संजीवनी बूटी का नाम तो सुना ही होगा आप ने। अरे ऐसे कैसे नहीं सुना होगा! जेनरेशन चाहें कोई भी हो रामायण सबने देखी है। लक्ष्मण को शक्ति बाण लग जाता है, वो मरने वाली हालत में आ जाते हैं। दूनिया में वही एक बूटी थी जो लक्ष्मण की जान बचा सकती है। हनुमान जी गए, खूब ढूंढे.. नहीं मिली तो पूरा पहाड़ ही उखाड़ लाए।
अब समस्या तो यही है भैया कि बूटी तब भी नहीं मिली, अब कहां से मिलेगी बताओ! लेकिन कोई सुने तब न। अब उत्तराखंड सरकार इसको ढूंढने के पीछे पड़ गई है। हरीश रावत जी की सीट बच गई तो सोचा थोड़ा पुण्य ही कमा लें। इस काम में सरकारी पैसे झोंक दिए। वो भी 10-20 लाख नहीं, 250 मिलियन रुपये.. कुछ समझे? मतलब 25 करोड़ रुपये बेटे।
हालांकि हिमालय पर ऐसे बहुत सारे पौधे हैं जिनकी औषधीय विशेषताएं हैं पर वैज्ञानिक सदियों से संजीवनी बूटी ढूंढ रहे हैं। उसी राज्य के मंत्री हैं सुरेंद्र सिंह नेगी, उन्होंने कहा है कि – हमें ये कोशिश करनी ही है और ये बेकार नहीं जाएगी। हम संजीवनी ढूंढ निकालेंगे। वैज्ञानिक इसपर अगस्त से काम करना शुरू कर देंगे। उत्तराखंड सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से भी पैसे मांगे पर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। अब जिस चीज़ के होने की प्रामाणिकता है ही नहीं, उसके लिए कोई क्यों पैसे फूंके भला!
वैसे एक फ़र्क देखने को मिला है. वो ये कि इंडिया का 5000 साल पुराना आयुर्वेद अब दोबारा काम में आ रहा है। ‘आयुष’ के बारे में तो आप ने सुना ही होगा।
हरीश जी सोच रहे होंगे कि पता नहीं कुर्सी कबतक रहेगी, तो संजीवनी ढूंढ कर पैसे ही कमा लें अपने खाते में। ख़ैर, हम कुछ न कहेंगे भैया, बड़े लोगों का खेल है ये।
सोर्स:फिरकी.इन
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