भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की बदौलत भारत आज परमाणु महाशक्ति बन गया है। पहले परमाणु परीक्षण से लेकर मिसाइल टेक्नोलॉजी के जनक डॉ. कलाम अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन आज भी उनके दिखाए रास्ते पर चलकर दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल बनाने में जुटे हैं
दरअसल, भारतीय वैज्ञानिक एक ऐसी मिसाइल पर काम कर रहे हैं, जो भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह अपने लक्ष्य को भेदकर वापस आ जाएगी। भारतीय वैज्ञानिकों को कई मायनों में सफलता भी मिल चुकी है।
बता दें कि इस बेहतरीन मिसाइल को तैयार करने का श्रेय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को दिया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति के पुराने नोट्स इस मिसाइल के निर्माण में काफी मदद कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो ब्रम्होस सीरीज की आने वाली मिसाइलें लक्ष्य भेदकर वापस लौटने वाली दुनिया की पहली मिसाइल बन जाएगी। आपको बता दें कि भारत के पास अभी तक सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 की मारक क्षमता 6000 किमी है, यानी इसकी जद में आधी दुनिया है।
ब्रह्मोस एरोस्पेस के सीईओ के अनुसार, पूरी दुनिया के पास अभी तक ऐसी मिसाइलें हैं, जो लक्ष्य भेदने के साथ वहीं पर समाप्त हो जाती हैं। लेकिन हम ठीक वैसी मिसाइल बना रहे हैं, जैसे सुदर्शन चक्र दुश्मन पर वार कर वापस लौट आता था।
सोर्स:लाइव इंडिया
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