सावन का पवित्र महीना चल रहा है. वैसे तो सारे महीने पवित्र हैं लेकिन सावन भोलेनाथ के लिए रिजर्व है. दिल्ली से लेकर हरिद्वार तक के नेशनल हाईवे कांवड़ियों से भरे हुए हैं. फुल स्पीड में गाजा बाजा डीजे भजन डांस चल रहा है. हमारे व्हाट्सऐप से लेकर फेसबुक तक पर “सावन में न करें ये काम नहीं तो भोले रूठ जाएंगे” वाले मैसेज और पोस्ट आ रहे हैं. इन मैसेजेस में कुछ सच्चाई भी है लेकिन कई सारी चीजें टोटल झुट्ठी हैं.
अगर भोले को पता चल गया कि लोगों ने उनके नाम से झूठ फैला रखा है तो क्रोधित हो जाएंगे. तांडव तो वो बहुत रेयर कंडीशन में करते हैं. लेकिन फिर भी छोटा मोटा श्राप तो दे ही सकते हैं. इसलिए इन मिथ्स को जान लें और इनसे बचने को तैयार रहें.
1. दूध का सेवन न करें:
हर साल सावन में ये मैसेज आता है कि सावन में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए. वैज्ञानिकों के अनुसार इस महीने दूध में वात बढ़ जाता है. व्हाट्सऐप वैज्ञानिकों के मुताबक घास पर कीड़े मकोड़े बढ़ जाते हैं जिनको गौमाता घास के साथ खा जाती हैं. इसलिए दूध हानिकारक हो जाता है.
कीड़े मकोड़ों वाला लॉजिक बचकाना है जो सच्ची में गाय चराने जाता है वो जानता होगा. घर में भी हरा चारा काटने के दौरान सिर्फ सावन में कीड़े आ जाते हों, ऐसा नहीं होता. घास के पास जाते ही कीड़े फुर्र से उड़ जाते हैं.
साथ ही ये लॉजिक भी दिया जाता है कि इसी वजह से दूध शिव जी को चढ़ा दिया जाता है, खुद सेवन नहीं किया जाता. ये तो और गलत बात है. मतलब जिससे तुम्हारा नुकसान होने वाला है वो भोले को अर्पण कर दो. उनको बेवकूफ समझ रखा है क्या. वो विष पी लेते हैं तो मतलब ये नहीं कि जिस दूध में तुमको विष नजर आ रहा है वो उनको पिला दो. शर्म करो, वो भगवान हैं, उन्हें दूध की कमी नहीं है जो तुम्हारा कथित विषैला दूध पिएंगे.
2. बैंगन नहीं खाना+मांसाहार से बचना:
बैंगन के बारे में भी यही बात है कि इसमें सावन में कीड़े पड़ जाते हैं. सावन में मांस का सेवन वर्जित है इसलिए बैंगन नहीं खा सकते. मांस वाला लॉजिक तो सही नहीं है क्योंकि कीड़ों में मांस और हड्डी कुछ नहीं होता है. लेकिन कीड़े वाली सब्जी खाना बहुत यक्की मामला है, मांसाहारी लोग भी नहीं खाते हैं.
यहां सब बेयर ग्रिल्स थोड़ी हैं. हां जीव हत्या वाला मामला सही है. लेकिन अगर भोलेनाथ जीव हत्या से नाराज होते हैं तो साल के 365 दिन नाराज होंगे. इसलिए अगर कीड़े वाला बैंगन नहीं खाना है या मांसाहार नहीं करना है तो पूरे साल नहीं करना है, उसके लिए सावन का इंतजार मत कीजिए.
3. बुरे विचारों से बचें:
पता नहीं इस लॉजिक का सिर्फ सावन से क्या संबंध है? बुरे विचारों से बचने के लिए किसी सावन भादों की जरूरत नहीं है. कहते हैं कि स्त्रियों के प्रति भी बुरे विचार मन में नहीं लाने चाहिए. नहीं तो पूजा में मन नहीं लगता.
भोले अंतर्यामी हैं, वो सावन के अलावा बाकी महीनों में ऑफलाइन नहीं रहते हैं. अगर आप उनके सच्चे भक्त हैं तो हमेशा राडार पर रहेंगे और जैसे ही सावन बीता और आपने बुरे विचार मन में लाए, उसी दिन से भगवान भोलेनाथ रुष्ट हो जाएंगे. बुरे विचार यानी निगेटिव एनर्जी, इनसे पूरे साल बचकर रहना चाहिए, पूजा में लगे हों या नहीं, तभी करियर में पढ़ाई में या फैमिली में तरक्की होगी.
4. इन खास लोगों का भूलकर न करें अपमान:
बूढ़े बुजुर्ग, गुरु, पति या पत्नी, मां बाप, भाई बहन और ऐसे तमाम लोगों का सावन में अपमान न करें नहीं तो भोले क्रोधित हो जाएंगे. सावन बीतने के बाद क्या शिव जी भूल जाएंगे कि आपने पूरे महीने उनको धोखे में रखा. सावन बीतते ही अपनी औकात में आ गए?
भैये इनका क्या किसी का भी अपमान करने का किसी को कोई हक नहीं है. भले वो सावन में व्रत रहता हो या न रहता हो. सिर्फ सावन में ही नहीं, पूरे साल के लिए सोचकर रखिए कि किसी को दुख नहीं देना है. अपमानित नहीं करना है. भारत का सबसे बड़ा महाकाव्य रचने वाले वेद व्यास इसके बारे में क्या कहते हैं, वो याद कर लो तो सारी जिंदगी संवर जाएगी.
अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् |
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ||
अर्थात व्यास के 18 पुराणों में सिर्फ दो ही बातें लिखी हैं. दूसरों पर उपकार करना पुण्य है और किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ा पाप है.
5. सुबह बिस्तर जल्दी छोड़ें:
कहते हैं कि सावन में यदि भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करनी है तो सुबह जल्दी जागना होगा. सिर्फ सावन में जल्दी उठने से क्या होगा. ये वही लॉजिक है कि संडे को देर तक सो लो तो पूरे हफ्ते की थकान उतर जाती है. या दो दिन न खाओ उसके बाद दोनों दिन का एक ही दिन खा लो तो पेट दो दिन की भूख कवर कर लेगा.
भैया अगर स्वस्थ रहना है, काम में तरक्की करनी है, शिव जी को प्रसन्न करना है तो सिर्फ एक महीने से कुछ नहीं होगा. सावन का महीना स्पेशल है लेकिन बाकी के महीने शिव सोते नहीं रहते हैं.
6. पति-पत्नी के लिए खास सूचना:
पति पत्नी को सावन के महीने में एक दूसरे से दूर रहना है अर्थात ब्रह्मचर्य का पालन करना है. नहीं तो भोलेनाथ कुपित हो जाएंगे. ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में संभोग करने से गर्भ धारण करने के ज्यादा चांसेज रहते हैं. और व्रत उपवास कर रही महिला कमजोर होती है इसलिए गर्भ उसके लिए खतरनाक हो सकता है. पहली बात तो ये कि सबसे ज्यादा गर्भ धारण फरवरी में होते हैं क्योंकि उसी महीने में वैलेंटाइन्स डे होता है. दूसरी बात सावन में अगर गर्भ धारण हो भी जाता है तो उसका बुरा असर नहीं पड़ने वाला. गर्भ की प्रोसेस 9 महीने की होती है, सावन के व्रत उपवास का असर 9 महीनों तक नहीं रहता. हां ये अलग बात है कि व्रत उपवास के समय सेक्स का मन शायद ही लोगों का बनता हो. और अगर किसी एक का बनता भी होगा तो दूसरा भी तैयार हो, ऐसा नहीं लगता.
7. शराब से दूर रहें:
सावन के महीने में शराब से दूर रहना चाहिए क्योंकि इससे शरीर का तापमान बढ़ता है. ठंढाई से नहीं बढ़ता तभी तो उसका नाम ठंढाई है. वैसे कुछ खाना या पीना पर्सनल मामला है, इस पर शिव जी ही रोक लगा सकते हैं. हम कुछ कहेंगे तो अभी ट्रोल कर लोगे. फिर भी बता रहे हैं कि कोई भी चीज जो आपके दिमाग पर कंट्रोल करे, वो खाना पीना ठीक नहीं है. अगर झेलने की ताकत है तो चाहे जो पियो, कच्ची या पक्की, खुशी में चाहे गम में, लेकिन एक ढक्कन में चढ़ जाती है तो क्या सावन क्या भादों, हाथ जोड़ लो, भगवान भोलेनाथ कल्याण करें.
सोर्स:लल्लनटॉप
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