भगवान श्रीकृष्ण के बांके बिहारी रूप और बाल लीलाओं के लिए विख्यात मथुरा जिले के वृंदावन में लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं. इसी वृंदावन में एक ऐसी जगह भी मौजूद है, जिसको लेकर मान्यता है कि वहां हर रात भगवान श्रीकृष्ण और राधा रास रचाने आते हैं. निधिवन के नाम से पहचानी जाने वाली इस जगह को लेकर कई ऐसी मान्यताएं हैं, जिन पर विश्वास करना कठिन है. जानिए निधिवन की मान्यताओं और उससे जुड़ी रोचक कहानियों के बारे में
गीली दातून और बिखरा हुआ बिस्तर
निधिवन में मौजूद पंडित और महंत बताते हैं कि हर रात भगवान श्री कृष्ण के कक्ष में उनका बिस्तर सजाया जाता है, दातुन और पानी का लोटा रखा जाता है. जब सुबह मंगला आरती के लिए पंडित उस कक्ष को खोलते हैं तो लोटे का पानी खाली, दातुन गिली, पान खाया हुआ और कमरे का सामान बिखरा हुआ मिलता है
शाम होते ही, सब छोड़ देते हैं वन!
पौराणिक मान्यता है कि निधिवन बंद होने के बाद भी यदि कोई छिपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता है. मंदिर के महंत और आसपास के लोग इससे जुड़े कई किस्से सुनाते हैं. उनके मुताबिक जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रास लीला देखने के लिए निधिवन में छिप गया. जब सुबह निधि वन खुला तो वो बेहोश मिला और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था
ऐसे ही कई भक्तों की कहानियां वहां प्रचलित हैं. दावा ये भी किया जाता है कि वहां मौजूद पशु-पक्षी और यहां तक कि चींटी भी शाम होते ही, वन छोड़ देती हैं.
ज़मीन की ओर बढ़ते हैं पेड़..
निधिवन में मौजूद पेड़ भी अपनी तरह के बेहद ख़ास हैं. जहाँ आमतौर पर पेड़ों की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है, वहीं निधि वन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की और बढ़ती हैं. इन पेड़ों की स्थिति ऐसी है कि रास्ता बनाने के लिए उनकी शाखाओं को डंडो के सहारे फैलने से रोका गया है
नहीं खुलती हैं घरों की खिड़कियां
ऐसी मान्यता है कि जो रात में होने वाले भगवान श्री कृष्ण और राधा के रास को देख लेता है वो पागल या अंधा हो जाता है. इसी कारण निधिवन के आसपास मौजूद घरों में लोगों ने उस तरफ खिड़कियां नहीं लगाई हैं, जिन मकानों में खिड़कियां हैं भी, वो शाम सात बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही उन्हें बंद कर लेते हैं. कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद भी करा दिया है. आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता
जहां बांके बिहारी ने दिए दर्शन!
निधिवन में ही ठा. बिहारी जी महाराज का दर्शन स्थल भी है। मान्यता है कि संगीत सम्राट एवं धुरपद के जनक स्वामी हरिदास भजन गाया करते थे. माना जाता है कि बांकेबिहारी जी ने उनकी भक्ति संगीत से प्रसन्न होकर एक सपना दिया. सपने में कहा कि मैं तुम्हारी साधना स्थल में ही विशाखा कुंड के पास ज़मीन में छिपा हूं. सपने के बाद हरिदास जी ने अपने शिष्यों की मदद से बिहारी जी को निकलवाया और मंदिर की स्थापना की. ये मंदिर आज भी वहां मौजूद है -
एक टिप्पणी भेजें