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कहते हैं कि चुनाव मैदान में अच्छे-अच्छों का पसीना छूट जाता है, लेकिन रामायणी बाबा की बात ही कुछ और है। बाबा लोकतंत्र के महापर्व कहे जाने वाले चुनावों में 19 बार अपनी किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता उनसे कोसों दूर रहीं। अब उन्होंने 20वीं बार चुनाव मैदान में उतरने की ठानी है, वह भी घर के सारे बर्तन बेचकर।


जी हां, मथुरा-वृंदावन में फक्कड़ बाबा के नाम से मशहूर रामायणी बाबा ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मंगलवार को नामांकन दाखिल किया। वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मथुरा-वृंदावन विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाएंगे।


 लगातार मिल रहे हाल के बावजूद लोकतंत्र के इस महापर्व में बाबा का भरोसा कम नहीं हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि 19 बार हाल के बावजूद वह 20वीं बार विधायक बनने में जरूर कामयाब होंगे।



बताया गया है कि कानपुर के बिठूर में जन्मे फक्कड़ बाबा 11 साल की उम्र में एक साधु के साथ मथुरा आए और यहीं के होकर रह गए। घर वालों की लाख कोशिशों के बावजूद वह वापस नहीं गए। 



रामायणी बाबा का कहना है कि वह कभी ब्रज नगरी को नहीं छोड़ सकते। वह 73 साल के हैं और अपनी पूरी जिन्दगी शिद्दत के साथ रामायण का पाठ करते रहे थे। यही वजह है कि उन्हें लोग रामायणी बाबा के नाम से जानते हैं।



1976 से चुनावों में लगातार अपनी किस्मत आजमा रहे रामायणी बाबा के बारे में कहा जाता है कि वह ऐसा अपने गुरु के आदेश पर कर रहे हैं। बाबा कहते हैं कि चुनाव धनबल का खेल है और हालात बदलने के लिए वह चुनाव के मैदान में उतर रहे हैं।




जहां तक संपत्ति की बात है तो बाबा के पास कुछ भी नहीं, सिवाए एक मोपेड के। बढ़ रहे चुनावी खर्च की वजह से बाबा की यह मोपेड भी बिक चुकी है। इस बार नामांकन के लिए उन्हें अपने बर्तन बेचने पड़े हैं।





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