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मध्य प्रदेश के बुरहानपुर स्थित असीरगढ़ किले में खुदाई में सुरंगनुमा इमारत निकली है.


पुरातत्व विभाग का कहना है कि यह वह जेल है, जहां 1857 के क्रांतिकारियों को गुप्त रूप से बंदी बनाकर रखा गया था और बाद में उन्हें फांसी दी गई थी. भटिंडा से आए शहीदों के परिजनों ने नक्शे सहित पुरातत्व विभाग को इसकी जानकारी दी थी.

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शहीदों के परिजनों की इस निशानदेही पर पुरातत्व विभाग ने खुदाई शुरू की और फिर यहां से क्रांतिकारियों की जेल निकली. बुरहानपुर से 22 किलोमीटर दूर इंदौर इच्छापुर स्टेट हाईवे पर यह अजेय असीरगढ़ का किला स्थित है.
इस असीरगढ में धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक और स्वतंत्रता से जुड़े कई राज छुपे हैं. हाल ही में भटिंडा से कूमा प्रजाति के क्रांतिकारी रूर सिंह, पहाड़ सिंह और मुलुक सिंह के परिजनों ने पुरातत्व विभाग से संपर्क किया और असीरगढ़ के किले में अपने पूर्वजों को 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां स्थित जेल में कैदी बनाकर रखने और फांसी लगाने की जानकारी दी.
परिजनों ने विभाग को 18वीं शताब्दी का असीरगढ़ का नक्शा भी सौंपा. इस नक्शे के आधार पर पुरातत्व विभाग ने खुदाई शुरू की. इस खुदाई में दफन यह इमारत निकली, जिससे जाहिर होता है यह उस जमाने की जेल होगी.
फिलहाल खुदाई रोक दी गई है. पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों और अऩुमति के बाद ही आगे खुदाई होगी. अब इस खबर के लगने पर 1857 स्वतंत्रता संग्राम में रूचि रखने वाले पर्यटक इस जेल को देखने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
पिछले 5000 साल से किले में भटक रहा अश्वत्थामा?
दरअसल, हिन्दुस्तान में ही एक जगह है जहां के लोग हर रोज ये दावा करते हैं कि कोई जो पिछले 5000 साल से भटक रहा है.
कहते हैं बुरहानपुर के किनारे ऊंची पहाड़ी पर बना असीरगढ़ का किले में पिछले लगभग पांच हजार वर्षों से अश्वत्थामा भटक रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि असीरगढ़ किले के शिवमंदिर में प्रतिदिन सबसे पहले पूजा करने आते हैं. शिवलिंग पर प्रतिदिन सुबह ताजा फूल और गुलाल चढ़ा मिलना अपने आप में एक रहस्य है.
पौराणिक कहानियों के मुताबिक पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया था. लेकिन तब भगवान श्रीकृष्ण ने परीक्षित की रक्षा की, और अश्वत्थामा को सजा देने के लिए उनके माथे से मणि निकाल ली. और अश्वत्थामा को युगों-युगों तक भटकते रहने का श्राप दिया.
वैसे देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां अश्वत्थामा की मौजूदगी का दावा किया जाता है. लेकिन कई इतिहासकार मानते हैं, कि अश्वत्थामा का असली ठिकाना असीरगढ़ का यही किला है.



सोर्स:प्रदेश 18 
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