीजन में थे, राजकुमार दिल्ली में अपना करियर खत्म कर रहे थे. दोनों की अब तक मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन वो राजकुमार को ‘दूसरा’ फेंकते देखते तो जरूर रश्क करते. राजकुमार हंसते हुए कहते हैं, ‘लेकिन मेरी कोहनी 15 डिग्री से ज्यादा नहीं मुड़ती थी.’ राजकुमार मदनलाल की कप्तानी वाली उस दिल्ली टीम में शामिल थे जिसने 1989 में रणजी ट्रॉफी जीती थी.



4. ग़लतियों पर पड़ते थे झन्नाटेदार झापड़

राजकुमार बताते हैं कि विराट को उसकी सीट पर बैठाए रखना बहुत मुश्किल था. अगर दूसरी टीम कम स्कोर पर आउट हो जाती तो वो पहले बैटिंग करने जाना चाहता था. वो कोच से बड़ी मासूमियत से कहता था, ‘मुझे बैटिंग नहीं मिली तो?’ विराट शुरू से नंबर 4 पर बैटिंग करने उतरता था, लेकिन आप उससे कभी भी ओपनिंग करवा सकते थे. आउट होने के बाद भी वो अपने पैड नहीं उतारना चाहता था.


लेकिन विराट जब गलती करता था तो राजकुमार कोई नरमी नहीं बरतते थे. वो बताते हैं, ‘मैं उसे सिर्फ डांटकर ही नहीं रुक जाता था. कई बार झन्नाटेदार थप्पड़ कारगर साबित हुए.’



5. अपने फेवरेट शॉट को लेकर वो ज़िद्दी था

राजकुमार बताते हैं कि फ्लिक विराट का सबसे प्रोडक्टिव शॉट था. वो बड़े आराम से बॉल पिक करता था और बल्ले के सबसे मजबूत हिस्से से छुआकर बॉल को बाउंड्री पर भेज देता था. लेकिन हर बार राजकुमार उसका ये शॉट पसंद नहीं करते थे, ‘ईमानदारी से मुझे विराट का फ्लिक पसंद नहीं था. जब आप अक्रॉस द लाइन फ्लिक करते हैं तो हमेशा रिस्क रहता है. मैं कई बार डांटता था उसे. मैं चाहता था कि वो मि़ड-ऑन पर शॉट खेले और मिडल स्टंप से बॉल न पिक करे. उसने मेहनत की और इस शॉट का मास्टर हो गया.’



Virat Kohli


अंडर-15 में विराट के टीममेट रहे रूशिल बताते हैं कि विराट अपने फ्लिक शॉट में गर्व महसूस करता था. एक बार हमें एक फॉर्म में अपने फेवरेट शॉट लिखकर बताने थे. राजकुमार सर हमेशा सीधे बल्ले से खेले जाने वाले शॉट्स पर ज़ोर देते थे. लेकिन विराट ने अपना फेवरेट शॉट ‘फ्लिक’ ही लिखा और मुझे भी यही लिखने को कहा. हमारे फॉर्म देखने के बाद राजकुमार सर के होठों पर जो स्माइल थी, मुझे आज तक याद है.



6. कोच ने उसे दो शॉट नहीं सिखाए, जान-बूझकर

लेकिन राजकुमार विराट की ‘कवर ड्राइव’ को उसकी ताकत मानते हैं. वो बताते हैं कि विराट को कवर ड्राइव बहुत पसंद थी और वो ये शॉट इतना ज्यादा खेलने लगा था कि विकेट खो देता था. मैंने उसे मना किया. फिर उसको छक्कों की सनक हो गई. फिर वो हवा में शॉट खेलकर आउट होने लगा.



”एक बार मैंने उसे बहुत जोर से डांटा. ये सब तब हुआ, जब वो इंडिया के लिए खेलने लगा था. मैंने उससे कहा कि तू तब तक छक्का ट्राई नहीं करेगा, जब तक फिफ्टी न लगा ले. मैं उसे स्वीप और कट के लिए भी मना करता था. चाहता था कि वो बॉल को करीब से खेले. मैंने उसे ये दोनों शॉट सिखाए ही नहीं, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि वो इन रिस्की शॉट्स में उलझे, जबकि उसके तरकश में कहीं ज्यादा ताकतवर शॉट हैं. मैं बस उसका शॉट-सेलेक्शन दुरुस्त रखना चाहता था. अब वो हर तरह के शॉट में माहिर है.”



अब भी जब चीजें बिगड़ती हैं तो विराट राजकुमार के पास ही जाते हैं. राजकुमार के मुताबिक, ‘मैं उसे जमीन पर रखता हूं, ये याद दिलाते हुए कि आगे लंबा सफर है. रिकॉर्ड तोड़ने से किसी क्रिकेटर को नहीं आंकना चाहिए. उसे कॉन्फिडेंट होना चाहिए, लेकिन ओवर-कॉन्फिडेंट नहीं. अब वो कैप्टन है और मैं उसे कहता हूं कि जो काम वो आसानी से कर सकता है, उसे दूसरों से एक्सपेक्ट न करे. गेम के लिए उसकी सोच और अप्रोच बाकी लोगों से अलग है.’


Rajkumar Sharma
राजकुमार शर्मा


बिलाशक! विराट का सरापा उस थान के कपड़े से नहीं बना है, जो बाकी खिलाड़ी पहनकर मैदान पर उतरते हैं. आप बधाई दीजिए, 2016 को द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता उनके गुरु राजकुमार शर्मा को!


उनके थप्पड़ न होते तो उस लड़के का वैभव विराट न होता.





सोर्स:लल्लनटॉप
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with bahubali 2 release hate mongers are back


 bahubali 2

‘बाहुबली-2’ रिलीज़ हो गई है. जैसा कि अंदाज़ा लगाया जा रहा था बंपर हिट साबित हो रही है. लगता है अगले-पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ के ही दम लेगी. एक रीजनल भाषा की फिल्म के लिए पूरे देशभर में ये दीवानगी अद्भुत है. 


बरसों बाद ऐसा नज़ारा देखने मिल रहा है. लेकिन इसी के साथ फिर से वही स्यापा शुरू हो गया है, जो पहली वाली ‘बाहुबली’ के वक़्त था. बल्कि इस बार नया आयाम भी जोड़ दिया है भाइयों ने.

 


‘कट्टपा ने बाहुबली को क्यों मारा?’ इस सवाल से पूरा भारत पिछले डेढ़-पौने दो सालों से जूझ रहा है. अब जब इसका जवाब मिलने की घड़ी आ गई है, तो कई सारे लोग सोशल मीडिया पर इसके इर्द-गिर्द खेल रहे हैं. कोई सस्पेंस खोलने की धमकी दे रहा है, तो कोई मज़ाक में अजीब-अजीब वजहें बता रहा है. लेकिन क्यूटता की हद तब हो गई जब कुछ मासूम लोग इस मज़ाक को साज़िश बताने लगे हैं. किसी षड्यंत्र की बू सूंघने लगे हैं.


कई जगह पढ़ा कि ‘बाहुबली-2’ का सस्पेंस लोग जानबूझकर लीक कर रहे हैं, ताकि फिल्म फ्लॉप हो जाए. इसे देखने कम लोग पहुंचे. ये एक साज़िश है ताकि किसी ‘हिंदू’ हीरो की फिल्म ख़ानों से ज़्यादा कमाई न कर पाए. हिंदू संस्कृति का प्रचार-प्रसार करती फिल्म को नुकसान हो. मैं हतप्रभ हूं. आती कहां से है इतनी मासूमियत! जनरेट कैसे होती है ये उलूकता?


bahubali 2



जब ‘बाहुबली-1’ आई थी तब भी ऐसी ही बातों से पूरा सोशल मीडिया पाट दिया था भाई लोगों ने. ‘बाहुबली’ वर्सेस ‘पीके’ का मैच करवा दिया था. एक जुमला आम हो गया था उस वक़्त. हिंदू धर्म का अपमान किए बगैर भी कोई फिल्म बनाई जा सकती है. 


करोड़ों रुपए कमा सकती है. ये सीधा पीके पर कटाक्ष था. ‘बाहुबली’ ने कंधे पर शिवलिंग नहीं उठाया था, बल्कि हिंदू संस्कृति को उठा लिया था. जो कि इतनी कमज़ोर थी कि उसे एक फिल्म के अलावा और कोई बचा ही नहीं सकता था.


bahubali  
हिंदू संस्कृति की रक्षा महज़ इस सीन भर से हो गई.


ऐसा ही कुछ-कुछ ‘बजरंगी भाईजान’ के वक़्त भी हुआ था. कुछ मौलवियों ने गुहार लगाई थी कि बजरंगी बने भाईजान को नहीं देखें मुसलमान. वहीं कुछ सनातन प्रेम में सराबोर भाई लोग नारा बुलंद किए थे कि इस ईद पर जय हनुमान का नारा बुलंद करवाना हो तो फिल्म ज़रूर देखें. 



दोनों ही तरफ के लोग बिना कहानी जाने फतवे दे रहे थे. स्क्रीन शॉट नहीं लगा रहे हैं. फेसबुक, ट्विटर पर एक्टिव बंदों का ये सब देखा भाला होगा.
'पीके' के इस सीन से ही शिवजी की इज्ज़त कम हुई थी जिसे 'बाहुबली' ने अपना कंधा दे के फिर से प्रतिस्थापित किया.

 pk amir khan
बताया गया ‘पीके’ के इस सीन से ही शिवजी का अपमान हुआ था, जिसे ‘बाहुबली’ ने अपना कंधा दे के फिर से प्रतिस्थापित किया.



ऐसे वक़्त मैं तल्ख़ होने से बचना चाहता हूं, लेकिन कामयाब नहीं हो पाता. पिछले कुछ सालों से समूचे भारत में एक ट्रेंड सा चल पड़ा है. हर चीज़ को धर्म से जोड़ कर देखा जाने लगा है. फिल्मों के मामले में तो ये और भी बड़े लेवल पर होने लगा है. 



आमिर की फिल्म का बॉयकाट करो, शाहरुख़ की फिल्म मत देखो, बाहुबली के खिलाफ़ साजिश है ये सब बातें ऐसी हैं जिनसे चिढ़ उपजने लगी है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री जो कुछ भी आपको परोसती है उसका विशुद्ध मकसद कारोबार ही होता है. ‘बाहुबली’ हो या ‘पीके’, किसी के पीछे कोई हिडन एजेंडा काम नहीं करता. इतना खलिहर कोई नहीं कि फिल्मों में एजेंडा घुसेड़ता फिरे. ये तो आप-हम हैं जो नफरतों के फ्लैग बेयरर बनने के लिए मरे जाते हैं.




अजीब मुल्क है हमारा. हम आने वाले हजार-पांच सौ सालों में भी एक बेहतर समाज नहीं बनने वाले. पाखण्ड, ढोंग, हिप्पोक्रिसी तो हमारी रग-रग में खून बन कर दौड़ रही है. हम नेताओं पर, रहनुमाओं पर सारा दोष मंढ़ कर खुद को हर तरह के नैतिक दायित्व से मुक्त कर लेते हैं. शायद इससे सुकून की नींद आ जाती होगी. नेता लड़ाते हैं जी हमें! वरना हम तो इतने भले मानस हैं कि धार्मिक/जातीय/आर्थिक आधार पर कभी किसी को नहीं परखते. भक!! हम इतना तंगदिल, तंगनज़र समाज हैं कि हमें नफरतों के दरिया बहाने के लिए किसी मुखिया की रहनुमाई की कतई ज़रूरत नहीं. ये काम हम खुद ही बाखूबी कर लेते हैं.



मनोरंजन के लिए बनाई गई फिल्मों को भी हम नफरतें फैलाने का टूल बना लेते हैं. इतने प्रतिभाशाली मुल्क में जो न हो जाए थोड़ा है! इस अद्वितीय टैलेंट को सलाम है.



सोर्स:लल्लनटॉप
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 last day to complete these three important works

Deadline -  last day to complete these three important works 

नए वित्त वर्ष का पहला महीना खत्म होने में अब सिर्फ एक दिन का समय शेष बचा है। सरकार ने वित्त वर्ष के पहले महीने में ही कुछ जरूरी काम निपटाने के लिए मोहलत दी थी। ऐसे में यह मोहलत 30 अप्रैल को खत्म हो रही है। अगर आपने कल तक कुछ जरूरी काम नहीं निपटाए तो आपको मुश्किल हो सकती है। जानिए 30 अप्रैल तक आपको कौन कौन से काम हर हाल में निपटा ही लेने चाहिए।

 

बैंक खाते को आधार से जोड़ने का आखिरी मौका:

बैंक या दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में अकाउंट खोला है तो आपको 30 अप्रैल तक नो योर कस्टमर (केवाईसी) डिटेल या आधार नंबर देना होगा। ऐसा नहीं करने पर आपका अकाउंट ब्लॉक कर दिया जाएगा। ऐसे में आपके पास यह काम करने के लिए सिर्फ एक दिन का वक्त बचा है। ऐसा नहीं करने पर आपका खाता ब्लॉक भी किया जा सकता है।


 हालांकि, ऐसी सभी खाताधारकों के साथ नहीं होगा, बल्कि जिनके खाते 1 जुलाई 2014 से 31 अगस्त 2015 के बीच खुले हैं, उन्हें ही एफएटीसीए नियमों का पालन करना है। आपको बता दें कि आरबीआई और आयकर विभाग के निर्देशों के मुताबिक बैंक उपभोक्ताओं को अपने खातों को आधार नंबर से लिंक कराना जरूरी कर दिया गया है।


 

सर्विस टैक्स भरने का आखिरी दिन:

केंद्र सरकार ने सर्विस टैक्स भरने वालों को पांच और दिन की मोहलत दे दी है। इस मियाद को बढ़ाकर अब 30 अप्रैल कर दिया गया है। इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट की टॉप पॉलिसी मेकिंग बॉडी ने बताया, “सीबीईसी ने एक अक्टूबर से 31 मार्च 2017 की अवधि के लिए फार्म एसटी-3 जमा करने की तारीख को 25 अप्रैल से बढ़ाकर 30 अप्रैल 2017 कर दिया है।”

 
विभाग की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया कि प्रत्येक पंजीकृत सेवा करदाता को जुर्माने से बचने के लिए निश्चित तारीख से पहले (अर्धवार्षिक आधार पर) फार्म एसटी-3 में सेवा कर रिटर्न फाइल करना होगा। अप्रैल-सितंबर अवधि के लिए अंतिम तारीख 25 अक्टूबर है, जबकि अक्टूबर-मार्च अवधि के लिए यह तारीख 25 अप्रैल है। केंद्रीय उत्पादक एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने बताया कि अंतिम तारीख बढ़ाई जा रही है क्योंकि करदाताओं को 25 अप्रैल तक वेबसाइट को लेकर बीच बीच में परेशानी आ रही थी।



प्रधानमंत्री गरीब कल्याण जमा योजना (पीएमजीकेवाई) के अंतर्गत आखिरी मौका:
 
लोगों को अपनी अघोषित आय का खुलासा करने के लिए एक और मौका दिया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण जमा योजना (पीएमजीकेवाई) की मियाद को बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया है। आपको बता दें कि इस योजना के अंतर्गत जमा किए गए धन पर चाल साल तक ब्याज नहीं दिया जाएगा। 30 अप्रैल तक बढ़ाई गई मियाद बैंकों के लिए भी लागू होगी, ताकि बैंक आरबीआई के ई-कुबेर सिस्टम पर भी डिटेल्स अपलोड कर पाएं।


 
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण जमा योजना के तहत एक खिड़की 17 दिसंबर, 2016 को खोली गई थी। यह उन जमाकर्ताओं के लिए आखिरी मौका था जिन्होंने अपनी अघोषित आय पर टैक्स और जुर्माना नहीं भरा था।



सोर्स:जागरण.कॉम
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know everything about naxalwad and naxalites

naxalwad and naxalites

छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में देश ने अपने 25 जवानों को खो दिया. ऐसा नहीं है कि ये नक्सलियों का पहला हमला था. पिछले कई दशकों में देश ने सैंकड़ों जवानों की शहादत सिर्फ नक्सलवाद के कारण झेली है.


 साल 2010 में 75 जवानों के खून से इन नक्सलियों ने होली खेली थी. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये नक्सलवाद है क्या. इसकी शुरुआत कहां से हुई थी और कौन थे इस पूरी कहानी के पीछे-



1967 में नक्सलबाड़ी से हुई थी शुरुआत

छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र के अलावा देश के कई कोने आज नक्सलवाद से जूझ रहे हैं. नक्सलवाद की शुरुआत पं. बंगाल के एक छोटे से गांव नक्सलबाड़ी से हुई. चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने एक सशस्त्र आंदोलन के तौर पर साल 1967 में इसे जन्म दिया. 


ये दोनों भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता था. मजूमदार, चीनी शासक माओ त्से तुंग का बड़ा फैन बताया जाता है. नक्सलबाड़ी गांव से शुरू हुआ ये किस्सा आज नक्सलवाद के नाम का नासूर बन गया है.



naxalwad and naxalites 
फोटो: ट्विटर/@epicgrams


चारू मजूमदार और कानू सान्याल के विद्रोह की दास्तां

चारू मजूमदार सिलीगुड़ी में पैदा हुआ था. साल 1962 में विद्रोह के कारण उसे जेल भी जाना पड़ा था. जहां उसकी मुलाकात कानू सान्याल से हुई थी. सान्याल का जन्म दार्जिलिंग में हुआ. कानू और मजूमदार का मानना था कि देश में मजदूरों का सरकारी नीतियों और नेताओं के कारण शोषण हो रहा है. इस शोषण को सशस्त्र संघर्ष से ही खत्म किया जा सकता है. जेल से बाहर आने के बाद दोनों ने आंदोलन को व्यापक तौर पर जारी रखा.



1971 के बाद भटक गया आंदोलन

नक्सलबाड़ी गांव में साल 1967 में हुए आंदोलन की अगुवाई कानू सान्याल ने की. बाद में दोनों के कानू और सान्याल के बीच में मतभेद हो गया. साथ ही कम्यूनिस्ट पार्टी में फूट पड़ गई. कई धड़े बन गए. 1972 में मजूमदार की मौत हो जाने के बाद तो पूरा आंदोलन दूसरी दिशा में मुड़ गया. 


धीरे-धीरे इसने आतंक की शक्ल ले ली. कई राज्यों में अलग-अलग गुटों की अपनी सत्ताएं चलती हैं. बता दें कि साल 2010 में कानू सान्याल ने खुद को फांसी लगा ली ती.



कई देशों के नक्सली एक दूसरे से जुड़े हैं

नक्सलियों के बीच बाद में एक समझौता हुआ और कई दलों ने मिलकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी बना ली. बता दें कि अमेरिका ने इस संगठन को आतंकवादी संगठन की सूची में रखा है. ये संगठन दूसरे देशों के कम्युनिस्ट संगठनों के साथ मिलकर भारत में आतंक की जड़ें मजबूत कर रहे हैं. नेपाल की सीपीएन, बांग्लादेश की पीबीएसपी, लाल तारा ऐसी ही पार्टियां हैं जिनका भारतीय नक्सलियों के साथ गठजोड़ है और वो एक दूसरे को मदद भी करती हैं.



कैसे मिलता हैं संसाधन

नक्सली अपने संसाधनों को जुटाने के लिए बड़े-बड़े बिल्डरों, ठेकेदारों और पूंजीपतियों से उगाही का काम करते हैं. हथियार इन पैसों से खरीदे जाते हैं साथ ही पुलिस और सुरक्षाबलों पर हमले कर ये नक्सली उनके हथियार लूट लेते हैं. कई बार तो ऐसी खबरें भी आती हैं कि समाज में हम सब के बीच रहने वाले लोग भी इन नक्सलियों की मदद करने लगते हैं. शायद वो भूल जाते हैं कि इन नक्सलियों हमले में हजारों बेगुनाहों की मौत हो चुकी है. हजारों सुरक्षाबल के जवान जो किसी राजनीतिक पार्टी के लिए काम नहीं करते बल्कि देश के लिए काम करते हैं उनकी जान चली जाती है.



नक्सलवाद को खत्म करने के लिए कारगर कदम की जरूरत

सुकमा में हुए हमले ने देश को एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है कि इस समस्या को अब जड़ से खत्म करना ही होगा. सरकार को इसके लिए कड़े कदम उठाने भी पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए.




सोर्स:गज़ब इंडिया


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 Sultan Azlan Shah Cup 2017 - India Will Start Its Campaign Against Great Britain

  Sultan Azlan Shah Cup 2017 - India Will Start Its Campaign Against Great Britain 

हॉकी के प्रतिष्ठित सुल्तान अजलान शाह कप का आगाज़ 29 अप्रैल यानी शनिवार से मलेशिया के इपोह में होगा। टूर्नामेंट का पहला मैच भारत और इंग्लैण्ड के बीच खेला जाएगा। हॉकी के दिग्गज देशों में गिने जाने वाले भारत की पुरानी साख इस बड़े आयोजन के साथ दांव पर होगी।



इंग्लैण्ड के खिलाफ मैच से भारत छठी बार अजलान शाह का चैंपियन बनने के अपने अभियान का आगाज़ करेगा। इससे पहले भारत चार बार खिताब जीत चुका है, जबकि एक बार खिताब साझा किया। भारत दो बार अजलान शाह कप का उपविजेता भी रहा है।




अजलान शाह में भारत की कमान अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश संभालेंगे। पिछले अजलान शाह कप में भारत को फाइनल में हार मिली थी। ऐसे में इस बार श्रीजेश उस कमी को भी पूरा करना चाहेंगे। साथ ही इस बड़े टूर्नामेंट में भारत टीम को भी परख सकता है। क्योंकि इसी के आधार पर 2018 हॉकी विश्वकप और 2020 ओलंपिक के लिए भी टीम का ढांचा तैयार होगा।



अजलान शाह कप और भारत


साल 1983 में पहली बार खेले गए अजलान शाह कप का ये 26वां एडीशन है। टूर्नामेंट 29 अप्रैल से छह मई के बीच छह टीमों के बीच खेला जाएगा। भारत के अलावा मेजबान मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, ग्रेट ब्रिटेन, जापान और न्यूजीलैण्ड इसमें शिरकत कर रहे हैं। पाकिस्तान को अजलान शाह में शामिल नहीं किया गया है।



टूर्नामेंट में भारत का इतिहास


भारत अजलान शाह के पहले संस्करण से ही इसमें शिरकत करता आ रहा है। ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत इस टूर्नामेंट की दूसरी सबसे सफल टीम है। अब तक भारत ने चार बार (1985, 1991, 1995, 2009) खिताबी जीत दर्ज की है। 2010 में भारत ने साउथ कोरिया के साथ खिताब साझा किया था। इसके अलावा भारत दो बार उपविजेता और छह बार तीसरे स्थान पर रहा है।


टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम इस प्रकार है...


गोलकीपर्स :

पीआर श्रीजेश (कप्तान), सूरज करकेरा

डिफेंडर :

प्रदीप मोर, सुरेंद्र कुमार, रुपिंदर पाल सिंह, हरमनप्रीत सिंह, गुरिंदर सिंह

मिडफील्डर्स :

सीएस कंगुजम, सुमित, सरदार सिंह, मनप्रीत सिंह (उपकप्तान), हरजीत सिंह, मनप्रीत

फॉरवर्ड :

एसवी सुनील, तलविंदर सिंह, मनदीप सिंह, अफ्फान यूसुफ, आकाशदीप सिंह।




सोर्स:स्पोर्ट्स वल्लाह
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bahubali 2 movie review why did kattappa kill bahubali read here

 bahubali 2 movie review why did kattappa kill bahubali read here

निर्देशक: एस एस राजामौली

कलाकार: प्रभास , राणा दुग्गूबाती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया , सत्यराज, राम्या कृष्णन


 इंतजार खत्म हुआ। रिलीज हो गई बाहुबली: द कन्क्लूजन। खुल गया राज। जी हां, बाहुबली 2 के बिगनिंग में ही खुल जाता है राज कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा था? कल तक जहां एक सवाल का जवाब जानने की जिज्ञासा थी, वहीं अब इसके जवाब पर चर्चा है।


 
 हर तरफ एक ही बात हा रही है कि कटप्पा ने बाहुबली को इसलिए मारा था। ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या सवाल का जवाब मिल जाने के बाद लोगों की उत्सुकता में कोई कमी आएगी। जी नहीं,ऐसा बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि फिल्म की आगे की कहानी आपको सीट से उठने नहीं देगी, क्योंकि आपने इससे पहले ऐसा छल, कपट व धोखा किसी फिल्म में नहीं देखा होगा, जिसके साथ है जबरदस्त एक्शन, शानदार रोमांच, आंखें नम कर देने वाला रोमांस व गजब का रहस्य... यही तो है बाहुबली 2 की यूएसपी, जिसकी तुलना हॉलीवुड की फिल्मों से की जा रही है। तो आइए, एक नजर डालते हैं फिल्म की कहानी, अभिनय, निर्देशन व गीत-संगीत पर...



कहानी...

कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां बाहुबली बिगनिंग की कहानी खत्म हुई थी। शिवा उर्फ महेंद्र बाहुबली (प्रभास) को कटप्पा (सत्यराज) ये बताने की कोशिश करता है कि आखिरकार महाराजा अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) की हत्या कैसे हुई थी। 

 
इसके साथ ही कहानी फ्लैशबैक में जाती है और महिष्मति के साम्राज्य में अमरेंद्र बाहुबली का राज्याभिषेक होने वाला होता है। लोगों की खुशी देखते ही बनती है, लेकिन भल्लाल देव (राणा दुग्गूबाती) नहीं चाहता कि अमरेंद्र बाहुबली का राज्याभिषेक हो। इसी के साथ शुरू होता है छल, कपट व धोखा। भल्लाल अपने पिता के साथ मिलकर अमरेंद्र बाहुबली को मारने का प्लान बनाता है, जिसमें कटप्पा को आगे रख दिया जाता है और महारानी शिवागामी (राम्या कृष्णन) को भी इसके लिए उकसाया जाता है। 




कह सकते हैं कि महारानी छल, कपट व धोखे का शिकार हो जाती हैं। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि किन परिस्थितियों में बाहुबली को मारा जाता है। यदि नहीं समझे, तो यकीनन इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी, क्योंकि बाहुबली की मौत का रहस्य आप फिल्म देखने के बाद जानेंगे, तो उसका रोमांच अलग ही होगा। बस, हम यहां इतना जरूर बता सकते हैं कि आगे की कहानी जबरदस्त है।



डायरेक्शन...

फिल्म की कहानी जितनी उम्दा है, उससे कहीं ज्यादा दमदार है स्क्रीनप्ले एसएस राजामौली का डायरेक्शन। दोनों लाजवाब हैं। डायरेक्शन के साथ-साथ वीएफएक्स जबरदस्त है, जो आपको 2डी में 3डी का आनंद देता है। फिल्म विजुअली काफी भव्य है। हर एक सीन में कुछ न कुछ खास जरूर देखने को मिलता है। बहुत ही अद्भुत फिल्मांकन है, जिसकी तारीफ जितनी भी की जाए, कम है।



अभिनय...

प्रभास ने शारीरिक रूप से बहुत ही बेहतरीन काम किया है, तालियां भी बटोरते हैं। इसके अलावा राणा दुग्गुबाती का काम भी काबिले तारीफ है, जिनसे आपको घृणा भी होने लगती है साथ-साथ राम्या कृष्णन और अनुष्का शेट्टी के अलग अलग रूप, तमन्ना भाटिया का पराक्रम, सत्यराज की गुत्थियां और बाकी किरदारों का अभिनय भी बेहतरीन है। कह सकते हैं पैसा वसूल परफॉर्मेंस..।



गीत-संगीत...

फिल्म का संगीत और खासतौर पर बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है, जो आपको बांधे रखता है। फिल्म के द्वारा फिक्शन की कहानी काफी रीयल लगती है, जो 21वीं सदी में डायरेक्टर एसएस राजामौली की जीत है। क्लाईमैक्स की जंग के दौरान ताबड़तोड़ एक्शन हैं, जिसकी परिकल्पना कर पाना भी मुश्किल है। आखिर के कुछ मिनट तालियों की गडग़ड़ाहट सिनेमा हॉल गूंज उठता है।



क्यों देखें?

बाहुबली 2 को लेकर ये सवाल बेहद फीका है कि क्यों देखें। हम इतना जरूर कह सकते हैं कि जिन्हें बाहुबली 2 का बेसब्री से इंतजार था, वे लोग तो देखेंगे ही, साथ ही वो भी देखेंगे,जिन्हें इंतजार नहीं था। दरअसल, ऐसी भव्य फिल्में विरले ही बनती हैं। हिंदी वर्जन में डबिंग को फिल्म का कमजोर पक्ष मान सकते हैं, क्योंकि लिपसिंग बराबर नहीं है, लेकिन फिल्म की भव्यता के सामने ये कमजोरी बौना साबित हो जाती है।




सोर्स:पत्रिका.कॉम
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Hockey Sultan Azlan Shah Cup 2017- Handling Youngsters Will Be Key Aspects say Indian Captain PR Sreejesh

 PR Shreejesh


सुल्तान अजलान शाह हॉकी कप का आगाज 29 अप्रैल को भारत-इंग्लैण्ड मैच के साथ होगा। टूर्नामेंट मलेशिया के इपोह में खेला जाएगा। टीम इंडिया की कमान अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश के हाथ में है।



भारतीय टीम की तैयारियों को लेकर श्रीजेश पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं। वहीं टीम के युवा खिलाड़ियों को कप्तान ‘निर्णायक’ मान रहे हैं। श्रीजेश का कहना है कि ये युवा खिलाड़ियों के लिए भी बड़ा मौका है।



गुरिंदर सिंह, सुमित और मनप्रीत तीन ऐसे चेहरे हैं, जो टीम में बिल्कुल नए हैं। इन तीनों खिलाड़ियों ने जूनियर लेवल पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इन पर बात करते हुए कप्तान ने कहा, “ये उनके (तीनों खिलाड़ियों) लिए काफी अहम होगा और काफी बड़ा मौका होगा। अजलान शाह जैसे बड़े टूर्नामेंट में उनके लिए कड़ा इम्तिहान होगा।” साथ ही श्रीजेश ने ये भी माना कि युवा खिलाड़ियों के साथ व्यवहार करने और उन्हें संवारने में उनको भी कई बातों का ध्यान रखना होगा।



श्रीजेश ने कहा, “यकीनन ये मेरे लिए भी चुनौती भरा होगा। अगर मैं रघु (वीआर रघुनाथ) पर चिल्लाता हूं तो वो और भी जी-जान लगाकर खेल दिखाता है। ये हमारे बीच एक आपसी समझ बन चुकी है। लेकिन मैं युवा खिलाड़ियों के साथ ऐसा नहीं कर सकता। उन्हें प्रेरित करने के लिए मुझे कुछ अलग करना होगा। मुझे उनकी सोच को समझकर व्यवहार करना होगा।”



सोर्स: स्पोर्ट्स वल्लाह 
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IPL 10 : Chances of Royal Challengers Bangalore to qualify for ipl Playoffs

RCB



हार..हार…और हार। आईपीएल 10 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर टीम जब भी मैदान पर उतर रही है उसका सामना हार से ही हो रहा है। टूर्नामेंट में ये टीम अबतक 9 मैच खेल चुकी है जिसमें से उसे 6 मैच में हार मिली है, 2 मैच में जीत और एक मैच बारिश के चलते रद्द हुआ है। 



बैंगलोर का प्रदर्शन खासा खराब रहा है ना तो उसके बल्लेबाज चल रहे हैं और ना ही गेंदबाज रंग में हैं। ऐसा लग रहा है कि पिछले सीजन में फाइनल तक का सफर तय करने वाली बैंगलोर की टीम इस बार प्लेऑफ तक भी नहीं पहुंच पाएगी।



 वैसे भारत के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर और कॉमेंटेटर आकाश चोपड़ा का मानना कुछ अलग है। आकाश चोपड़ा को अब भी लगता है कि विराट कोहली की टीम प्लेऑफ में जगह बना सकती है।



आकाश चोपड़ा ने बैंगलोर के प्लेऑफ में जगह बनाने की संभावनाओं को लेकर एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने आंकड़ों के सहारे बैंगलोर के फैंस को राहत पहुंचाने की कोशिश की है। 



इस ट्वीट में आकाश चोपड़ा ने पिछले 9 सालों के आईपीएल इतिहास का लेखा-जोखा पेश किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि कब-कब, कौन-कौन सी टीमें 15 अंकों के साथ प्लेऑफ में जगह बनाने में कामयाब हुई हैं।






आपको बता दें बैंगलोर के अभी 9 मैच में 5 अंक हैं और उसके 5 मैच बाकी हैं। अगर वो इन मैचों में जीत भी दर्ज करती है तो उसके 15 अंक होंगे। अब 15 अंकों के साथ आरसीबी को टॉप चार में जगह बनाने के लिए अन्य टीमों के नतीजों पर निर्भर रहना पड़ेगा। देखते हैं बैंगलोर ये कारनामा कर पाती है या नहीं।




सोर्स:क्रिकेट कंट्री
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Pakistani man, 50, is addicted to eating TREES FOR 25 YEARS

 Pakistani man, 50, is addicted to eating TREES FOR 25 YEARS


पाकिस्तान में एक व्यक्ति 25 साल से पत्ते और लकड़ियां खाकर जिंदा है। खास बात ये है कि अपनी इस आदत की वजह से वह कभी बीमार भी नहीं पड़ा। 


पंजाब प्रांत के गुजरांवाला जिले के रहने वाले 50 वर्षीय महमूद बट्ट ने बेरोजगारी की वजह से खाना नहीं जुटा पाने के कारण 25 वर्ष की उम्र से पत्तियां खाना शुरू किया था।


गरीबी ने बना दिया ऐसा

Pakistani man, 50, is addicted to eating TREES FOR 25 YEARS 

बट्ट ने बताया कि उसका परिवार बहुत गरीब था। बट्ट ने कहा, मैंने तय किया कि गलियों में भीख मांगने से अच्छा है कि लकड़ियां और पत्ते खाऊं। पत्ते और लकड़ियां खाना अब मेरी आदत बन गई है।


बरगद के पत्तों को चाव से खाते हैं

Pakistani man, 50, is addicted to eating TREES FOR 25 YEARS 

बट्ट ने बताया कि उन्हें बरगद के पेड़ के पत्ते खाना बहुत पसंद है। कुछ वर्षों के बाद जब बट्ट को काम मिला और वह भोजन जुटाने लायक हो गए तब भी उनसे ये आदत नहीं छूटी।


गधा गाड़ी ढोकर चलाते हैं घर

Pakistani man, 50, is addicted to eating TREES FOR 25 YEARS 


बट्ट आज अपनी गधा गाड़ी पर सामान ढोकर रोजाना 600 रुपये कमा लेते हैं। बट्ट के पड़ोसी गुलाम मोहम्मद ने कहा कि बट्ट कभी डॉक्टर के पास नहीं गया है। खाने की इस आदत की वजह बट्ट अपने इलाके में बहुत चर्चित है। उसके पड़ोसी ने बताया कि अक्सर रास्ते में अपनी गधा गाड़ी रोक कर बट्ट को पेड़ों से ताजा पत्ते तोड़ कर खाते हुए देखा जा सकता है। 



सोर्स:फिरकी.इन
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Kashmir people started rising questions on the country's longest tunnel





जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर नवनिर्मित अत्याधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम से लैस 9.2 किलोमीटर लंबे चेनानी-नासरी सुरंग अपेक्षानुरूप काम नहीं कर रही और यात्री सुरंग के अंदर अत्यधिक प्रदूषण, आंखों के जलने, दम घुटने की शिकायत कर रहे हैं।



चेनानी-नासरी सुरंग को देश में अवसंरचना विकास की दिशा में किसी चमत्कार की तरह देखा जा रहा था लेकिन सुरंग से होकर नियमित यात्रा करने वाले कुछ यात्रियों ने बताया कि उन्हें भी अत्यधिक प्रदूषण के चलते सुरंग के अंदर ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था, जबकि इसे भारत का ऐसा पहला और दुनिया का छठा सुरंग बताया जा रहा था जिसमें प्रदूषित वायु को बाहर फेंकने और ताजा वायु के प्रवाह को बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम लगाया गया है।



दिल्ली में चिकित्सक जम्मू वासी बलविंदर सिंह ने बताया कि जब वह सुरंग के अंदर थे तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। आस्ट्रेलियाई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर 2,900 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस सुरंग का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अप्रैल को किया था।



दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चिकित्सक बलविंदर ने बताया, "शायद सुरंग में लगाया गया वेंटिलेशन सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा। व्यस्त यातायात के दौरान जब हम सुरंग में घुसे, तो दृश्यता कम होने लगी। अगर हम वाहन की खिड़की बंद कर सुरंग के अंदर से गुजरते हैं तो प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है।"



उन्होंने कहा, "ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हम किसी गैस चेंबर में से होकर गुजर रहे हों।"


जम्मू एवं कश्मीर शिक्षा विभाग में कार्यरत अनिल मन्हास के लिए इस सुरंग ने चेनानी से नासरी के बीच की दूरी को 41 किलोमीटर से घटाकर मात्र 11 किलोमीटर कर दी है। मन्हास का कहना है, "मैं जब पहली बार इस सुरंग से होकर गुजरा तो मैंने खास ध्यान नहीं दिया। मेरी आंखों में जलन हो रही थी। सुरंग में धुआं भरा हुआ था। अब करीब हमेशा ही सुरंग में ऐसे हालात रहते हैं और मेरे खयाल से वेंटिलेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा। अगर ऐसा लंबे समय तक रहा..तो दृश्यता की कमी के कारण वाहनों के बीच टक्कर भी हो सकती है।"



भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्रवक्ता विष्णु दरबारी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चूंकि इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) ने इस सुरंग का निर्माण किया है, इसलिए इन सवालों के जवाब वे ही दे सकते हैं।







वहीं जब आईएलएंडएफएस के उपाध्यक्ष आशुतोष चंदवार से बात की गई तो उनका कहना है कि सुरंग के अधिक लंबा और संकरा होने के कारण पैदा होने वाले भय की वजह से यात्रियों को ऐसा लग रहा है।



चंदवार ने आईएएनएस से कहा, "मुझे नहीं पता कि यात्रियों को ऐसा क्यों लग रहा है..निश्चित तौर पर सुरंग में ऐसा होने की कोई संभावना नहीं है। सुरंग में जब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो उसमें लगा वेंटिलेशन सिस्टम उसे बाहर फेंक देता है। लोगों को जो भी समस्याएं आ रही हैं, वह लंबे और संकरे सुरंग से गुजरने के दौरान पैदा होने वाले भय के कारण हैं।"



उनका कहना है कि सुरंग में लगे वेंटिलेशन सिस्टम की बाकायदा जांच-परख हुई है और यह हर स्तर के प्रदूषण से लड़ने में सक्षम है। पर्यावरणविद विवेक चट्टोपाध्याय का कहना है कि इतनी लंबी सुरंग में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि तो होनी ही है, लेकिन वेंटिलेशन सिस्टम अगर ठीक से काम करे तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा यात्रियों ने अक्सर सुरंग में जाम लगने की शिकायत भी की।



राज्य सरकार में सेवारत जम्मू के रहने वाले भूषण का कहना है, "लगातार हर तरह के वाहनों की आवाजाही के कारण यातायात जाम भी बड़ी समस्या है।" इससे पहले एनएचएआई कह चुका है कि बीएस-3 से कम श्रेणी के इंजन वाले वाहनों को सुरंग में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी। हालांकि एनएचएआई के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हो रहा।




सोर्स:गाँव कनेक्शन
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 how Indians reacted on social media on snapchat controversy

  how Indians reacted on social media on snapchat controversy


स्नैपचैट के सीईओ का कथित बयान अब ट्विटर को भी अपनी चपेट में ले चुका है. मसला ये है कि एक एक्स स्नैपचैट कर्मचारी एन्थोनी पॉम्प्लिआनो ने ये दावा किया है कि सीईओ इवान स्पीगल ने भारत को गरीब देश कहा.



पॉम्प्लिआनो के अनुसार जब उन्होंने इवान के सामने स्नैपचैट को बढ़ाने के लिए भारत और स्पेन जैसे बाजारों पर फोकस करने का सुझाव दिया तो इवान ने कहा कि उनका एप सिर्फ अमीर लोगों के लिए है भारत जैसे गरीब देश के लिए नहीं.



अब इस बात का खंडन तो किया जा रहा है, लेकिन तब से ही स्नैपचैट को लेकर ट्विटर पर #boycottsnapchat ट्रेंड चलने लगा. स्नैपचैट को लेकर लोगों का गुस्सा कुछ इस तरह से फूटा कि उन्होंने एप को 1 स्टार देना शुरू कर दिया.






कुछ ये भी जान लें स्नैपचैट के बारे में....

- भारत में तकरीबन 4 मिलियन स्नैपचैट यूजर्स हैं. - 2011 में लॉन्च होने के बाद 2014 तक स्नैपचैट के यूजरबेस का 9% भारत बन चुका था. - फिलहाल ये आंकड़ा कम है. - स्नैपचैट में करीब 150 मिलियन डेली एक्टिव यूजर हैं.





जैसे ही स्नैपचैट की ये खबर वायरल होना शुरू हुई वैसे ही गूगल प्ले स्टोर पर एप रेटिंग गिरती चली गई. 4.4 के बाद इस एप की रेटिंग 4.0 हो गई और 1 स्टार देने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है.





snapchat rating

 

ये हो गई स्नैपचैट की रेटिंगएन्थोनी पॉम्प्लिआनो के अनुसार ये बात इवान ने 2015 में कही थी. अब अगर उस समय के आंकड़ों को भी देखें तो भी 9% मार्केट शेयर वाला देश गरीब तो नहीं हो सकता है. बहरहाल, अगर इवान ने ये कहा है तो एप रेटिंग और ट्विटर रिएक्शन देखकर उनकी सोच में थोड़ा बदलाव हुआ हो शायद.













इस पूरे मामले में किसी ने अरविंद केजरीवाल का स्नैपचैट वीडियो बनाया. अब देखिए केजरीवाल क्या कह रहे हैं मोदी के बारे में...











सोर्स:iचौक


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5 best android hacking apps for android mobile


 android hacking apps for android mobile

 
दुनिया की आधी आबादी अपने सारे काम अपने स्मार्टफोन के जरिए पूरा कर लेती है। जो काम आप अपने डेस्कटॉप से करते थे, अब वो सारे काम एंड्रायड स्मार्टफोन्स के जरिए भी किए जा सकते हैं। 


स्मार्टफोन से केवल कॉलिंग और एसएमएस ही नहीं, बल्कि हैकिंग भी की जा सकती है। आज हम आपको ऐसे कुछ हैकिंग एप के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके एंड्रायड स्मार्टफोन को हैकिंग मशीन या हैक बॉक्स बना सकती हैं।


1. Insider:

इस एप के जरिए आप अपने क्षेत्र में छुपे वाई-फाई के बारे में जान सकते हैं। अगर आप इस एप को डाउनलोड करते हैं, तो आप छुपी हुई एसएसआईडी वाई-फाई के सिग्नल देख सकते हैं और अपने क्षेत्र में कम श्रेणी के वाई-फाई सिग्नल का भी पता कर सकते हैं।



2. Install Backtrack on Android Mobile:

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बैकस्ट्रेक एप सिक्योरिटी टेस्टिंग के लिए समर्पित है और सिस्टम में कमजोरियों का भी पता लगाता है। आप इस OS एप को अपने फोन में डाउनलोड और इंस्टॉल कर सकते हैं।




3. Fing Networks Tools:

फिंग एक दूसरी एंड्रायड एप है, जो जिसके जरिए वाई-फाई को खोज सकते हैं। लेकिन यह एप दूसरे एप से थोड़ा अलग है। आप इस एंड्रायड हैकिंग एप के जरिए पूरे नेटवर्क को स्कैन कर सकते हैं। यह एप पूरी तरह से मुफ्त है और विज्ञापन के बिना आता है।



4. ZAnti Penetration Testing Android Hacking Toolkit:

यह सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला हैकिंग एप है। इस एंड्रायड एप में आपको किसी भी वाई-फाई नेटवर्क को हैक करने से संबंधित लगभग सभी सिक्योरिटी टूल्स मिल जाएंगे।



5. WPS Connect:

अगर आप वास्तव में एंड्रायड मोबाइल फोन से किसी वाई-फाई का पासवर्ड हैक करना चाहते हैं, तो आपको डब्ल्यूपीएस कनेक्ट वाई-फाई पासवर्ड हैकिंग एंड्रायड एप को डाउनलोड करना होगा। ऐसा करके आप किसी भी वाई-फाई नेटवर्क से कनेक्ट कर पाएंगे और आपको इसके लिए पासवर्ड डालने की भी जरूरत नहीं होगी।




सोर्स:दैनिक जागरण
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 Ipl 10 Gujarat lions vs Mumbai Indians Aaron Finch Couldn't play as his kit bag didn't arrive


 Aaron Finch


आईपीएल में आज गुजरात लायंस और मुंबई इंडियंस के बीच खेले जाने वाले मैच में मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि शाम को वह ओस गिरने की उम्मीद कर रहे हैं इसलिए स्कोर का पीछा करना उनके लिए ठीक रहेगा। वहीं जब विपक्षी टीम के कप्तान सुरेश रैना से बात की गई तो उन्होंने जो बताया वो सुनकर एक खिलाड़ी की हालत पर तरस आ गया। 



रैना ने बताया कि उनकी टीम में एरन फिंच नहीं खेल रहे हैं क्योंकि उनका किट बैग नहीं आया है। इसलिए उनकी जगह टीम में जेसन रॉय को शामिल किया गया है। फिंच पिछले मैच में अच्छे स्ट्रोक लगाते हुए नजर आए थे और उन्होंने राजकोट में पुणे के खिलाफ नाबाद 33 रन बनाए थे। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि वह इस मैच में धमाका मचाएंगे। लेकिन उनका किट बैग न आने की वजह से वह नहीं खेल पाए और सुरेश रैना को आउट ऑफ फॉर्म बैट्समेन जेसन रॉय को टीम में जगह देनी पड़ी।



एरन फिंच के साथ घटा यह पहला वाकया नहीं है बल्कि साल 1993 में भारत आई वेस्टइंडीज टीम के साथ ऐसा ही एक वाकया घटा था। साल 1993 में भारत में त्रिकोणीय और द्विपक्षीय सीरीज खेलने के लिए वेस्टइंडीज टीम ने भारत का दौरा किया था।



 त्रिकोणीय सीरीज का फाइनल मैच भारत बनाम वेस्टइंडीज कोलकाता के ईडेन गार्डन में खेला गया था जो डे-नाइट मैच था। इसके दो दिन बाद इन दोनों टीमों के बीच द्विपक्षी सीरीज का मैच विशाखापत्तनम में खेला गया जो डे था। भारतीय टीम को ‘आईए एयरलाइंस’ ने उनकी किट के साथ आराम से विशाखापत्तनम अगले मैच के लिए पहुंचा दिया।



लेकिन ‘आईए एयरलाइंस’ की गलती की वजह से वेस्टइंडीज टीम की किट मद्रास में ही छूट गई। फलस्वरूप दोनों टीमों के कप्तानों को टॉस के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा। समय की बर्बादी के कारण मैच को 44-44 ओवरों का कर दिया गया। 



भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू के शानदार शतक 114 और सचिन तेंदुलकर के अर्धशतक की बदौलत निर्धारित 44 ओवरों में 4 विकेट पर 260 रनों का स्कोर खड़ा किया।



इस तरह भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज के समक्ष एक बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया। लेकिन इस बीच जो हुआ उसने वेस्टइंडीज टीम को बेहद निराश कर दिया। चूंकि मैच के नियम के मुताबिक वेस्टइंडीज को अपने 44 ओवरों की गेंदबाजी 1.26 बजे तक समाप्त कर लेनी थी, लेकिन उन्होंने इसके लिए 1.42 बजे तक का समय ले लिया। 



जिसके कारण मैच रेफरी ने वेस्टइंडडीज टीम पर 1 ओवर का ग्रेस लगा दिया और अब उन्हें यही स्कोर 43 ओवरों में चेज करने के लिए बोला गया। देर होने के पीछे वेस्टइंडीज टीम का हाथ कतई नहीं था, क्योंकि देर तो सिद्धू के मैदान पर घायल होने की वजह से हुई थी। अब वेस्टइंडीज को 6.07 के भारी-भरकम रन रेट के साथ भारत के स्कोर का पीछा करना था।



वेस्टइंडीज ने इस अन्याय के बावजूद बेहतरीन खेल दिखाया और उनके दोनों सलामी बल्लेबाजों फिल सिमंस(51 रन 77 गेंद) और स्टुअर्ट विलियम्स(49 रन 60 गेंद) ने बेहतरीन शुरुआत दी। इस मैच में दूसरे वनडे में खेले कपिल देव के स्थान पर वेंकटेश प्रसाद को शामिल किया गया था(उस मैच के बाद कपिल देव ने विश्व क्रिकेट को अलविदा कह दिया)। 



वेंकटेश को वेस्टइंडीज टीम के बल्लेबाजों ने खूब निशाना बनाया। कार्ल हूपर ने बेहतरीन बल्लेबाजी की और 47 गेंदों में आतिशी 74 रन ठोंक दिए, लेकिन अंतिम ओवर उन्हें खल गया जो मैच रैफरी ने काट लिया था और वह मैच 4 रनों से हार गए। इस तरह ‘आईए एयरलाइंस’ की गलती का शिकार हुई वेस्टइंडीज टीम इस मैच को हार गई। 



जाहिर है कि अगर ‘आईए एयरलाइंस’ये गलती न करती तो मैच 50 ओवर का होता और तब शायद वेस्टइंडीज टीम को चार रन से हार का सामना न करना पड़ता।




सोर्स:क्रिकेट कंट्री
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