हिन्दुओं के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार का बहुत महत्व है. जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. श्रीकृष्ण को धरती पर भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है.
हिन्दू कैलेंकर के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के आठवें दिन यानि अष्टमी पर मध्यरात्रि में हुआ था. वैसे तो पूरे भारत में ही जन्माष्टमी का बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि वृन्दावन में इस पर्व की अलग ही रौनक देखने को मिलती है. यदि आपके जीवन में संघर्ष बहुत ज्यादा है, धन की कमी की वजह से आप परेशान हैं तो कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर अपने भाग्य को बदलने के लिए तैयार हो जाइये.
कान्हा को 5 चीजें अर्पित करिए भगवान कृष्ण की कृपा से आपके जीवन की सारी परेशानी दूर हो जाएगी और जल्द ही उन्नति के रास्ते खुल जाएंगे. 1- तुलसी दल- भगवान कृष्ण को तुलसी दल बहुत प्रिय है, इसलिए भोग लगाते समय कान्हां को तुलसी दल अवश्य अर्पित करें. 2- माखन मिसरी- माखन-मिसरी बाल गोपाल को बहुत पंसद है, माखन मिसरी का भोग लगाने से कान्हा बहुत प्रसन्न होते हैं.
3- पीले फल- पीले रंग के फल प्रसाद के रूप में कृष्ण जी को अर्पित से धन-दौलत की प्राप्ति होती है और भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं. 4- मोरपंख- मोरपंख भगवान कृष्ण के मुकुट में अवश्य लगाएं, इससे कृष्ण जी की विशेष कृपा आपको प्राप्त होगी. 5- पीले वस्त्र- पीतांबरी कान्हां को बहुत प्रिय है, इसलिए अपने कान्हा जी को पीले वस्त्र अवश्य अर्पित करें आपकी मनोकामना पूरी होगी.
किन बातों का रखें ख्याल - ये पांच चीजें आप अपने घर के मंदिर में या किसी ऐसे मंदिर में जा कर अर्पित कर सकते हैं, जहां कान्हा का जन्मदिन पूरे भक्ति भाव से मनाया जा रहा हो. - स्नान करके साफ वस्त्र पहन धारण करके ही भगवान कृष्ण की प्रतिमा को स्पर्श करें. - भगवान कृष्ण को अर्पित की जाने वाली सभी चीजों में पहले गंगा जल छिड़कर पवित्र कर लें. - सभी चीजें दाहिने हाथ से भगवान कृष्ण को अर्पित करें. - तुलसी दल, माखन मिसरी और पीले फल प्रसाद के रूप में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अवश्य बांटें
जन्माष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
स्मार्त संप्रदाय के अनुसार जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाई जाएगी तो वहीं वैष्णव संप्रदाय के 15 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा.
जन्माष्टमी 2017 14 अगस्त निशिथ पूजा: 12:03 से 12:47 निशिथ चरण के मध्यरात्रि के क्षण है: 12:25 बजे
15 अगस्त पराण: शाम 5:39 के बाद अष्टमी तिथि समाप्त: 5:39
भारत सहित पूरे विश्व में हिंदू संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी इस बार 14 अगस्त मनाएंगे। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में यह त्योहार मनाया जाता है।
पुराणों के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अवतार लिया था। इसके बाद से इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा। इस त्योहार को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेश में भी हिंदू संप्रदाय के लोग पूरी आस्था के साथ मनाते हैं।
बताया जाता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में अत्याचारी मामा कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था। इसलिए इस दिन मथुरा में काफी हर्षोउल्लास से जन्माष्टमी मनाई जाती है। दूर-दूर से लोग इस दिन मथुरा आते हैं।
इस दिन मथुरा नगरी पूरे धार्मिक रंग में रंगी होती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है और झांकियां सजाई जाती हैं। इसके अलावा मंदिरों में रासलीला का आयोजन भी किया जाता है। नीचे दिए गए वीडियो के मुताबिक 5 हजार 243 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण मध्य रात्रि में इस धरती पर अवतरित हुए थे।
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का भी विधान है। इस दिन व्रत रखने का हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया गया है। बताया जाता है कि इस दिन व्रत रखने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
स्कंद पुराण के मुताबिक जो मनुष्य जानते हुए भी इस दिन व्रत नहीं रखता, वह जंगल में सृप होता है। लेकिन जो व्यक्ति विधि के अनुसार और पूरी आस्था के साथ इस दिन व्रत रखते हैं, उनके पास हमेशा लक्ष्मी स्थिर रहती है और बिगड़ते काम बन जाते हैं। क्या है व्रत विधि- व्रत की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करना चाहिए और इस दिन शारीरिक संबंध भी नहीं बनाने चाहिए। व्रत के दिन सुबह स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद जल, फल, कुश लेकर व्रत का संकल्प करें। संकल्प करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और पूजन करें। पूजा में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंदू, यशोदा, लक्ष्मी का नाम लेना ना भूलें। सोर्स:जनसत्ता
इस फिल्म में शाहरुख हॉकी प्लेयर और कोच बने थे, वहीं "सुल्तान" में सलमान ने कुश्ती प्लेयर और कोच का रोल किया था.
01. जयदीप साहनी को इस कहानी का आइडिया न्यूज़पेपर की एक छोटी सी स्टोरी से आया था. वे अख़बार पढ़ रहे थे और उसमें भारतीय महिला हॉकी टीम के 2002 के राष्ट्रमंडल खेलों में जीतने की बड़ी खबर को एक छोटी सी जगह में लगाया गया था जो अख़बार के पीछे के पन्नों में कहीं दबा दी गई थी.
उन्हें हैरानी हुई कि कॉमनवेल्थ गेम्स जितनी बड़ी जीत को फ्रंट पेज पर जगह क्यों नहीं दी गई. यही 2004 में एशिया कप में हुआ जिसमें भारतीय महिला टीम जीती थी. यही जीतें अगर पुरुष टीमों ने हासिल की होती तो जरूर उन्हें पहले पेज पर लगाया जाता. इस गैर-बराबरी को देखने के बाद ‘चक दे! इंडिया’ का जन्म हुआ.
02.इस फिल्म के लिखे जाने की प्रक्रिया ‘बंटी और बबली’ (2005) की शूटिंग के दौरान शुरू हुई. तब फिल्म के रीटिंग सेशन खत्म हुए थे. यशराज फिल्म्स की रानी मुखर्जी और अभिषेक बच्चन स्टारर इस फिल्म को भी जयदीप साहनी ने ही लिखा था. वे प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा के साथ बैठे थे कि आदि ने पूछा तुम आगे क्या करने की सोच रहे हो? तब जयदीप ने बताया कि कई बरसों से उनके दिमाग में एक कहानी है. इसमें लड़कियों की की एक हॉकी टीम होती है, उनके कोच होते हैं, उनका सपोर्ट स्टाफ होता है और कैसे बिना मोटिवेशन के खेलते-खेलते उन्हें प्रेरणा मिलती है और वे एक के बाद एक मैच जीतती जाती हैं.
जयदीप ने आधे-एक घंटे में इस कहानी को सुनाया. उन्होंने कहा कि ये कहानी हर किसी को जाननी ही चाहिए. आदि ने अंत में कहा कि चलो इसे करते हैं. उन्होंने भी कहा कि ये फिल्म बननी ही चाहिए. उसके बाद जयदीप ने रिसर्च करनी शुरू की. हॉकी कैंप्स में गए. स्टेडियम्स में गए. टीमों के साथ रुके.
यशराज की फिल्म “बंटी और बबली” के पोस्टर में अमिताभ, ऐश्वर्या और अभिषेक बच्चन.
03. इसी दौरान हॉकी कोच का किरदार कबीर खान लिखा गया. फिल्म में शाहरुख ने इसे निभाया था. कबीर पर पाकिस्तान के खिलाफ जानबूझकर भारत को हरवाने के आरोप लगते हैं और उसकी जिदंगी तबाह हो जाती है. बहुत बरस बाद उसे लड़कियों की हॉकी टीम का कोच बनाया जाता है और वो उन्हें विनिंग टीम बनाता है.
फिल्म में कबीर पर जो झूठे आरोप लगे कुछ वैसा ही असल में हॉकी प्लेयर मीर रंजन नेगी के साथ भी 1982 के एशियाई खेलों में हुआ था. इसी फिल्म में वो सलाहकार भी थे और छोटे से रोल में खुद नजर भी आए. हालांकि वे और जयदीप दोनों ही इससे इनकार करते रहे कि फिल्म में कोच का कैरेक्टर उन पर बेस्ड नहीं है.
04. ‘चक दे इंडिया’ से पहले डायरेक्टर शिमित अमीन ने रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘अब तक छप्पन’ बनाई थी जिसमें नाना पाटेकर ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का रोल किया था. इस फिल्म में शिमित का ट्रीटमेंट प्रोड्यूसर आदि को याद रह गया था. ऐसे में जब ‘चक दे इंडिया’ के लिए डायरेक्टर ढूंढ़ने की बात आई तो आदि ने जयदीप से कहा कि इसे तो ‘अब तक छप्पन’ वाले से ही बनवाना ठीक रहेगा. फिर शिमित फाइनल हुए. जयदीप हालांकि शिमित को पहले से जानते थे और उनके दोस्त थे.
शाहरुख से सीन डिसकस करते हुए डायरेक्टर शिमित अमीन. (फोटोः यशराज)
05. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में फिल्म का वर्ल्ड कप फाइनल मैच शूट किया जाना था. डायरेक्टर शिमित चाहते थे कि स्टेडियम पूरा भरा हुआ दिखे और दर्शकों की बड़ी संख्या चीयर कर रही हो. ये शूट लगातार पांच रातों तक चलना था.
अब दिक्कत ये थी कि स्टेडियम भरने के लिए लोग नहीं थे. ऐसे में शाहरुख ने कहा कि स्टेडियम भरने के लिए वे उनके स्टारडम का इस्तेमाल कर सकते हैं. उसके बाद फिल्म की टीम ने सिडनी में प्रचार कर दिया कि शाहरुख वहां ओलंपिक हॉकी स्टेडियम में आने वाले हैं. लोग बड़ी संख्या में उन्हें देखने आए. और लगातार पांच रात आए.
वे शाहरुख को देखने के लिए वहां आठ-आठ घंटे बैठे रहते थे. शाहरुख भी मैच के बीच-बीच में स्टे़डियम में दर्शकों के आगे चक्कर लगाते थे, दर्शकों को वेव करते थे. जब उनके दृश्यों की शूटिंग नहीं भी हो रही होती थी, तब भी वे ऐसा करते थे.
फिल्म के क्लाइमैक्स में शाहरुख.
06. वर्ष 2008 में ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ जैसी ऑस्कर विनिंग फिल्म से डेब्यू करने वाली फ्रीडा पिंटो ने भी ‘चक दे! इंडिया’ में एक हॉकी प्लेयर के रोल के लिए ऑडिशन दिया था. लेकिन उनका सलेक्शन नहीं हुआ.
फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में फ्रीडा.
07. फिल्म में अंत में भारतीय महिला हॉकी टीम वर्ल्ड कप जीत जाती है. लेकिन जब जयदीप साहनी इसकी स्क्रिप्ट लिख रहे थे तो एकदम आखिर तक उन्होंने तय नहीं किया था कि उनकी कहानी में क्या भारतीय लड़कियां जीतेंगी या नहीं! उन्हें सूझ ही नहीं रहा था. वे जीतने-हारने के बजाय कहानी को आगे बढ़ाते गए और ऐसा करते-करते कहानी अंत में वहां पहुंच जाती है जहां शूटआउट से फैसला होता है.
‘चक दे इंडिया’ के एक सीन में प्लेयर लड़कियों को गेम समझाते हुए कोच कबीर खान. (फोटोः य़शराज फिल्म्स)
08. रिलीज से पहले मेकर्स ने एक वीडियो बनाया था जिसमें फिल्म की हॉकी टीम वाली लड़कियों को दिखाया जाता है जिन्हें शाहरुख का कैरेक्टर ट्रेनिंग देता है. इस वीडियो में वो गाना भी रखा गया – “एक हॉकी दूंगी मैं रख के”.
लोगों का रिएक्शन लेने के लिए इस वीडियो को मल्टीप्लेक्स वालों के यहां भेजा गया. साथ ही मेकर्स ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी दिखाया. मल्टीप्लेक्स वालों ने ये वीडियो वापस भेज दिया और कहा कि थियेटर में लोग इसे देखकर हूटिंग कर रहे हैं और इस गाने में लड़कियों की मजाक उड़ा रहे हैं. प्रदर्शकों का फीडबैक था कि इस गाने को चलाना बंद कर दो नहीं तो ये फिल्म देखने कोई नहीं आएगा.
जयदीप साहनी का मानना था कि लोगों ने इस वीडियो को पसंद इसलिए नहीं किया क्योंकि वे ये स्वीकार नहीं कर पा रहे थे कि शाहरुख खान की प्लेयर लड़कियां ऐसी कैसी हो सकती हैं. उनके मन में ग्लैमरस हीरोइन्स की कल्पना थी. हालांकि कुछ महीनों बाद जब फिल्म रिलीज हुई तो उन्हीं सब दर्शकों ने इन्हीं सब लड़कियों को बहुत ज्यादा पसंद किया.
09. जब फिल्म रिलीज हुई तो राइटर जयदीप अमेरिका के ऐले में थे क्योंकि वहां भी उसकी स्क्रीनिंग हो रहे थी. उन्होंने ओपनिंग के दिन मुंबई में प्रोड्यूसर यश चोपड़ा को फोन किया. यश जी ने धीमे स्वर में कहा, “बेटा कोई आया ही नहीं.” यानी कि फिल्म देखने लोग नहीं आ रहे. फोन के दूसरी तरफ जयदीप चुप हो गए. यश चोपड़ा ने फिर उनसे कहा कि फिल्म को चाहे एक आदमी भी न देखने आए लेकिन मुझे इस पर गर्व है कि मेरे स्टूडियो का नाम ऐसी फिल्म के साथ जुड़ा हुआ है. हालांकि दूसरे दिन फिल्म हाउसफुल हो गई और लोगों में इसका क्रेज़ बहुत बढ़ गया.
यश चोपड़ा, आदित्य चोपड़ा और जयदीप साहनी. (फोटोः यशराज फिल्म्स व अन्य)
10. बताया जाता है कि इस फिल्म की रिलीज के बाद देश में हॉकी स्टिक्स की बिक्री 30 परसेंट तक बढ़ गई थी.
11. सलमान खान को भी इस फिल्म में कबीर खान का लीड रोल ऑफर किया गया था. दरअसल जब स्क्रिप्ट लिखी जा रही थी तब प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा, डायरेक्टर शिमित और राइटर जयदीप के बीच चर्चा होती चल रही थी और उनके ज़ेहन में हॉकी कोच के रोल में शाहरुख खान ही थे. लेकिन पहला ड्राफ्ट लिखने के बाद जब शाहरुख को अप्रोच किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास डेट्स नहीं हैं और वो ये प्रोजेक्ट नहीं कर पाएंगे. ऐसे में प्रोड्यूसर आदि ने सलमान खान के साथ इस रोल के लिए मीटिंग की थी. हालांकि आखिर वो रोल सलमान ने नहीं किया. बाद में शाहरुख ने फिल्म साइन कर ली.
फिल्म ‘सुल्तान’ में रेस्लर के रोल में सलमान खान.
12. ‘चक दे इंडिया एंथम’ को भी सोच-समझकर बनाया गया था. प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा की अपने डायरेक्टर और कंपोजर्स से मांग थी कि वे एक ऐसा गाना जरूर बनाएं जो स्पोर्ट्स एंथम बन जाए क्योंकि भारत में राष्ट्रगान तो है लेकिन स्पोर्ट्स एंथम नहीं है. बाद में ऐसा ही हुआ.
“चक दे इंडिया” हॉकी ही क्या भारत के बाकी खेलों में खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने के लिए प्रमुख गाना बन गया. भारतीय क्रिकेट टीम ने जब 2011 में वर्ल्ड कप जीता तो विराट कोहली ने दर्शकों के सामने इसे गाया. जब 2015 के वर्ल्ड कप में भारत ने साउथ अफ्रीका को हराया तो दर्शक ‘चक दे इंडिया’ के नारे लगा रहे थे. इसके अलावा क्रिकेट और की मैचों में ये अनिवार्य रूप से बजता ही है.
भाई-बहन का बंधन सभी बंधनों से अलग और अनोखा होता है. यह बंधन भाई और बहन के बीच प्रेम का प्रतीक है और इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के लिए विशेष महत्त्व भी रखता है. बहन अपने भाई की कलाई पर प्यार बांधती है और भाई हमेशा अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है. भाई बहन के प्यारे रिश्ते को कई बॉलीवुड फिल्म में भी दर्शाया गया है.
आज हम आपके लिए कुछ ऐसी फ़िल्में लेकर आए हैं, जिसे देखकर आपको ज़रूर अपने भाई या बहन की याद आ जाएगी.
माय ब्रदर निखिल
माय ब्रदर निखिल कहानी है एक ऐसे बहन की को एड्स से पीड़ित अपने भाई के लिए सरकार से भी भीड़ जाती है.
प्यार किया तो डरना क्या
कहानी है एक ऐसे भाई की जो अपनी बहन के प्रेमी की ज़िन्दगी बेहाल कर देता है. वो देखना चाहता है कि वो लड़का उसकी बहन के लायक सच में है या नहीं. फिल्म में सलमान खान, अरबाज़ खान और काजोल मुख्य भूमिका में हैं.
दिल धड़कने दो
दिल धड़कने मॉडर्न भाई-बहन की कहानी है जिसका किरदार निभाया है रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा ने. फिल्म में भाई अपनी बहन को एक ख़राब शादी की बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश करता है.
हम साथ साथ हैं
ये पूरी फिल्म भाई बहन के अटूट बंधन पर बनी हुई है. फिल्म में सालमन खान, सैफ अली खान, नीलम और मोहनीश बहल, भाई बहन बने हुए हैं.
जोश
शाहरुख़ और ऐश्वर्या पहली बार इस फिल्म में भाई बहन बने थे. इस नॉटी भाई बहन की कहानी हर किसी के दिल को छु गयी.
अग्निपथ
ऋतिक रोशन इस फिल्म में बड़े भाई बने हुई हैं जो बचपन में अपनी बहन से बिछड़ जाता है लेकिन हर दिन वो अपनी बहन को याद करता है और उसके लिए तड़पता है.
फिज़ा
ऋतिक रोशन और करिश्मा कपूर की ये फिल्म दिखाती है कि एक बहन अपने भाई के लिए किस हद्द तक जा सकती है. फिल्म में एक लड़का खो जाता है और आतंकवादी बन जाता है. उसकी बहन उसे वापस लाने में कोई कसार नहीं छोड़ती.
पेइचिंग ओलिम्पिक-2008 में कांस्य पदक विजेता, भारत के पेशेवर मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने शनिवार को चीन के जुल्पिकार माईमाईतियाली को 10 राउंड तक चले कठिन मुकाबले में हराकर अपना विजयी क्रम जारी रखा है। इसी के साथ विजेंदर ने अपना डब्ल्यूबीओ एशिया पैसिफिक सुपर मीडिलवेट खिताब तो बचा लिया, साथ ही अपने विपक्षी का डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मीडिल वेट खिताब भी हासिल कर लिया।
यह दोहरा खिताबी मुकाबला था, जिसमें जीतने वाला खिलाड़ी अपने खिताब को बचाने के साथ ही दूसरे का खिताब जीतने का हकदार था।
खिताब जीतने के बाद सिंह ने कहा, मैं यह टाइटल नहीं चाहता। मैं इसे जुल्पीकर को लौटाना चाहता हूं। मैं इस जीत को भारत-चीन की दोस्ती को समर्पित करता हूं। बॉर्डर पर कुछ तनाव है। हमें शांति चाहिए।
विजेंदर का यह नौवां पेशेवर मुकाबला था और अभी तक उन्हें सभी मुकाबलों में जीत मिली है। वहीं चीनी मुक्केबाज की यह पेशेवर मुकाबले में पहली हार है। जुल्पिकार अपने पिछले नौ पेशेवर मुकाबलों में अजेय थे। दोनों के बीच बराबरी का मुकाबला खेला गया।
शुरुआती दो राउंड में जुल्पिकार आक्रामक दिखे , लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने शानदार बचाव किया। विजेंदर ने अपनी लंबाई का अच्छा फायदा उठाया और चीनी मुक्केबाज को कुछ अच्छे पंच जड़े। अगले कुछ राउंड में भी बराबर का खेल देखने को मिला, हालांकि चीन के मुक्केबाज को विजेंदर के कुछ अच्छे पंचों का सामना करना पड़ा। यहां से विजेंदर चीनी खिलाड़ी पर हावी होने लगे। बचाव में जुल्पिकार ने कुछ दफा विजेंदर के कमर के नीचे कुछ पंच मारे। ऐसा करने के दौरान नौवें राउंड में रैफरी ने मैच रोक दिया था।
आखिरी राउंड में जुल्पिकार ने वापसी की कोशिश की, लेकिन विजेंदर ने अपना आक्रामण जारी रखा और मुकाबला जीत ले गए।
इससे पहले, भारत के अन्य मुक्केबाजों ने अंडरकार्ट मुकाबलों में जीत हासिल की। राष्ट्रमंडल खेल-2006 के विजेता अखिल कुमार, जितेंद्र कुमार, अशद आसिफ, कुलदीप ढांडा, धर्मेद्र गिरेवाल, प्रदीप खारेरा ने अपने मुकाबालों में विजयी रहे। अखिल इस मैच से पेशेवर मुक्केबाजी में कदम रख रहे थे। उन्होंने डेब्यू मैच में अॉस्ट्रेलिया के टाइ ग्रिलक्रिस्ट को वाल्टरवेट वर्ग में तकनीकी नॉक आउट में मात दी। सोर्स:जनसत्ता
क्या कोई इंटरनेट गेम किसी की जान ले सकता है? अभी तक तो लगता था कि ऐसा नहीं हो सकता, लेकिन जब से ब्लू वेल (Blue Whale) नाम का गेम आया है, इसने दुनियाभर में 250 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. इनमें अकेले रूस में 130 से ज्यादा मौतें हुई हैं. इसके अलावा पाकिस्तान और अमेरिका समेत 19 देशों में इस गेम की वजह से खुदकुशी के कई मामले सामने आए हैं.
अब इन जान गंवाने वाले लोगों की लिस्ट में अपने देश का भी नाम शामिल हो गया है. 30 जुलाई को मुंबई में जिस 14 साल के लड़के ने सातवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी, बताया जा रहा है कि वो ब्लू वेल गेम खेल रहा था. इस गेम की आखिरी स्टेज में प्लेयर को खुदकुशी करने के लिए कहा जाता है और उस लड़के ने खुदकुशी कर ली. इंडिया में अभी इस तरह का कोई और मामला नहीं आया है.
पायलट बनना चाहता था, गेम खेलने में जान गंवा दी
14 साल के बच्चे ने सातवीं मंजिल से छलांग लगाकर जान दे दी.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अंधेरी ईस्ट का रहने वाला मनप्रीत साहस 9वीं क्लास में पढ़ता था. शनिवार को उसने सातवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी. घर में वो अपने मम्मी-पापा और दो बड़ी बहनों के साथ रहता था. उसका सपना पायलट बनने का था और ट्रेनिंग के लिए रूस जाना चाहता था. जिस ब्लू वेल गेम को खेलते हुए उसने जान गंवाई, वो रूस में ही बनाया गया है.
इंटरनेट पर खोजा था छत से कूदने का तरीका सुसाइड केस की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मनप्रीत ने छलांग लगाने से पहले इंटरनेट पर सर्च किया था कि छत से छलांग कैसे लगाई जाती है. मनप्रीत ने शुक्रवार को ही दोस्तों को बता दिया था कि वो सोमवार को स्कूल नहीं आएगा.
शनिवार को छलांग लगाने से पहले मनप्रीत ने करीब 20 मिनट तक घर की छत पर बैठकर अपने दोस्तों से बात की. मनप्रीत ने गेम के आखिरी टास्क को लेकर छत से छलांग लगाने का भी जिक्र किया. उसने चैटिंग में लिखा कि अब आप लोग मुझे सिर्फ तस्वीरों में ही देखोगे, लेकिन किसी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया. बाद में पता चला कि उसने खुदकुशी कर ली.
पड़ोसी ने कहा था, ‘नीचे उतरो’ जांच टीम में शामिल एक अफसर के मुताबिक मनप्रीत जब छलांग लगाने के लिए टेरेस पर गया था, तो दूसरी बिल्डिंग के एक शख्स ने उसे देख लिया था. उसने मनप्रीत से नीचे उतरने के लिए भी कहा था. पुलिस अधिकारी के मुताबिक मनप्रीत ने इस बात का जिक्र गेम के एडमिन से भी किया था, लेकिन एडमिन उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाने में सफल रहा.
50 स्टेज में पूरा होता है गेम द ब्लू वेल गेम को 2013 में रूस से फिलिप बुडेकिन ने बनाया था. इस खेल में एक एडमिन होता है, जो खेलने वाले को अगले 50 दिन तक बताते रहता है कि उसे आगे क्या करना है. अंतिम दिन खेलने वाले को खुदकुशी करनी होती है और उससे पहले एक सेल्फी लेकर अपलोड करनी होती है. अजीबो-गरीब होते हैं टास्क
आत्महत्या के लिए छत से कूदने के लिए कहा जाता है.
गेम खेलने वाले को हर दिन एक कोड नंबर दिया जाता है, जो हॉरर से जुड़ा होता है. इसमें हाथ पर ब्लेड से F57 लिखकर इसकी फोटो अपलोड करने के लिए कहा जाता है. इसके अलावा हर रोज के खेल के लिए एक कोड होता है, जो सुबह चार बजे ही ओपन हो सकता है.
इस गेम का एडमिन स्काइप के जरिए गेम खेलने वाले से बात करता रहता है. हर टास्क के पूरा होने पर हाथ में एक कट लगाने के लिए कहा जाता है और उसकी फोटो अपलोड करने को कहा जाता है. गेम का विनर उसे ही घोषित किया जाता है, जो अंतिम दिन जान दे देता है.
गेम छोड़ने पर मिलती है धमकी अगर किसी ने एक बार गेम खेलना शुरू कर दिया, तो वो इसे बीच में नहीं छोड़ सकता. एक बार गेम शुरू हो जाने पर गेम खेलने वाले का फोन एडमिन हैक कर लेता है और फोन की सारी डिटेल उसके कब्जे में आ जाती है. अगर कोई बीच में गेम छोड़ना चाहे, तो एडमिन की तरफ से धमकी मिलती रहती है कि उसे या फिर उसके माता-पिता को जान से मार दिया जाएगा.
जेल में है गेम बनाने वाला यह गेम 2013 में रूस में बना था, लेकिन सुसाइड का पहला मामला 2015 में आया था. इसके बाद गेम बनाने वाले फिलिप को जेल भेज दिया गया. जेल जाने के दौरान अपनी सफाई में फिलिप ने कहा था कि ये गेम समाज की सफाई के लिए है. जिन लोगों ने भी गेम की वजह से आत्महत्या की, वो बॉयोलॉजिकल वेस्ट थे.
ब्रिटेन में लॉन्च होने वाला है गेम 250 से अधिक मौतों के बाद भी इस गेम को दुनिया के किसी भी देश में बैन नहीं किया गया है. ये अभी तक ब्रिटेन में लॉन्च नहीं हुआ है, लेकिन अब वहां भी इसे लॉन्च करने की तैयारी चल रही है. ब्रिटिश वेबसाइट metro.co.uk के मुताबिक बेसिलडोन के वुडलैंड्स स्कूल के प्रिंसिपल डेविड राइट ने बच्चों के माता-पिता को आगाह करते हुए एक पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि पुलिस की मदद से उन्होंने एक गेम का पता लगाया है, जिससे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. यह ब्लू वेल नाम का गेम है, जो कई सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर खेला जाता है. इसमें खेलने वाले को आखिरी दिन जान देकर गेम जीतना होता है.
पोकेमॉन गो ने भी मचाया था हंगामा
2016 में पोकेमॉन गो बच्चों के साथ बड़ों में भी पॉपुलर हुआ था
पिछले साल गेम्स की दुनिया में पोकेमॉन गो ने हंगामा मचाया था. ये जानलेवा भले नहीं था, लेकिन बहुत सारे लोग काम-धाम छोड़कर पोकेमॉन पकड़ने के लिए निकल जाते थे. हालांकि, कुछ महीनों बाद इसके क्रेज में कमी आ गई है. भारत में अब भी ये गेम आधिकारिक तौर पर लॉन्च नहीं हुआ है.