आलिया भट्ट दिखाई पड़ीं कॉस्मोपॉलिटन
मैगजीन के कवर पर. क्यूट सी लग रही हैं, जैसी वो हैं. अंदर उनका इंटरव्यू
है, जिसमें उन्होंने बताया है कि वो फेमिनिस्ट नहीं हैं.
बस ये बात ट्विटर पर उड़ी, और लोगों ने मौज ले ली उनकी. ट्रॉल किया, फेमिनिज्म की जानकारी न होने पर. जिसका जवाब भी दिया आलिया ने. लेकिन हमें लगा इसी बहाने हम फेमिनिज्म पर बातें कर लें. वैसे तो आप समझदार हैं, लेकिन आगे लिखे पॉइंट्स पढ़कर रहे-सहे शुबहे दूर हो जाएंगे.
सोर्स:लल्लनटॉप
बस ये बात ट्विटर पर उड़ी, और लोगों ने मौज ले ली उनकी. ट्रॉल किया, फेमिनिज्म की जानकारी न होने पर. जिसका जवाब भी दिया आलिया ने. लेकिन हमें लगा इसी बहाने हम फेमिनिज्म पर बातें कर लें. वैसे तो आप समझदार हैं, लेकिन आगे लिखे पॉइंट्स पढ़कर रहे-सहे शुबहे दूर हो जाएंगे.
1. फेमिनिज्म पुरुषों को गरियाना है
औरतों की हालत पुरुषों की वजह से खराब है. पुरुष बुरे होते हैं. औरतों को समझते नहीं. ये फेमिनिज्म के सबसे बड़े झूठ हैं. औरतों की हालत पुरुषवादी सोच की वजह से खराब है. सिर्फ औरतों की नहीं, पुरुषों की भी. और हर उस व्यक्ति की जो खुद को स्त्री या पुरुष नहीं कहलाना चाहता.2. सिर्फ औरतें ही फेमिनिस्ट होती हैं
बराबरी के अधिकारों के लिए लड़ना सिर्फ महिलाओं का काम नहीं है. औरतों और पुरुषों को बराबर मानने वाला और उनकी बराबरी के लिए लड़ने वाला कोई भी इंसान फेमिनिस्ट हो सकता है.3. नशा करना फेमिनिज्म है
अगर आपको ऐसा लगता है कि सिगरेट फूंकती लड़कियां फेमिनिस्ट होती हैं, तो आप गलत हैं. जो असल में फेमिनिस्ट है, उन्हें अपने फैसले लेने का अधिकार है. एक औरत के पास ये छूट होना कि वो नशा कर सके, फेमिनिज्म है. जो उसे सिर्फ इसलिए बुरा मानते हैं कि वो लड़की होकर नशा करती है, उनके खिलाफ लड़ना फेमिनिज्म है.4. फेमिनिज्म मातृसत्ता है
आप गलत हैं अगर आपको लगता है कि पुरुषों से जगह बदल लेने पर औरतों की हालत ठीक हो जाएगी. अगर लड़की, लड़के के घर बारात ले कर जाए. और लड़कों को दहेज देना पड़े, अगर लड़कों को बाहर काम करने की इजाज़त न दी जाए. तो ये वो दुनिया नहीं होगी जिसकी कल्पना फेमिनिस्ट करते आए हैं. फेमिनिस्ट विचार ये नहीं है कि सत्ता के ढांचे को पलट दिया जाएं. फेमिनिस्ट विचार ये है कि औरतों और पुरुषों के बीच सत्ता का संबंध ख़त्म हो जाए.5. फेमिनिज्म केवल औरतों की बेहतरी के लिए है
फेमिनिज्म पुरुषवादी सोच से छुटकारा पाना चाहता है. ये पुरुषवादी सोच सिर्फ औरतों के लिए ही नहीं, पुरुषों के लिए भी उतनी ही बुरी है. ये वही सोच है जो ‘मर्दाना’ यानी भारी डील-डौल के न दिखने वाले मर्दों पर हंसती है. जो उनके कवि, पेंटर, ब्यूटीशियन या फैशन डिज़ाइनर होने पे हंसती है. जो उनके संवेदनशील होने का मजाक उड़ाती है. जो उनके गे होने, पिंक पहनने का मजाक उड़ाते हैं. फेमिनिस्ट इसी सोच के खिलाफ हैं.6. सड़कों पर उतर, ब्रा जलाना ही फेमिनिज्म है
नहीं, बल्कि ये फेमिनिज्म का एक हिस्सा है. ये एक तरीका है, जो किसी भी समुदाय को अपनाना ही पड़ता है जब उनकी बातें न सुनी जाएं. ठीक उसी तरह जिस तरह लोग आरक्षण मांगने या स्टूडेंट अपने हक मांगने सड़कों पर उतर आते हैं. बात ब्रा जलाने की. फेमिनिस्ट विचारधारा ये कहती है कि औरतों पर किसी चीज को थोपा नहीं जाना चाहिए. जिन्हें लगता है कि ब्रा पहनना उनपर थोपा जा रहा है, वो उन्हें जलाकर अपना विरोध जताती हैं.7. हर कामयाब औरत फेमिनिस्ट होती है
अगर कोई औरत एक काबिल और बड़ी अभिनेत्री, नेता या किसी कंपनी की मालकिन भी हो, जरूरी नहीं कि वो फेमिनिस्ट हो. फेमिनिज्म एक सोच है, जो पुरुषवादी सोच के खिलाफ है. औरतें पुरुषवादी सोच के साथ भी कामयाब हो सकती है. और जरूरी नहीं कि हर कामयाब महिला औरतों की के हक़ के लिए लड़ना चाहती हो. इसलिए सफल अभिनेत्रियों से बार बार ये सवाल करना की क्या वो फेमिनिस्ट हैं, एक बेकार सवाल है.8. ये एक लेबल है जो आपकी छवि बिगाड़ता है
लोग अक्सर ‘-इस्ट’ और ‘इज्म’ के टैग से खुद को दूर रखना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि इससे उनकी एक छवि बन जाएगी. और दूसरों का उनके बारे में सोचने का दायरा छोटा हो जाएगा. भला सभी लिंगों की बराबरी के लिए लड़ना किसी की छवि कैसे बिगाड़ सकता है? लोग ये भी सोचते हैं कि अगर वे खुद को फेमिनिस्ट कहलाने लगे और बाद में इस लेबल के साथ न्याय नहीं कर पाए, तो उनकी बड़ी बेइज्जती होगी. लेकिन समझ तो सीखते-सीखते आती है. किसी भी विचारधारा के ऊपर संदेह होना ठीक है, पर उससे घबराना नहीं.9. फेमिनिज्म का दूसरा नाम सेक्स है
चूंकि फेमिनिस्ट औरतें खुलकर अपनी सेक्स लाइफ और सेक्स चॉइस के बारे में बात करती हैं, जरूर ही वो ‘ईजी’ सेक्स के लिए तैयार रहती होंगी. एक पुरुष अगर थोड़ा सा ‘ट्राय’ करे तो उन्हें बिस्तर तक ले जा सकता है. फेमिनिज्म का अर्थ ये नहीं कि औरत हमेशा सेक्स के लिए तैयार रहे. बल्कि ये है कि अगर वो हमेशा तैयार रहे, तो उसे बुरा न माना जाए. वो जब चाहे, जिससे चाहे, जहां चाहे सेक्शुअल हो सकती है. कुछ तो ये तक मानते हैं कि सेक्स की इच्छा ही औरत को फेमिनिस्ट बनाती है. और जब औरत को वो पुरुष से नहीं मिलता वो लेस्बियन हो जाती है. सेक्स की चाह रखने वाली लेस्बियन औरतें फेमिनिस्ट हो सकती हैं. लेकिन फेमिनिज्म मात्र लेस्बियन होना, या सेक्स की चाह रखना नहीं है.10. फेमिनिस्ट का एक टाइप होता है
आपने उन्हें हमेशा अपना हक़ मांगते देखा है. इसलिए आपको लगता है वो दिमाग से जरा क्रैक होती हैं. लड़ना उनका शौक होता है. चुटकुले उन्हें समझ नहीं आते. शादी, प्रेम या परिवार पर उनका विश्वास नहीं होता. या फिर जिनके बॉयफ्रेंड नहीं बन पाते वो फेमिनिस्ट बन जाती हैं. या ये वो औरतें होती हैं जो मेकअप नहीं करतीं, शेव नहीं करातीं. या वे मर्दाना होती हैं. ये सच है कि इस तरह के सभी लोग फेमिनिस्ट हो सकते हैं, लेकिन सिर्फ यही फेमिनिस्ट होते हैं, ये तो यही कहना हो गया है कि सिर्फ लंगड़ा आम ही आम होता है. बाकी आम तरबूज होते हैं.सोर्स:लल्लनटॉप
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