चुनावी मौसम हो या कहीं कोई नया प्रोडक्ट लॉन्च हुआ हो. चाहे नई पिच्चर
टोरेंट पर लीक हो गई हो. अपडेटेड रहना अनिवार्यता है. वो भी कम से कम समय
में. लम्बे लेख पढ़ने का समय नहीं है. ऐसे में हमारे ‘रेस्क्यू रेंजर्स’ बन
कर आते हैं, लिस्टिकल्स.
ऐसे आर्टिकल्स जो लिस्ट वाले हों. कुछ पॉइंट्स हों. ‘10 कारण जो मुंबई को दिल्ली से बेहतर शहर बनाते हैं’ या ‘7 जगहें जहां आपको ज़िन्दगी में एक बार जाना ही चाहिए’. इस तरह के आर्टिकल इंटरनेट पर खूब चलते हैं. हम लोग ढूंढ-ढूंढ के पढ़ते हैं.
पर इसके पीछे क्या रीजन है जो हम लोग लिस्टिकल्स पढ़ने में इतने इंटरेस्टेड रहते हैं. हम बताते हैं. वो भी लिस्ट बना कर.
आप मेट्रो में सफ़र कर रहे हैं. एक लम्बा सा आर्टिकल दिखा. ‘सफल होने के तरीके’. आप उसको शायद इतना सीरियसली नहीं लेंगे. लेकिन कहीं अगर मिल जाए ‘सफल होने के 5 तरीके’. आप पक्का क्लिक करेंगे. आपके दिमाग़ में एक बेसिक मैप बन जाएगा कि इन 5 पॉइंट्स को पढ़ने के बाद आपको सफल होंने का कुछ ना कुछ गुर तो मिल ही जाएगा. चाहे आप एक-एक पॉइंट पूरा ना पढ़ा करें लेकिन हेडिंग पढ़ कर आपको एक आइडिया लग जाएगा. आर्टिकल की शुरुआत में ही आप समझ जाएंगे कि आपको उसे पढने में कितना टाइम लगेगा. अगर 5 पॉइंट हैं तो आप शायद तुरंत पढ़ लेंगे. अगर 34 पॉइंट्स हैं तो आप उसे बाद के लिए सेव कर लेंगे. *विन-विन*
लिस्टिकल्स में बहुत अपनापन होता है. एक-एक पॉइंट को पढ़ कर लगता है जैसे बिलकुल हमारे लिए ही लिखा गया हो. नई बातें पता चलती हैं. समझ आता है कि इस तरह की बातें सोचने वाले हम अकेले नहीं हैं. बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके दिमाग हमारी ही तरह ढेर फितूरी चलते है. ‘वसुधैव कुटुम्बकम ‘ पर विश्वास पक्का हो जाता है.
स्कूल में जब लम्बे आंसर लिखने होते थे. टीचर कहती थीं पॉइंट में लिखना. हमारे लिए लिखना भी आसान हो जाता था. टीचर के लिए समझना भी. सेम टू सेम वही वाला हाल है. किसी एक बात के लिए पूरा पन्ना पढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ती. एकदम कॉम्पैक्ट और क्रिस्प सी भाषा होती है. मुद्दे की बात दो लाइन में समझ आ जाती है.
कोई बोरिंग सा असाइनमेंट कर रहे हैं? किसी कलीग ने दिमाग़ का दही कर के रखा है? या बॉस से बहुत कर्री वाली डांट पड़ी है? काम करने में मन नही लग रहा? कोई बात नहीं बालक. जाओ सोशल मीडिया पर ऐसा कोई लिस्टिकल देख लो जो ‘देश के 10 घूमने लायक जगहें’ दिखा दे. अंडमान का बीच, नार्थ-ईस्ट की पहाड़ियां. हसीन वादियां. बस. अपने डेस्क पर बैठे-बैठे देश भ्रमण कर आए. दिल खुश हो गया. माइंड एकदम फ्रेश. अब फिर से अपने काम में जुटने के लिए दिमाग नए सिरे से तैयार हो गया.
दुनिया की सबसे बढ़िया चीज़ हैं gif. कुछ भी समझ न आया हो उसकी कसर gif पूरी कर देते हैं. भले ही उन gif का उस पॉइंट से कोई सीधा रिश्ता ना हो लेकिन वो इत्ते क्यूट होते हैं कि आधे से ज्यादा लोग ये सब आर्टिकल gifs के लिए ही पढ़ते हैं.
सोर्स:लल्लनटॉप
ऐसे आर्टिकल्स जो लिस्ट वाले हों. कुछ पॉइंट्स हों. ‘10 कारण जो मुंबई को दिल्ली से बेहतर शहर बनाते हैं’ या ‘7 जगहें जहां आपको ज़िन्दगी में एक बार जाना ही चाहिए’. इस तरह के आर्टिकल इंटरनेट पर खूब चलते हैं. हम लोग ढूंढ-ढूंढ के पढ़ते हैं.
पर इसके पीछे क्या रीजन है जो हम लोग लिस्टिकल्स पढ़ने में इतने इंटरेस्टेड रहते हैं. हम बताते हैं. वो भी लिस्ट बना कर.
रस्ते का माल सस्ते में:
आप मेट्रो में सफ़र कर रहे हैं. एक लम्बा सा आर्टिकल दिखा. ‘सफल होने के तरीके’. आप उसको शायद इतना सीरियसली नहीं लेंगे. लेकिन कहीं अगर मिल जाए ‘सफल होने के 5 तरीके’. आप पक्का क्लिक करेंगे. आपके दिमाग़ में एक बेसिक मैप बन जाएगा कि इन 5 पॉइंट्स को पढ़ने के बाद आपको सफल होंने का कुछ ना कुछ गुर तो मिल ही जाएगा. चाहे आप एक-एक पॉइंट पूरा ना पढ़ा करें लेकिन हेडिंग पढ़ कर आपको एक आइडिया लग जाएगा. आर्टिकल की शुरुआत में ही आप समझ जाएंगे कि आपको उसे पढने में कितना टाइम लगेगा. अगर 5 पॉइंट हैं तो आप शायद तुरंत पढ़ लेंगे. अगर 34 पॉइंट्स हैं तो आप उसे बाद के लिए सेव कर लेंगे. *विन-विन*
हम सब एक हैं
लिस्टिकल्स में बहुत अपनापन होता है. एक-एक पॉइंट को पढ़ कर लगता है जैसे बिलकुल हमारे लिए ही लिखा गया हो. नई बातें पता चलती हैं. समझ आता है कि इस तरह की बातें सोचने वाले हम अकेले नहीं हैं. बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके दिमाग हमारी ही तरह ढेर फितूरी चलते है. ‘वसुधैव कुटुम्बकम ‘ पर विश्वास पक्का हो जाता है.
टू द पॉइंट बातें
स्कूल में जब लम्बे आंसर लिखने होते थे. टीचर कहती थीं पॉइंट में लिखना. हमारे लिए लिखना भी आसान हो जाता था. टीचर के लिए समझना भी. सेम टू सेम वही वाला हाल है. किसी एक बात के लिए पूरा पन्ना पढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ती. एकदम कॉम्पैक्ट और क्रिस्प सी भाषा होती है. मुद्दे की बात दो लाइन में समझ आ जाती है.
मूड फ्रेशनर
कोई बोरिंग सा असाइनमेंट कर रहे हैं? किसी कलीग ने दिमाग़ का दही कर के रखा है? या बॉस से बहुत कर्री वाली डांट पड़ी है? काम करने में मन नही लग रहा? कोई बात नहीं बालक. जाओ सोशल मीडिया पर ऐसा कोई लिस्टिकल देख लो जो ‘देश के 10 घूमने लायक जगहें’ दिखा दे. अंडमान का बीच, नार्थ-ईस्ट की पहाड़ियां. हसीन वादियां. बस. अपने डेस्क पर बैठे-बैठे देश भ्रमण कर आए. दिल खुश हो गया. माइंड एकदम फ्रेश. अब फिर से अपने काम में जुटने के लिए दिमाग नए सिरे से तैयार हो गया.
gifs आर ऑसम
दुनिया की सबसे बढ़िया चीज़ हैं gif. कुछ भी समझ न आया हो उसकी कसर gif पूरी कर देते हैं. भले ही उन gif का उस पॉइंट से कोई सीधा रिश्ता ना हो लेकिन वो इत्ते क्यूट होते हैं कि आधे से ज्यादा लोग ये सब आर्टिकल gifs के लिए ही पढ़ते हैं.
सोर्स:लल्लनटॉप
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