नई दिल्ली : भारतीय टीम शुक्रवार से यहां शुरू होने वाले डेविस कप विश्व ग्रुप प्ले ऑफ मुकाबले में पांच बार की चैम्पियन स्पेन से भिड़ने के लिए तैयार है जिसमें स्टार राफेल नडाल सहित विश्व स्तर के खिलाड़ी मौजूद है। स्पेन की टीम एलीट विश्व ग्रुप में स्थान हासिल करने के लिये बेताब है।
विश्व ग्रुप प्ले ऑफ मुकाबला हालांकि भारत के एकल खिलाड़ी साकेत मायनेनी (चार) और रामकुमार रामनाथन (1) के लिए अच्छा मौका होगा जिनके पास मिलाकर डेविस कप करियर के नाम पर केवल पांच मैच खेलने का अनुभव है। ये दोनों सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के खिलाफ खुद की परीक्षा ही नहीं करना चाहेंगे बल्कि उनसे काफी कुछ सीखना भी चाहेंगे।
भारतीय टेनिस प्रशंसकों के लिये भी यह जीवन में एक बार मिलने वाला मौका होगा क्योंकि उन्हें इस दौरान 14 बार के ग्रैंडस्लैम चैम्पियन नडाल को प्रतिस्पर्धी मैच में खेलते हुए देखने का मौका मिलेगा। यह खिलाड़ी हालांकि पिछले कुछ समय से जूझ रहा है लेकिन उन्हें कभी भी कमतर नहीं माना जा सकता है।
साथ
ही भारत के पास इतने एटीपी टूर्नामेंट नहीं हैं जिसमें टेनिस स्टार जैसे
नडाल, डेविड फेरर (दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी) और फ्रेंच ओपन
चैम्पियन फेलिसियानो लोपेज (विश्व रैंकिंग में 26वें स्थान पर) और मार्क
लोपेज (युगल में विश्व रैंकिंग में 15वें स्थान पर) आकर खेल सकते हैं।
दुनिया के चौथे नंबर के खिलाड़ी नडाल स्पेन के पांच में से चार डेविस कप खिताबी जीत (2004, 2008, 2009, 2011) में अहम भूमिका निभा चुके हैं और फेरर ने भी तीन खिताबों (2008, 2009, 2011) में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। स्पेन के इन चारों खिलाड़ियों - नडाल (16), फेरर (18), फेलिसियानो लोपेज (22) और मार्क लोपेज (09) के पास मिलाकर 65 डेविस कप मुकाबलों का अनुभव है।
भारत के एकल खिलाड़ियों को सिर्फ पांच मैचों का अनुभव है जिसमें से रामकुमार ने दो महीने पहले ही चंडीगढ़ में कोरिया के खिलाफ अपना डेविस कप आगाज किया है। सुमित नागल को अगर एक मैच मिलता है तो उनके लिये अच्छा होगा। भारतीय टीम उम्मीद करेगी कि 53 मैचों के अनुभवी लिएंडर पेस से इन गैर अनुभवी खिलाड़ियों की बेहतरीन अगुवाई करें।
इन विश्व स्तरीय खिलाड़ियों के खिलाफ खेलते हुए हार मिलने पर कोई भी सवाल नहीं उठायेगा लेकिन जिस तरह से भारतीय खिलाड़ी भिड़ते हैं और चुनौती देते हैं, उस पर निश्चित रूप से सभी की निगाहें लगी होंगी। जैसा कि पेस ने कहा है, गंवाने के लिये कुछ नहीं है, मायनेनी और रामकुमार को अपने मैचों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।
28 वर्षीय मायनेनी अमेरिकी ओपन में एक मुकाबला खेलकर आ रहे हैं, बल्कि उन्होंने क्वालीफायर के जरिये मुख्य ड्रा में जगह बनायी थी। उन्होंने अमेरिकी ओपन में अपने पहले राउंड में जिरी वेसेली के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन किया था। मायनेनी की सर्विस मजबूत है और उनके मैदानी स्ट्रोक्स भी बेहतर हैं लेकिन उनकी फिटनेस हमेशा चिंता का विषय रहती है। वह बहुत जल्दी ‘डीहाईड्रेट’ हो जाते हैं जिससे उन्हें मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है।
पेस डेविस कप के इतिहास में सबसे सफल युगल खिलाड़ी बनने से महज एक जीत दूर हैं। वह 42 युगल मुकाबले जीतकर अभी संयुक्त रूप से इटली के महान खिलाड़ी निकोला पिएट्रांगेली के साथ हैं। हालांकि वह और रोहन बोपन्ना अच्छी तरह सांमजस्य नहीं बना पाये, लेकिन अगर बोपन्ना खेलते तो भारत का युगल संयोजन बेहतर होता और इस अनुभवी भारतीय के पास यह रिकार्ड बनाने का बेहतरीन मौका होता।
अगर मायनेनी थकते नहीं हैं और अगले दिन के युगल मैच में खेलने के लिये ठीक रहते हैं तो उनके पेस के साथ युगल में खेलने की संभावना है। शीर्ष 100 में एक भी खिलाड़ी नहीं होने के बावजूद भारत ने लगातार प्ले आफ चरण में पहुंचकर खुद को एशियाई क्षेत्र में मजबूत बना लिया है। लेकिन विश्व ग्रुप में जगह बनाने के लिये और इसमें बरकरार रहने के लिये टीम को बेहतरीन एकल खिलाड़ियों को ढूंढने की जरूरत है। वर्ना टीम केवल एशिया-ओसनिया ग्रुप में ही खेलती रहेगी।
दुनिया के चौथे नंबर के खिलाड़ी नडाल स्पेन के पांच में से चार डेविस कप खिताबी जीत (2004, 2008, 2009, 2011) में अहम भूमिका निभा चुके हैं और फेरर ने भी तीन खिताबों (2008, 2009, 2011) में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। स्पेन के इन चारों खिलाड़ियों - नडाल (16), फेरर (18), फेलिसियानो लोपेज (22) और मार्क लोपेज (09) के पास मिलाकर 65 डेविस कप मुकाबलों का अनुभव है।
भारत के एकल खिलाड़ियों को सिर्फ पांच मैचों का अनुभव है जिसमें से रामकुमार ने दो महीने पहले ही चंडीगढ़ में कोरिया के खिलाफ अपना डेविस कप आगाज किया है। सुमित नागल को अगर एक मैच मिलता है तो उनके लिये अच्छा होगा। भारतीय टीम उम्मीद करेगी कि 53 मैचों के अनुभवी लिएंडर पेस से इन गैर अनुभवी खिलाड़ियों की बेहतरीन अगुवाई करें।
इन विश्व स्तरीय खिलाड़ियों के खिलाफ खेलते हुए हार मिलने पर कोई भी सवाल नहीं उठायेगा लेकिन जिस तरह से भारतीय खिलाड़ी भिड़ते हैं और चुनौती देते हैं, उस पर निश्चित रूप से सभी की निगाहें लगी होंगी। जैसा कि पेस ने कहा है, गंवाने के लिये कुछ नहीं है, मायनेनी और रामकुमार को अपने मैचों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।
28 वर्षीय मायनेनी अमेरिकी ओपन में एक मुकाबला खेलकर आ रहे हैं, बल्कि उन्होंने क्वालीफायर के जरिये मुख्य ड्रा में जगह बनायी थी। उन्होंने अमेरिकी ओपन में अपने पहले राउंड में जिरी वेसेली के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन किया था। मायनेनी की सर्विस मजबूत है और उनके मैदानी स्ट्रोक्स भी बेहतर हैं लेकिन उनकी फिटनेस हमेशा चिंता का विषय रहती है। वह बहुत जल्दी ‘डीहाईड्रेट’ हो जाते हैं जिससे उन्हें मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है।
पेस डेविस कप के इतिहास में सबसे सफल युगल खिलाड़ी बनने से महज एक जीत दूर हैं। वह 42 युगल मुकाबले जीतकर अभी संयुक्त रूप से इटली के महान खिलाड़ी निकोला पिएट्रांगेली के साथ हैं। हालांकि वह और रोहन बोपन्ना अच्छी तरह सांमजस्य नहीं बना पाये, लेकिन अगर बोपन्ना खेलते तो भारत का युगल संयोजन बेहतर होता और इस अनुभवी भारतीय के पास यह रिकार्ड बनाने का बेहतरीन मौका होता।
अगर मायनेनी थकते नहीं हैं और अगले दिन के युगल मैच में खेलने के लिये ठीक रहते हैं तो उनके पेस के साथ युगल में खेलने की संभावना है। शीर्ष 100 में एक भी खिलाड़ी नहीं होने के बावजूद भारत ने लगातार प्ले आफ चरण में पहुंचकर खुद को एशियाई क्षेत्र में मजबूत बना लिया है। लेकिन विश्व ग्रुप में जगह बनाने के लिये और इसमें बरकरार रहने के लिये टीम को बेहतरीन एकल खिलाड़ियों को ढूंढने की जरूरत है। वर्ना टीम केवल एशिया-ओसनिया ग्रुप में ही खेलती रहेगी।
भाषा/ज़ी न्यूज़
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