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 10 activities performed by engineer students

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दुनिया का इंसान 12th के बाद कंफ्यूज रहता है कि उसे आगे करना क्या है. सोसाइटी की एक मैंटेलिटी बन चुकी है कि लड़की हो तो डॉक्टर और लड़का हो तो इंजिनियरिंग करनी है. और ये सपना पैरेंट्स अपने बच्चों पर थोप देते हैं बिना ये सोचे और पूछे कि वे खुद का क्या बनना चाहते हैं.


  भारत में तो ये 80% होता है जहां माता-पिता ही बच्चों का भविष्य चुनते हैं. जब लड़के इंजिनियरिंग करने हॉस्टल में रहने जाते हैं तो उनकी कुछ अच्छी तो कुछ बुरी आदतें बन जाती हैं. पिछले दो दशकों से इंजीनियरिंग करने की बहार आ चुकी है भारत के तो हर चौथे घर में इंजीनियर बसा है. 



हर युवा, कैरियर को बेहतर बनाने के लिए इस फील्ड को चुनता है, उसे लगता है कि इसमें सबसे ज्यादा पैसा इसी में है. इसलिए वे बहुत मेहनत करने लग जाते हैं. जिसके साथ कॉलेज लाइफ को भी हैंडल करना होता है. हर इंजीनियरिंग कॉलेज की कहानी एक जैसी ही होती है. 


आज हम आपको कॉलेज लाइफ जी रहे इंजिनियर्स की 10 कॉमन बातें बताएंगे…


1. खुद को सबसे ज्यादा इंटेलिजेंट समझना :


खुद को सबसे ज्यादा इंटेलिजेंट समझना :

हर इंजीनियंरिंग छात्र खुद को कम्प्यूटर का सुपरस्टार समझने लगता है. उन्हें लगता है कि उनके जैसा इंजिनियर तो पैदा ही नही होने वाला. उनके बोलने का तरीका भी कुछ अलग हो जाता है.


2. कुछ नहीं सीखा :


कुछ नहीं सीखा :

टेकनॉलोजी के कॉलेज में कभी कोई छात्र कुछ नही सीखता. इंजीनियंरिंग कॉलेज के बच्चे, अपने हॉस्टल के रूम में ही हर तरह की खुराफात करते रहते हैं और वहीं कुछ ना कुछ नया सीखते हैं. बाकी का बचा हुआ वो नौकरी मिलने पर उस फील्ड में सीखते हैं. कोर्स के दौरान सिर्फ किताबों को पढ़कर परीक्षा ही दे पाते हैं.


3. हर सवाल का जबाव :



हर सवाल का जबाव

हर इंजीनियर को ये सिखाया जाता है कि अगर किसी बात का सवाल बना है तो उसका जवाब भी जरूर बना होगा जिसकी खोज हर इंजिनियर करता रहता है. हर छात्र ऐसी बात को लेकर क्रेजी रहता है. सभी छात्र अपने में ही खोये रहते हैं और कभी-कभी वे दूसरों को पागल लगने लगते हैं.


4. इंटरव्यू में पता चलता है चार साल कुछ किया ही नही :


इंटरव्यू में पता चलता है चार साल कुछ किया ही नही

जब प्लेलसमेंट का समय आता है तो इंटरव्यू् के दौरान सवाल का जबाव ढूंढने का समय नहीं होता और जब खुद में जवाब नही मिलता तब ये लगता है कि पिछले 4 सालों में ना कुछ पढ़ा और ना कुछ सीखा. उस टाइम दिमाग के सारे दरवाजे खोलकर सवाल का जवाब ढूंढा जाता है और उसके बाद कान पकड़कर हर चीज को सही से समझने की प्रतिज्ञा मन ही मन ले ली जाती है.


5. मस्ती टाइम :

मस्ती टाइम


जिन्दगी में जितनी मस्ती इंजीनियंरिंग की पढा़ई में की जाती है शायद ही किसी प्रोफेशनल कोर्स में की जाती होगी. आलस भी सबसे ज्यादा इन्हीं छात्रों को आता है. जब तक एसाइनमेंट की लास्ट डेट नहीं आ जाती है तब तक कोई भी छात्र एसाइनमेंट करने नहीं बैठता है. कोई इसे पहले से करना शुरु नहीं करता सभी एक दूसरे को देखते रहते हैं.


6. जीवन के प्रति कोई गंभीरता नहीं :

 जीवन के प्रति कोई गंभीरता नहीं 


इंजीनियरिंग कॉलेज के दिनों में दिमाग बहुत खुल सा जाता है. छात्र या तो खूब मस्ती करते हैं या तो खूब पढ़ाई बीच की स्थिति इस फील्ड के लोगों में नही होती. हर बात अच्छी लगती है और मस्ती में ही सारा वक्त गुजर जाता है. गंभीरता या नौकरी की टेंशन भी तीसरे साल तक नहीं ही रहती है.


7. टेक फेस्ट :

टेक फेस्ट 



टेक फेस्ट या कल्चरल फेस्टे, कोर्स के दौरान सबसे मस्ती भरे दिन होते हैं, इस दौरान सारे छात्र खूब काम करते हैं और बिंदास होकर मजे भी करते हैं. डिग्री या क्लासेस से ज्यादा फेस्ट में सीखने को मिलता है.


8. मालूम नहीं और एक्जाम देने पहुँच गए :

मालूम नहीं और एक्जाम देने पहुँच गए 




बहुत से ऐसे स्टूडेंट होते है जो रात भर पढ़ते हैं और सुबह बस हाथ मुंह धुल कर इग्जाम हॉल पहुंच जाते हैं और ये सिचुएशन हर स्टूडेंट के साथ होती है कि उन्हें ये मालूम ही नहीं होता है कि आज किस सब्जेक्ट का इंटरनल एक्जाम है.


9. रात 3 बजे मैगी का चस्का :



रात 3 बजे मैगी का चस्का

रात में पढ़ते समय भूख लग जाना स्वाभाविक होता है तो इसके स्टूडेंट्स की सबसे प्यारी मैगी साथ निभाती है. जिसे आराम से आसानी से बनाकर पेट भरा जा सकता है. स्टूडेंट का सबसे अच्छी दोस्त होती है मैगी.


10. कट-कॉपी-पेस्ट :

कट-कॉपी-पेस्ट 


किसी एक के लैपटॉप की मूवी पूरे हॉस्टल तक पहुंचाने का काम कट कॉपी पेस्ट करता है. ऐसे ही डेटा और एसाइनमेंट भी कॉपी कर लिए जाता है मतलब एक मेहनत करे और सभी ऐश करते हैं. बस फिर, क्या सबका काम बन जाता है. कई बार तो फैकल्टी इससे तंग भी हो जाती हैं. कितने स्टूडेंट्स को सजा भी दे जाते हैं.




सोर्स:अज़ाब ग़ज़ब
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