चेन्नई के पल्लवरम में जन्में आसिफ अहमद का परिवार बेहद ही गरीब था। घर की हालत इतनी खराब थी कि आसिफ को 12 साल की उम्र में ही काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। शुरुआत में तो समझ ही नहीं आया कि क्या किया जाए। किसी तरह अखबार और पुराने किताब बेचकर गुजारा चलाने लगे।
इससे भी काम नहीं चल पाया तो 14 साल की उम्र में जूते का बिजनेस करने लगे। शुरुआत में तो इसमें खूब सफलता मिली मगर बाद में धीरे-धीरे ये धंधा भी ठप्प होने लगा। परिवार और खुद का पेट पालना मुश्किल होने लगा।
खाना पकाने का शौक था तो शादियों और पार्टियों में बिरयानी बनाने का काम करने लगे। जिंदगी में कुछ अच्छा करने की चाहत में मुंबई का रुख किया। उनके बैंक अकाउंट में उस समय केवल 4 हजार रुपये थे। इससे वो मुंबई में बिरयानी का ठेला लगाने लगे।
धीरे-धीरे लोग उनकी बिरयानी को पसंद करने लगे और उनकी स्वादिष्ट बिरयानी के चर्चे दूर-दूर तक फैलने लगे। इस कारोबार ने अच्छी खासी कमाई करना शुरू कर दिया। भला वो यहां कहां रुकने वाले थे। उन्होंने एक कमरा किराए पर ले लिया और वहां बिरयानी बेचना शुरू कर दिया।
मुंबई में अब वो 'आसिफ बिरयानी' वाले के नाम से मशहूर हो चुके थे। जब आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने एक आउटलेट खोल लिया। उन्होंने बैंक से लोन लिया और खुद के 8 रेस्टोरेंट खोल लिए। आज आसिफ बिरयानी प्राइवेट लिमिटेड नाम की उनकी कंपनी चलती है और इस कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों के पार पहुंच चुका है।
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