सावन
का महीना 16 जुलाई से शुरु हो रहा है और 18 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा
यानी रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा। शास्त्रों में बताया गया है कि सावन
का महीना भगवान शिव का महीना होता है क्योंकि इस महीने में भगवान
विष्णु पाताल लोक में रहते हैं इसलिए भगवान शिव ही पालनकर्ता भगवान
शिव के कामों को भी देखते हैं। यानी सावन के महीने में त्रिदेवों की सारी
शक्ति भगवान शिव के पास रहती है। इसलिए इस महीने में भगवान शिव की
पूजा अन्य दिनों की अपेक्षा जल्दी फलदायी होती है। लेकिन इस महीने में कई
सावधानी बरतने की भी जरुरत होती है क्योंकि कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें
सावन में करने से शिव अप्रसन्न हो जाते हैं।
यूं तो परिवार में कलह को कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है लेकिन सावन के महीने में जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद और अपश्ब्दों का प्रयोग हानिकारक होता है। इन दिनों शिव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बढ़ता है इसलिए किसी बात से मन मुटाव की आशंका होने पर शिव पार्वती की पूजा करनी चाहिए और प्रेम एवं सामंजस्य के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
सावन का दूसरा मतलब सात्विकता का पालन है क्योंकि शिव इन दिनों विष्णु के कार्य का भी संचलन करते हैं इसलिए सावन में मांस, मंदिरा के सेवन से परहेज करना चाहिए। इससे मन शांत रहेगा और काम क्रोध की भावना पर नियंत्रण रखने में आसानी होगी।
शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में दूध का सेवन अच्छा नही होता है। यही कारण है कि सावन में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने की बात कही गई है। इससे वात संबंधी दोष से बचाव होता है।
सावन के महीने में बैंगन नहीं खाना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है इसलिए द्वादशी, चतुर्दशी के दिन और कार्तिक मास में भी इसे खाने की मनाही है।
सावन के महीने में प्रति दिन भगवान शिव का जलाभिषेक कई जन्मों के पाप के प्रभाव को कम कर देता है। इसलिए शास्त्रों में बताया गया है सावन में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान करके भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। देर तक सोने से यह अवसर हाथ से चला जाता है और शिव की कृपा से वंचित रह जाते हैं।
सावन का महीना शिव का महीना है इसलिए इस महीने में शिव भक्तों का अपमान न करें। भगवान शिव के भक्तों का सम्मान शिव की सेवा के समान फलदायी होता है। यही कारण है कि कई लोग कांवड़ियों की सहायता करते हैं।
सावन के महीने में साग का सेवन भी शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं है। माना जाता है कि इससे सेहत पर बुरा प्रभ्ााव पड़ता है।
इस महीने में सांढ़ अगर घर के दरवाजे पर आए तो उसे मार कर भगाने की बजाय कुछ खाने को दें। सांढ को मारना शिव की सावारी नंदी का अपमान माना जाता है।
क्रोध में किसी को अपशब्द नहीं कहें और बड़े बुजुर्गों सम्मान करें।
सोर्स:अमरउजाला
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