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29 मार्च 1857 वो तारीख है, जिसने दुनिया के इतिहास को एक नया मोड़ दिया. इसी दिन बंगाल की बैरकपुर छावनी में एक गोली चली थी. मंगल पांडे ने अपनी एनफील्ड रायफल से सार्जेंट-मेजर ह्यूसन और लेफ्टिनेंट बाग़ की हत्या कर दी थी. 8 अप्रैल को मंगल पांडे फांसी पर चढ़ा दिए गए. लंबे समय तक ब्रिटिश सेना में बागी सिपाहियों को पांडे कह कर बुलाया जाने लगा था. भारत में फोटोग्राफी 1840 में शुरू हो गई थी. 1857 के हिंदुस्तान में कुछ फोटोग्राफर थे. इनमें से ज़्यादातर राजाओं और नवाबों की तस्वीरें खींचने के लिए रखे गए थे. क्रांति हुई तो इन लोगों ने भी कई तस्वीरें खींचीं. आइए देखते हैं उस दौर की कुछ घटनाएं और उनसे जुड़ी कुछ दुर्लभ तस्वीरें.


1853 में ब्रिटिश सेना ने पैटर्न एनफील्ड P-53 राइफल का इस्तेमाल शुरू किया. इनमें गोली नहीं, कार्टेज यानी कारतूस भरा जाता था. एक पैकेट में बारूद और छर्रे होते थे. दांत से इस पैकेट को खोलकर बारूद नली में भरकर, ऊपर से छर्रे डाल दिए जाते थे.

उस दौर की गुरखा बटालियन


फोटो सोर्स- गन हिस्ट्री ऑफ इंडिया

# 1885 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह अपनी एक बेगम और बेटी के साथ. एक आम धारणा है कि अवध के नवाब और सेनाएं बहादुर नहीं थे. जबकि अवध अंग्रेज़ों के कब्ज़े में सबसे बाद में आ सका था. लखनऊ के नाचने-गाने वालों ने बेगमों के साथ मिलकर 18 महीने तक अंग्रेज़ों को शहर में घुसने नहीं दिया था.


फोटो- विलियम वोल बायोग्राफिकल स्केच

#  2000 विद्रोहियों की हत्या करने के बाद खंडहर हुए अवध के ही सिकंदर बाग की तस्वीर. ज़मीन पर पड़ी खोपड़ियों और कंकालों को देखिए.


फोटो- विकी

# 1857 के गदर में दिल्ली में डेरा डाले हुए 34th सिख पायनियर के जवान. सिखों की ये रेजीमेंट अंग्रेज़ों की सबसे खास टुकड़ियों में से एक थी.


सोर्स- डिफेंस फोरम इंडिया

# 1880 में पेशावर की ऐलीफेंट बैट्री. आज पेशावर शहर का नाम बड़ा पराया सा लगता है.

सोर्स- डिफेंस फोरम इंडिया

# 1858 में कलकत्ता में HMS शैनन पोत.


सोर्स- डिफेंस फोरम इंडिया

# जोधपुर के फैशनेबल महाराजा. राजपरिवार ने पोलो खेलने के लिए शेरवानी को मॉडिफाई करके बंद गले का कोट बनवाया. बंद गले को जोधपुरी भी कहा जाता है.


फोटोग्राफर- दीनदयाल

# अवध की मशहूर गाने वाली गौहर जान.


फोटो- तस्वीर जर्नल

# 1900 से पहले के राजपूत योद्धा.


सोर्स- डिफेंस फोरम इंडिया

# 1857 में गदर के बाद दिल्ली का एक बाज़ार.



# जर्मन फोटोग्राफर की खींंची इस तस्वीर को इतिहासकार महारानी लक्ष्मीबाई की असली तस्वीर मानते हैं. उसे नहीं, जो आपने सोशल मीडिया पर देखी होगी.

सोर्स- ललित.इन

# 1858 में तबाह हो गई लखनऊ रेज़ीडेंसी.


सोर्स- कोलंबिया एजुकेशन

# आखिरी दिनों में मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फर अपने बेटों के साथ.



# ब्रिटिश सेना के कब्ज़े में आने के बाद ये 1858 का कानपुर है.


सोर्स- नेशनल आर्मी म्यूज़ियम, यूके

# सबसे आखिर में पकड़े गए विद्रोही तात्या टोपे की कैद में फोटो. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि तात्या के नाम पर किसी और को पकड़ लिया था.






सोर्स:लल्लनटॉप
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