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यूं तो पूरे देश में नवरात्र की धूम है, लेकिन कोलकाता की बात ही कुछ अलग है। पूरा शहर दुर्गा पूजा-मय है। शहर के जिस किसी भी गली-मोहल्ले से गुजरिए बेहतरीन कलाकारी को दर्शाता पूजा पंडाल आपको मिल जाएगा। हर-एक पूजा पंडाल खास है। इसकी वजह भी है। दरअसल,

ये पंडाल अलग-अलग थीम पर आधारित हैं। यही कलाकारी इन्हे एक दूसरे अलग करती है।

पंडालों की परिक्रमा के दौरान अनायास ही यह आभास होता है कि कोलकाता को कलाकारों का शहर बेवजह नहीं कहा जाता। आलम यह है कि यह शहर मानो आर्ट गैलरी में तब्दील हो गया है। शहर के सभी पंडालों की परिकल्पना कलाकारों ने अपने हिसाब से की है। पंडालों को सजाने के लिए बड़े कलाकार तो आगे आए ही, दुर्गा पूजा पंडाल इन्डियन कॉलेज ऑफ आर्ट्स एन्ड क्राफ्टमेनशिप व गवर्नमेन्ट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट के छात्र भी पीछे नहीं रहे।

उत्तर कोलकाता के विधान सारणी सारणी में पूजा आयोजकों ने इस बार अनोखे थीम पर काम किया है। विषय है शिव गुफा।

अंधेरी गुफा में नगा साधु शिव की अराधना में लीन दिखाई दे रहे हैं। वहीं, नगाओं को नृत्य करते भी दिखाया गया है।
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इसी तरह, श्यामपुकुर क्षेत्र में आदि सार्वजनीन कमेटी में इस बार बच्चों के पार्क थीम को जगह दी है।

अंधाधुंध शहरीकरण की वजह से बच्चों का जीवन प्रभावित हो रहा है। पतंग, बल्ले और गेंदों के जरिए इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की पुरजोर कोशिश की गई है।
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हाथीबागान दुर्गोत्सव समिति ने इस बार अपने पंडाल के थीम के लिए ऐसा विषय चुना है, जिस पर पूरी दुनिया की नजर है।

आयोजकों ने इस बार पर्यावरण सचेतनता को तरजीह दी है। पंडाल को बनाने व सजाने में प्लास्टिक की पुरानी चीजों का इस्तेमाल किया गया है। कभी फेंक दिए गए प्लास्टिक के बोतलों को आयोजकों ने ऐसा रूप दिया है कि दिल बाग-बाग हो जाए।
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वहीं, कोलकाता के दर्जीपाड़ा में स्थित सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति ने इस बार सर्वशिक्षा अभियान को अपना थीम बनाया है। इस कमेटी ने अपने पंडाल के माध्यम से शिक्षा के महत्ता को समझाने की कोशिश की है।

कमेटी का उद्देश्य है कि शिक्षा प्रत्येक आदमी तक पहुंचे। पंडाल को पेन्सिल और अलग-अलग किताबों के जरिए अभिनव तरीके से सजाया गया है। कलाकारों ने इस नए थीम के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है कि किताबें आपको एक अलग मुकाम तक ले जा सकती हैं।
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लाहा कॉलोनी मैदान में जो पंडाल बनाया गया है इस पर पर्यावरण संरक्षण के संदेश की छाप दिखती है। कारीगरों ने यह पूरा पंडाल बांस से बनाया है। सजावट में बांस का बखूबी इस्तेमाल किया गया है।

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सिकदर बागान दुर्गोत्सव समिति ने भी इस बार कुछ अलग हटकर करने की सोची है।

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लगातार आ रही नई तकनीक की वजह से आदमी मशीन बन गया है और मशीनों का गुलाम हो गया है। यह थीम है काशी बोस लेन की दुर्गा पूजा का।

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सोर्स:टॉप यप्स 
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