loading...

Who Slapped Virat Kohli Reveals his Biography

 

 विराट कोहली ने किससे थप्पड़ खाए? बचपन में उनका फेवरेट शॉट क्या था? ट्रेनिंग के पहले दिन किस चीज को देख कोच हैरान रह गए थे? कामयाब होने के बाद उन्होंने अपने कोच को क्या गिफ्ट दिया? विराट कोहली के जबरा फैन लोग खुश हो जाएं. उनकी जिंदगी पर नई किताब आई  थी , जिसमें ऐसे सैकड़ों सवालों के जवाब आपको मिले. नाम है, ‘ड्रिवेन: द विराट कोहली स्टोरी’. इसे लिखा है सीनियर खेल पत्रकार विजय लोकापल्ली ने और छापा है ‘ब्लूम्सबरी इंडिया’ ने. इस किताब एक हिस्सा आप पढ़ रहे हैं.


1. गुरु को गिफ्ट

राजकुमार शर्मा के लिए ‘टीचर्स डे’ का मतलब था, अपने बच्चों अविरल और सुहानी से उनके स्कूली किस्से सुनना. लेकिन 2014 की उस सुबह ने इस दिन को यादगार बना दिया. शुक्रिया, उनके लाडले चेले का.


‘दरवाजे की घंटी बजी. मैंने खोला तो विकास (विराट का भाई) खड़ा था.’ राजकुमार जानते थे कि विराट एक फोटोशूट के लिए अमेरिका में है. इतनी सुबह-सुबह उसके भाई के आने से वो एकबारगी फिक्रमंद हो गए थे. विकास ने भी क्रिकेट के सपने देखे थे, लेकिन वो क्लब क्रिकेट से आगे नहीं जा सका. राजकुमार कहते हैं, ‘मैं दोनों भाइयों में फर्क नहीं करता, लेकिन सच यही है कि विराट कई मील आगे था.’


Driven - The Virat Kholi Story
किताब का कवर पेज

विकास घर में आया और अपने फोन से एक नंबर डायल किया. ‘हैपी टीचर्स डे सर.’ उधर से विराट की आवाज थी. ठीक इसी वक्त विकास ने राजकुमार की मुट्ठी में कुछ फंसा दिया. ये चाभियों का एक गुच्छा था. राजकुमार हैरान थे. विकास ने उनसे घर के बाहर चलने को कहा. वहां एक चमकती हुई स्कोडा रैपिड कार खड़ी हुई थी. ये विराट कोहली का अपने गुरु को गिफ्ट था.



राजकुमार कहते हैं, ‘गिफ्ट बहुत अच्छा था, लेकिन मैं उसके स्टाइल और तरीके पर बिछ गया. उसकी भावुकता देखिए. विराट की विनम्रता और बड़ों के लिए सम्मान से मैं आश्वस्त हो गया. इसलिए नहीं कि उसने मुझे कार गिफ्ट की. इस पूरे प्रोसेस में उसका इमोशनल टच था, ये याद दिलाने के लिए कि उसने हमारे रिश्ते को कैसे संजोया है और जिंदगी में टीचर के रोल की कद्र की है.’



2. कोचिंग का पहला दिन

राजकुमार के मुताबिक, ‘छुटपन में कोचिंग के समय विराट चोरी से सीनियर्स के ग्रुप में घुस जाता था. मैं हर बार उसे डांटता था. मैं उसके लिए तब से फिक्रमंद हूं, जब वो 10 साल का भी नहीं था. लेकिन उसके पास हिम्मत और विलपावर थी, अपने से बड़े प्लेयर्स के साथ खेलने की.’ पहले दिन बाउंड्री के पास से उसका तेजतर्रार थ्रो, सीधा विकेटकीपर के दस्तानों में गया. 9 साल के इस बच्चे के बाजुओं की ताकत देख राजकुमार हैरान रह गए.


Kohli rajkumar
राजकुमार शर्मा के साथ विराट.

राजकुमार बताते हैं कि विराट हमेशा अपने से ज्यादा उम्र के खिलाड़ियों के साथ खेलना चाहता था. वो कहता था, ‘मैं उनसे बेटर कर सकता हूं.’ ऐसा उसने करके भी दिखाया. वो खेल के हर फील्ड में घुसना चाहता था. उसे इस सबसे दूर रखना मुश्किल था. वो बैटिंग, बोलिंग और सारी पोजीशन पर फील्डिंग करना चाहता था. मुझ पर विराट को प्रमोट करने के आरोप भी लगे, लेकिन यकीन करिए मुझे आराम से बैठकर बस उसे प्रोग्रेस करते और लोगों को गलत साबित करते हुए देखना था.



3. ‘सर, सीनियर्स के साथ खेलना है, ये बच्चे मुझे आउट नहीं कर पाते’

राजकुमार को बखूबी याद है. वेस्ट दिल्ली क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन का पहला दिन था. सैकड़ों बच्चों आए थे. उनमें 9 साल का ये गोलू-मोलू भी अपने पापा का हाथ थामे पहुंचा था. राजकुमार ने बच्चों को दो ग्रुप में बांटा- सीनियर और जूनियर. विराट सिर्फ 9 साल का था. 


वो उदासीन कदमों से सीनियर्स की तरफ बढ़ा और उनसे एक-एक करके ‘हेलो’ करने लगा. राजकुमार ने चिल्लाकर कहा, ‘वहां जाओ’ और उसे जूनियर ग्रुप में भेज दिया. पहले दिन से वो लड़का सीनियर्स के साथ ट्रेनिंग लेना चाहता था.


 Virat Kohli


फिर एक दिन विराट एक शिकायत के साथ राजकुमार के पास पहुंचा. ‘मैं सीनियर्स के साथ खेलना चाहता हूं. जूनियर लड़के मुझे आउट नहीं कर पाते.’ राजकुमार ने उसके पैड बंधवाए और सीनियर्स के साथ खिलाने ले गए. वो कहते हैं, ‘वो एक बार भी आउट ऑफ प्लेस नहीं लगा.’



राजकुमार भी अपने दिनों में इतने ही कंपटीटिव थे. वो ऑफ स्पिन फेंकते थे और हमेशा सेट हो चुके बल्लेबाज को आउट करने में आनंद लेते थे.




जब मुथैया मुरलीधर अपने पहले सीजन में थे, राजकुमार दिल्ली में अपना करियर खत्म कर रहे थे. दोनों की अब तक मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन वो राजकुमार को ‘दूसरा’ फेंकते देखते तो जरूर रश्क करते. राजकुमार हंसते हुए कहते हैं, ‘लेकिन मेरी कोहनी 15 डिग्री से ज्यादा नहीं मुड़ती थी.’ राजकुमार मदनलाल की कप्तानी वाली उस दिल्ली टीम में शामिल थे जिसने 1989 में रणजी ट्रॉफी जीती थी.



4. ग़लतियों पर पड़ते थे झन्नाटेदार झापड़

राजकुमार बताते हैं कि विराट को उसकी सीट पर बैठाए रखना बहुत मुश्किल था. अगर दूसरी टीम कम स्कोर पर आउट हो जाती तो वो पहले बैटिंग करने जाना चाहता था. वो कोच से बड़ी मासूमियत से कहता था, ‘मुझे बैटिंग नहीं मिली तो?’ विराट शुरू से नंबर 4 पर बैटिंग करने उतरता था, लेकिन आप उससे कभी भी ओपनिंग करवा सकते थे. आउट होने के बाद भी वो अपने पैड नहीं उतारना चाहता था.


लेकिन विराट जब गलती करता था तो राजकुमार कोई नरमी नहीं बरतते थे. वो बताते हैं, ‘मैं उसे सिर्फ डांटकर ही नहीं रुक जाता था. कई बार झन्नाटेदार थप्पड़ कारगर साबित हुए.’



5. अपने फेवरेट शॉट को लेकर वो ज़िद्दी था

राजकुमार बताते हैं कि फ्लिक विराट का सबसे प्रोडक्टिव शॉट था. वो बड़े आराम से बॉल पिक करता था और बल्ले के सबसे मजबूत हिस्से से छुआकर बॉल को बाउंड्री पर भेज देता था. लेकिन हर बार राजकुमार उसका ये शॉट पसंद नहीं करते थे, ‘ईमानदारी से मुझे विराट का फ्लिक पसंद नहीं था. जब आप अक्रॉस द लाइन फ्लिक करते हैं तो हमेशा रिस्क रहता है. मैं कई बार डांटता था उसे. मैं चाहता था कि वो मि़ड-ऑन पर शॉट खेले और मिडल स्टंप से बॉल न पिक करे. उसने मेहनत की और इस शॉट का मास्टर हो गया.’



Virat Kohli


अंडर-15 में विराट के टीममेट रहे रूशिल बताते हैं कि विराट अपने फ्लिक शॉट में गर्व महसूस करता था. एक बार हमें एक फॉर्म में अपने फेवरेट शॉट लिखकर बताने थे. राजकुमार सर हमेशा सीधे बल्ले से खेले जाने वाले शॉट्स पर ज़ोर देते थे. लेकिन विराट ने अपना फेवरेट शॉट ‘फ्लिक’ ही लिखा और मुझे भी यही लिखने को कहा. हमारे फॉर्म देखने के बाद राजकुमार सर के होठों पर जो स्माइल थी, मुझे आज तक याद है.



6. कोच ने उसे दो शॉट नहीं सिखाए, जान-बूझकर

लेकिन राजकुमार विराट की ‘कवर ड्राइव’ को उसकी ताकत मानते हैं. वो बताते हैं कि विराट को कवर ड्राइव बहुत पसंद थी और वो ये शॉट इतना ज्यादा खेलने लगा था कि विकेट खो देता था. मैंने उसे मना किया. फिर उसको छक्कों की सनक हो गई. फिर वो हवा में शॉट खेलकर आउट होने लगा.



”एक बार मैंने उसे बहुत जोर से डांटा. ये सब तब हुआ, जब वो इंडिया के लिए खेलने लगा था. मैंने उससे कहा कि तू तब तक छक्का ट्राई नहीं करेगा, जब तक फिफ्टी न लगा ले. मैं उसे स्वीप और कट के लिए भी मना करता था. चाहता था कि वो बॉल को करीब से खेले. मैंने उसे ये दोनों शॉट सिखाए ही नहीं, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि वो इन रिस्की शॉट्स में उलझे, जबकि उसके तरकश में कहीं ज्यादा ताकतवर शॉट हैं. मैं बस उसका शॉट-सेलेक्शन दुरुस्त रखना चाहता था. अब वो हर तरह के शॉट में माहिर है.”



अब भी जब चीजें बिगड़ती हैं तो विराट राजकुमार के पास ही जाते हैं. राजकुमार के मुताबिक, ‘मैं उसे जमीन पर रखता हूं, ये याद दिलाते हुए कि आगे लंबा सफर है. रिकॉर्ड तोड़ने से किसी क्रिकेटर को नहीं आंकना चाहिए. उसे कॉन्फिडेंट होना चाहिए, लेकिन ओवर-कॉन्फिडेंट नहीं. अब वो कैप्टन है और मैं उसे कहता हूं कि जो काम वो आसानी से कर सकता है, उसे दूसरों से एक्सपेक्ट न करे. गेम के लिए उसकी सोच और अप्रोच बाकी लोगों से अलग है.’


Rajkumar Sharma
राजकुमार शर्मा


बिलाशक! विराट का सरापा उस थान के कपड़े से नहीं बना है, जो बाकी खिलाड़ी पहनकर मैदान पर उतरते हैं. आप बधाई दीजिए, 2016 को द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता उनके गुरु राजकुमार शर्मा को!


उनके थप्पड़ न होते तो उस लड़के का वैभव विराट न होता.





सोर्स:लल्लनटॉप
loading...

एक टिप्पणी भेजें

योगदान देने वाला व्यक्ति

Blogger द्वारा संचालित.