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“कुआं हमसे खुदवा लेते हो, वो जब आपका हो जाता है तो पानी पीने से रोकते हो. तालाब बनाना हो, तो मजदूरी हमसे करवाते हो, उस समय हम उसमें पसीना भी गिराते हैं, थूकते हैं, लघु-शंका आती है तो दूर जाने के बजाय उसी में करते हैं. लेकिन जब उसका पानी पीने का अवसर मिलता है, तो कहते हो कि दूषित हो जाएगा. आप मंदिर में जाकर मंत्रोच्चारण करते हो, इसके बाद वो दरवाजा हमारे लिए बंद हो जाता है. आखिर कौन ठीक करेगा इसे? मूर्ति हमने बनाई. भले आपने मेहनताना दिया होगा. पर हमें दर्शन तो कर लेने दो. हाथ तो लगा लेने दो.”



ये बोल केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के हैं. मोदी सरकार में वो अभी सामाजिक न्याय मंत्री हैं. वो एमपी के उज्जैन जिले के नागदा शहर में डॉ. भीमराव अंबेडकर पर राष्ट्रीय परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे. जब उन्होंने ये सारी बातें बोली.


थावरचंद खुद अनुसूचित जाति से आते हैं. और उनका कहना है कि मैं मंत्री हूं और मंत्री के तौर पर सामाजिक भेदभाव के बारे में मुझे रिपोर्ट मिलती रहती है. ये पहले से कम तो हुआ है, लेकिन खत्म नहीं हुआ है. गहलोत कहते हैं कि कॉलेज के समय में मैंने जातिवाद को झेला है. गहलोत पुरानी बातों को याद करते हुए कहते हैं कि रतलाम हॉस्टल में ‘नीची जाति’ के छात्रों को मंदिर घूमने के लिए सुरक्षा की ज़रूरत महसूस होती थी.


गहलोत ने कहा कि उन्होंने ये टिप्पणियां इसलिए की, ताकि वो उस भेदभाव को लोगों तक पहुंचा सकें, जिसका सामना अंबेडकर को अपने वक़्त में करना पड़ा था. हालांकि उन्होंने माना कि वो आज की स्थितियों पर भी बात कर रहे थे. हालात में कुछ सुधार तो हुआ है लेकिन आज भी ऐसी कुछ घटनाएं सामने आती रहती हैं.


केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत मध्य प्रदेश से हैं. इनका जन्म 1948 में रूपेटा गांव में हुआ था. ये गांव उज्जैन जिले में आता है. गहलोत ने उज्जैन से अपना ग्रैजुएशन पूरा किया है. इनकी बीवी का नाम अनीता गहलोत है. इन दोनों के 3 बच्चे हैं. गहलोत ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की थी.


1977-1980 तक गहलोत जनता पार्टी के जनरल सेक्रेटरी और वाइस प्रेसिडेंट थे.

1980 में सांख्यिकी विभाग के और 1990 में लेबर एडवाइजरी कमिटी के सदस्य बने.

1985 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के वाइस प्रेसिडेंट बने.

1986-87 में इन्होंने मध्य प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष का दायित्व संभाला.

1980-1993 तक वो लगातार विधानसभा के सदस्य रहे.

1990-92 में बतौर राज्य मंत्री इन्होंने जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास, पंचायत, ग्रामीण विकास, अंत्योदय कार्यक्रम और 20 पॉइंट कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाली.

1996-98 और 1999 में गहलोत लोकसभा के सदस्य बने और कृषि, समाज कल्याण, लेबर कमिटी के मेंबर की जिम्मेदारी संभाली.

2000 से 2001 के बीच महिला सशक्तिकरण कमिटी के मेंबर चुने गए.

मई 2014 में गहलोत ने सामाजिक न्याय मंत्री के रूप में शपथ ली.





सोर्स:लल्लनटॉप
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