हिंदुस्तान में लोग सोशल मीडिया एकाउंट सोशल होने के लिए कम, गर्व करने के लिए ज़्यादा बनाते हैं. किसी को जाति पर गर्व है, किसी को अपनी जाति की महिलाओं के जल कर मर जाने पर गर्व है. और तो और लोगों को वीडियो बनाकर गाली दे रहे फर्जी फौजियों पर भी गर्व है. इन सबके बीच इसरो के वैज्ञानिकों ने एक साथ 104 सैटलाइट एक रॉकेट पर अंतरिक्ष में भेज कर हमें गर्व करने का सही कारण दिया है.
जिस परिस्थिति और बजट में इसरो के वैज्ञानिक पूरी लगन के साथ काम कर रहे हैं वो अद्भुत है. बात करते हैं तमाम उन कारणों की जिनके चलते इसरो ने बार-बार हमें गर्व करने का मौका दिया है-
# नवाज़ शरीफ के लॉन तक अब नज़र रख सकते हैं हम
श्री हरिकोटा से लॉन्च हुए इस रॉकेट में सिर्फ 104 की गिनती ही इंपॉर्टेंट नहीं है. इसरो के भेजे इन सैटलाइट्स में कार्टोसैट-2 सीरीज़ की सैटेलाइट भी शामिल है. इसे खास तौर पर हमारे पड़ोसी मुल्कों पर नज़र रखने के लिए बनाया गया है.
इस सैटेलाइट के ज़रिए हम पाकिस्तान और चीन के इलाकों की 1 मीटर से कम विस्तार तक की तस्वीरें ले सकते हैं. एक मीटर तक तस्वीरें लेने का मतलब है कि एक मेज पर क्या रखा है, इसका अंदाज़ा इस सैटेलाइट के कैमरे से लगया जा सकता है.
बाकी के 103 सैटेलाइट में अमेरिका, इज़राइल, नीदरलैंड, स्विटज़रलैंड, यूएई, और कज़ाकिस्तान के सैटेलाइट शामिल हैं. इस मिशन के लिए जिस रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है, वो इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट है.
इसी रॉकेट के ज़रिए चंद्रयान और मंगल मिशन को अंतरिक्ष में भेजा गया था. वैसे आपको बता दें कि पाकिस्तान का स्पेस मिशन हमसे पहले शुरू हुआ था, मगर वो अब तक कुल 3 सैटेलाइट ही अंतरिक्ष में भेज पाए हैं.
# बैलगाड़ी वाले मुल्क से अंतरिक्ष सुपर पावर तक
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साइकिल पर जाता पहला रॉकेट और बैलगाड़ी पर सैटलाइट |
जब हिंदुस्तान का मंगल मिशन कामयाब हुआ था तो न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक कार्टून छापा था जिसमें गाय लिए हुए एक आदमी अंतरिक्ष एलीट क्लब का दरवाजा खटखटा रहा है. इसको देखकर कई लोग आहत हो गए. मगर इसरो का पहला रॉकेट साइकिल पर ले जाया गया था. हिंदुस्तान के पहले कम्युनिकेशन सैटेलाइट ऐपल को वैज्ञानिक बैलगाड़ी पर रख कर लॉन्च साइट तक ले गए थे.
इसरो वालों की लगन देखकर फ्रेंच और रशियन स्पेस एजेंसियां इतनी प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिंदुस्तान के सैटेलाइट्स को फ्री में अंतरिक्ष में भेजा था.
# अमेरिका ने पहले मालिक बनना चाहा अब किराएदार है
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न्यूयॉर्क टाइम्स का कार्टून |
अमेरिका ने पहले हमारे स्पेस मिशन को ये कहकर खारिज किया कि भूख से लड़ रहा देश स्पेस में सैटेलाइट कैसे भेज सकता है. अमेरिका के विरोध के चलते इसरो को रूस ने 1992 में क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक नहीं दी.
इसके बाद अगले 2 साल में इसरो ने बेहतर तकनीक डेवलप कर ली 2014 से अमेरिका हमारे रॉकेट्स पर अपने सैटेलाइट भेज रहा है.
# दुनिया में सबसे भरोसेमंद
इसरो का स्पेस मिशन दुनिया में सबसे भरोसेमंद माना जाता है. साल 2000 से अब तक इसरो का कोई भी मिशन फेल नहीं हुआ है.
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चंद्रयान मिशन
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# मस्ती के साथ रहते हैं हमारे वैज्ञानिक
इसरो के वैज्ञानिकों के लिए वर्क हार्ड, पार्टी हार्डर वाली कहावत फिट बैठती है. देश के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक अब्दुल कलाम वीणा बजाने के शौकीन थे. इसरो चीफ राधाकृष्णन कथकली और कर्नाटक संगीत के शौकीन हैं, इसमें ट्रेंड भी हैं और स्टेज पर परफॉर्म भी कर चुके हैं.
किसी आम हिंदुस्तानी महिलाओं की तरह दिख रहीं इन औरतों की तस्वीरें देखिए. ये मंगल मिशन और लेटेस्ट कम्प्यूटर्स पर काम करने वाली वैज्ञानिक हैं. कपड़ों से इम्पावर्ड होने आहत होने वाले लोगों को ये तस्वीर थोड़ी देर रुक कर देखनी चाहिए.

सोर्स:लल्लनटॉप
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