सेक्स, मास्टरबेशन, लव, कंट्रासेप्शन ये कुछ ऐसे शब्द हैं, जिसको सुनते ही हम आप छी..छी, थू..थू करने लगते हैं। कैसी बातें करता है। अश्लील बातें करता है। जैसे खुद के शरीर के बारे में बात करने से हम अश्लील हो जाते हैं।
सबसे ख़ास बात इस सब का ठीकरा भी हम सोसाइटी के नाम फोड़ देते हैं। सोसाइटी..सोसाइटी..सोसाइटी, बहुत हो गया। कब तक हम लोग सोसाइटी की आड़ में खुद की ओछी सोच को छिपाते रहेंगे। अब वक़्त आ गया है सोचने का, थोड़ी हिम्मत दिखाने का, बात करने का।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी एक प्लान तैयार कर लिया है। जिसमें बड़े हो रहे बच्चों को प्यार, किसी लड़की के प्रति आकर्षण, सेक्स, मास्टरबेशन यहां तक कि अबॉर्शन और कंट्रासेप्शन तक के बारे में बताया जाएगा।
इसके लिए बुकलेट छपवा लिए गए हैं। जिसके आधार पर हर राज्य को कुछ वॉलंटियर तैयार किए जाएंगे जो बच्चों को इन सब बातों के बारे में बताएंगे। इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक़ इस बुकलेट में इन सब बातों का जिक्र है कि किसी अपोजिट सेक्स के बंदे के लिए आकर्षण होना कोई गलत बात नहीं है। ये सब बचपने में होता है। लेकिन अगर लड़की किसी चीज के लिए मना कर दे तो वो सही नहीं है।
ऐसे ही लड़के और लड़कियों के कामों को लेकर जो हमारे समाज में एक टेबू बना हुआ है। उन सब बातों का भी जिक्र इस बुकलेट में होग। जैसे कि बुकलेट के एक हिस्से में 'टॉमबॉय' जैसे शब्द का जिक्र है। जिसके बारे में हम सभी जानते हैं कि ये उन लड़कियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि लड़कों जैसे कपड़े पहनना पसंद करती हैं या फिर जिनकी पसंद में लड़कों के पसंद का टेस्ट होता है। लेकिन बुकलेट में इन बातों का भी जिक्र है कि इस तरह की उपमाओं का इस्तेमाल किसी के लिए नहीं किया जाना चाहिए। ये सब गलत है।
ठीक ऐसे ही लड़कों को लेकर भी बातें की गई हैं। कुछ लड़कों को किचन बहुत पसंद होता है। उन्हें किचन में खाना बनाना पसंद होता है। लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि उसकी आदतें लड़कियों सी हैं। क्योंकि हर कोई हर तरीके से सोचने के लिए आज़ाद है।
एक और बेहद ही जरूरी बात जो बच्चों को सिखाने की तैयारी है। वो है सेक्स को लेकर। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डीजीज की श्रेणी में सिर्फ HIV का जिक्र नहीं है, और भी कई तरह की प्रॉब्लम के बारे में बताया जाएगा।
एक बड़ी ही ख़ास बात जो कि सेफ़ सेक्स को लेकर है...
अच्छा एक बड़ी ही ख़ास बात जो कि सेफ़ सेक्स को लेकर है। इसके लिए उन्हें हर तरह के कंट्रासेप्शन पिल से लेकर कंडोम तक के इस्तेमाल के बारे में बताया जाएगा। यहां तक कि सेफ़ सेक्स के सवाल के एक जवाब में मास्टरबेशन को सबसे अच्छा और सबसे सुरक्षित उपाय बताया गया है।
सरकार की जो ये पूरी तैयारी है उसमें यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड का साथ है। जितने भी पीयर एजुकेटर होंगे उनकी ट्रेनिंग राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत होगी। जितने भी पीयर एजुकेटर होंगे, उनको महीने का 50 रुपया मिलेगा जो कैश में नहीं होगा। वो मोबाइल रिचार्ज या फिर सरकार के किसी दूसरे फायदे के तौर पर दिया जाएगा।
सरकार के इरादे भी नेक हैं, करने का मिज़ाज़ भी दिख रहा है। लेकिन सवाल है क्या और भी दूसरे कार्यक्रमों की तरह ये भी सिर्फ़ कागज़ पर ही रह जाएगा या फिर इसे पूरा किया जाएगा।
देखते हैं, आगे क्या होता है। लेकिन, एक बात तय है अगर हम और आप चाहेंगे तो ये पूरा होगा और जरूरी भी है। शर्माने से काम नहीं चलने वाला है। वरना, भुक्तभोगी होने की तैयारी कर लेनी होगी।
बस, एक और सवाल था। सरकार आज तक सेम सेक्स बिल को पास नहीं कर पाई है। बहस पर बहस छिड़ी हई है। लेकिन इस बुकलेट में इसे सामान्य बात कहा गया है।
सोर्स:फिरकी.इन
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