कल एक नेता ने एक महिला नेता के लिए बेहद आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। इसके बाद साहब खूब गरियाए गए, अपना पद छोड़ना पड़ा वो अलग। अब 6 सालों के लिए पार्टी से भी निष्कासित कर दिए गए हैं। ये पहला मौका नहीं है जब किसी नेता ने इस तरह का बयान दिया है। राजनीति में एक से एक अजीबो गरीब बयान हमेशा से ही सुनने को मिलते आ रहे हैं। पहले भी कई नेताओं ने ऐसे बयान दिए जिनको सुनने के बाद लोगों को अपना सर दीवार में मारते भी नहीं बना। कुछ नेता ऐसे भाषण देते हैं जैसे मंच पर आने से पहले वो अपना दिमाग फ्रीज़र में रखकर आए हों। खैर अब कल की घटना के बाद हमें कुछ और बेहद फूहड़ बयान याद आ गए हैं, आप भी देखिए।
जीतेंद्र जी के इस बयान के पीछे के मर्म को आप लोग नहीं समझ रहे हैं। रेप तो बस बहाना है, वो इसके माध्यम से सीधे चीन पर निशाना साध रहे हैं। मार्केट में चीन और उसकी चाउमीन छाई हुई है। भाई सब चाइना है। जैसे हार्श-ड्राइविंग करने वालों का अल्कोहल टेस्ट होता है न, वैसे ही इनके हिसाब से रेप के आरोपी का “चाउमीन-टेस्ट” होना चाहिए। लगता है इन्होंने इंटर में साइंस ली थी।
आन्ध्र प्रदेश के कांग्रेस के नेता जी के हिसाब से लड़कियों को रात को बाहर नहीं निकलना चाहिए। स्वतंत्रता देश को मिली है और देश क्या है? देश माने पुरुष। दिल्ली रेप केस पर महाशय के इस बयान को सुनकर एक बात तो साफ़ हो गई कि देश की शासन व्यवस्था में ही कमी है। बाकी इनके हिसाब से लड़कियों को थोड़ा ध्यान से रहना चाहिए। क्योंकि पुरुष को तो जो करना है वो करेगा ही।
जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ़ खेला गया कोई मैच जीतता है तो कैसे सब पग्लाने लग जाते हैं, ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे कोई जंग लड़ी गई हो और भारत उसमें विजयी हुआ हो। एक ऐसे ही क्रिकेट मैच पर जैसवाल साहब का एक बयान आया था जो कि पगलाए हुए लोगों को शांत करने के लिए और एकता का सन्देश देने के लिए दिया गया था। पर कसम से ये जो तुलना इन्होंने की है और जो सच इन्होंने एक महिला के रूप-रंग का उजागर किया है, उसके बाद से कई लोग अपनी बीवियों को पार्लर जाने का दबाव बनाने लगे होंगे। अब उनको पार्लर के बिल से डर लगना बंद हो गया होगा।
महाराष्ट्र में सूखा पीड़ित अनशन कर रहे थे। बारिश नहीं हो रही थी नदियां सूखी पड़ी थीं। नेता जी पीड़ितों की इस हरकत से तंग आकर बोले कि भईया हम कहां से लाएं पानी? बोलो तो बांध पर खड़े होकर **** कर दें। इनके इस जोश भरे बयान को सुनकर भूल-भुलैया फ़िल्म का अक्षय कुमार का डायलॉग याद आ रहा है की यार “इतना लाते कहां से हो?”
“मन से हैं मुलायम, पर इरादे लोहा हैं” समझे कुछ? गाना याद है न? गा लीजियेगा एक बार। “लड़के हैं, लड़कों से गलतियां हो जाती हैं”। भईया गांव की औरतों के असली पैरोकार हैं। उनको बता रहे हैं उन महिलाओं की सफलता का राज़ जो कि आज ऊंचे ओहदों पर काम कर रही हैं। आपको नहीं पता था न कि पड़ोस की वो लड़की आई ए एस कैसे बनी? बता रहे हैं सर देख लो।
रेप की घटनाएं किलो के भाव से रोज़ घट रही हैं। नेता जी भी परेशान हैं। एक उपाए खोज कर लाए हैं लड़कियों की सुरक्षा के लिए। तो कितनी उम्र में कर दें शादी ये नहीं बताया आपने? 5 साल की उम्र में ही कर दें क्या?
दिल्ली रेप केस पर बहुतों ने सांत्वना भरे बयान दिए। प्रेसिडेंट साहब के सुपुत्र ने भी एक दिया था। वो जो लड़कियां न्याय की मांग कर रहीं थी न सड़क पर। सब नाटक था। रोज़-रोज़ फैशन शो में सज-संवर कर चली आती थीं। ये हमको उस सिंगर के भाई लगते हैं।
देखिए आपको पता है 2 देश हैं जिनमें आप रहते हैं। मैट्रिक्स वाला हिसाब-किताब समझ लीजिये। एक है भारत, संस्कारों से भरा हुआ। एक है इंडिया पश्चिमी संस्कृति का प्रवर्तक। तो सर ने डाटा निकाल कर आपको बता दिया है। अब आप लोग ही सोच लीजिए कि आपको कहां रहना है।
इनका कहना था कि जल्द ही भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। तो अगर अपना अस्तित्व हिन्दुओं को समाप्त होने से बचाना है तो उन्हें ये उपाए अपनाना ही होगा। आखिर इतने महान नेता कह गए हैं। बाकि हमें क्या? बढ़ती हुई जनसंख्या का ठेका थोड़ी ले रखा है। और बच्चों के पालन-पोषण के खर्चे का इंतेज़ाम भी शायद नेता जी करके गए होंगे। अब हिन्दुओं के हितैषी थे। इतना तो कर ही गए होंगे।
देखिए अब गरीबी का रोना रोने से पहले इस बात को याद रखिएगा. श्रीमान एक जगह भाषण दे रहे थे। विषय था “Culture, Deepening Democracy and Most Marginalised Communities”. इस विषय पर बोलते हुए श्रीमान ने एक दिव्य ज्ञान दिया। इनका कहना था कि गरीबी जैसा कुछ नहीं होता। ये बस एक मानसिक स्थिति है। इसका मतलब ये नहीं कि मूलभूत चीज़ों की कमी है। अगर कोई व्यक्ति दृढ़ निश्चय कर ले तो निश्चित तौर पर वो इस स्थिति से बाहर आ सकता है। हम न कहते थे देश की आधी आबादी पगलैट है।
सोर्स:फिरकी.इन
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