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Know about some special facts about  israel

Israel army

अमेरिका, रूस और चीन बेशक दुनिया की बड़ी महाशक्तियां हों लेकिन इजरायल से पंगा लेने की जुर्रत ये देश भी नहीं कर पाते। इजरायल ही वो देश है जिससे आईएस जैसा दुर्दांत आतंकी संगठन भी थर्राता है। इजरायल से दुश्मनी को मौत के बराबर माना जाता है। इजरायल की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जून 1967 में जब जार्डन, सीरिया और इराक सहित आधा दर्जन मुस्लिम देशों ने एकसाथ इजरायल पर हमला किया तो उसने पलटवार करते ही मात्र छह दिनों में इन सभी को धूल चटा दी थी। उस हार को अरब देश आज तक नहीं भूले हैं। इतिहास में इस घटना को Six Day War के नाम से जाना जाता है। आइए उसी इजरायल की कुछ खूबियों से हम आपको भी रूबरू कराते हैं।


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द्वितीय विश्व युद्ध में यहूदियों के नरसंहार के बाद बचे खचे यहूदियों ने भागकर येरूशलम के आसपास पनाह ले ली ‌थी। अरब के मुस्लिमों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद यहूदियों और अरबियों का युद्ध शुरू हो गया। इसी झगड़े के बीच संयुक्‍त राष्ट्र ने 29 नवंबर 1947 को फलस्तीन के तीन हिस्से कर इजरायल और फलस्तीन के रूप में दो राष्ट्रों को मान्यता दी, जबकि येरूशलम को अलग राज्य बनाने की बात की (इसे सर्पस स्पेक्ट्रुम कहा गया)। हालांकि बाद में इजरायल ने येरूशलम को भी अपने देश में मिला लिया।


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इसके साथ ही अरब और इजरायल की दुश्मनी शुरू हो गई,‌ जिसमें एक तरफ इजरायल अकेला था तो दूसरी तरफ इराक, लेबनान, सीरिया, मिश्र लीबिया, यमन, सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देश थे। इस लड़ाई में इजरायल को सिर्फ अमेरिका का साथ मिला। मुस्लिम देशों ने कई बार अलग अलग इजरायल पर हमला किया लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। ऐसा ही एक हमला जून 1967 में हुआ जिसे सिक्स डेज वार कहा गया। इस युद्ध में इजरायल ने एकसाथ मिश्र, जार्डन, सीरिया, इराक और सऊदी अरब को मात्र छह दिन में पराजित कर अपनी संप्रभुता कायम की।


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पिछले 67 सालों में इजरायल ने सात से ज्यादा युद्ध लड़े जिनमें हर बार उसने ही जीत हासिल की। ज्यादातर बार दूसरे देशों ने ही उस पर हमला किया, जिसमें उन्हें मुंह की खानी पड़ी। छह अक्टूबर 1973 को एक ऐसे ही हमले में सीरिया और मिश्र ने इजरायल पर अचानक उस समय हमला बोल दिया जब इस देश के लोग योम नामक त्यौहार मना रहे थे। इजरायल ने तुरंत इस हमले का जवाब दिया, जिसके बदले में मिश्र और सीरिया को बड़ा भारी नुकसान उठाना पड़ा।


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साल 1972 में म्युनिख में हुए ओलंपिक में फलस्तीन के आतंकी संगठन ने स्टेडियम के बीच में इजरायल के 12 खिलाड़ियों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। खेल जगत में इसे सबसे हृदयविदारक घटना माना जाता है। लेकिन इसका बदला भी इजरायल ने इसी रूप में लिया। उस समय इजरायल की प्रधानमंत्री रही गोल्डा मेयर एक एक कर सभी खिलाड़ियों के घर गई और उनके परिजनों से वादा किया कि इस वारदात में जो भी व्यक्ति शामिल रहा है उनमें से किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा।


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इस घटना का बदला लेने का जिम्मा आया इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर आया। मोसाद के सदस्यों ने दुनिया के कोने कोने से उन आतंकियों को ढूंढकर दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतारा था। मोसाद का यह आपरेशन अंतिम दोषी के मारे जाने तक यानि लगभग तीन दशक तक चला।


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ऐसी ही एक घटना 27 जून 1976 को हुई जब तेल अवीव से पेरिस जा रहे इजरायल के एक हवाई जहाज का फलस्तीनी आतंकी संगठन पीएफएफएलएफ के सदस्यों ने अपहरण कर लिया और उसे युगांडा ले गए। युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन ने आतंकियों को अपने देश में उतरने की इजाजत दे दी थी। अपहरणकर्ताओं ने बंधक बनाए गए लोगों को छोड़ने के बदले में फलस्तीनी आतंकियों की रिहाई की मांग रखी। लेकिन इजरायल की सरकार ने इसके बदले में कमांडों कार्रवाई का विकल्प चुना। जिसके बाद दुनिया के सबसे खतरनाक मिशन को अंजाम दिया गया। जिसमें इजरायली कमांडोज और मोसाद के सदस्यों ने युगांडा जैसे देश में जाकर सभी अपहरकर्ताओं को मार गिराया और सभी बंधकों को सुरक्षित रिहा करवा लिया।


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मार्च 1978 में लेबनान के आतंकी संगठन पीएलओ के आतंकियों ने 35 इजरायली नागरिकों की हत्या कर दी। इसका बदला लेने के लिए इजरायल ने लेबनान पर हमला कर दिया। जिसके बाद जान बचाने के लिए पीएलओ के आतंकी देश छोड़ भाग खड़े हुए जबकि लेबनान की सरकार को भी इजरायल के सामने गिड़गिड़ाना पड़ा। 

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जून 1981 में भी इजरायल ने एक ऐसी ही घटना को अंजाम दिया जिसे देखकर पूरी दुनिया हैरत में पड़ गई। असल में इजरायल को भनक लग गई थी कि इराक में तानाशाह सद्दाम हुसैन परमाणु हथियारों की खेप तैयार करवा रहा है। इजरायल ने इसकी जानकारी संयुक्‍त राष्ट्र और अमेरिका को दी। इराक पर दबाव पड़ा तो उसने ऐसी किसी प्लानिंग से साफ इंकार कर दिया। लेकिन इजरायल को पक्का विश्वास था कि सद्दाम अपने देश में परमाणु कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रहा है। इजरायल ने इसके खात्मे के लिए एक खतरनाक मिशन को अंजाम दिया। जिसके बाद इजरायली सैनिकों ने इराक में घुसकर 8 जून 1981 को सोले परमाणु संयत्र को तबाह कर दिया।


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इजरायल को यहूदियों का देश कहा जाता है जिसकी 80 फीसदी से ज्यादा आबादी यहूदियों की है। इजरायल को दुनियाभर में यहूदियों के अधिकारों का रक्षक भी कहा जाता है, इसीलिए इजरायल सरकार ने व्यवस्‍था कर रखी है कि दुनिया में कहीं भी कोई यहूदी पैदा होता है तो उसे जन्म के साथ ही इजरायल की नागरिकता मिल जाती है।

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इजरायल दुनिया का अकेला ऐसा देश है जो पूरी तरह एंटी बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस है। इसका मतलब ये है कि इजरायल पर कोई देश मिसाइल से हमला नहीं कर सकता, ऐसा करने वाली मिसाइल को इजरायल वापिस उसी देश की ओर मोड़ देता है। इजरायल दुनिया के उन चुनिंदा देशों में है जिसका अपना सेटेलाइट सिस्टम है और वो किसी से इसका साझा नहीं करता।


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इजरायल दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जहां प्रत्येक नागरिक को सेना में शामिल होना जरूरी है। लड़कों के लिए इसकी न्यूनतम अवधि तीन साल जबकि लड़कियों के लिए यह दो साल है। इजरायल दुनियाभर के देशों को हथियारों की सप्लाई करता है। सबसे उन्नत किस्म के हथियारों का निर्माण इजरायल में ही होता है।



सोर्स:अमरउजाला
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