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आज देश की पहली महिला शिक्षक, समाज सेविका, कवि और वंचितों की आवाज उठाने वाली सावित्रीबाई ज्‍योतिराव फुले की पुण्यतिथि है. पेश हैं उनके बारे में दस खास बातें....


1. इनका जन्‍म 3 जनवरी, 1831 में दलित परिवार में हुआ था.


 2. 1840 में 9 साल की उम्र में सावित्रीबाई की शादी 13 साल के ज्‍योतिराव फुले से हुई.


 3. सावित्रीबाई फुले ने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले. उन्‍होंने पहला और अठारहवां स्कूल भी पुणे में ही खोला.


 4. सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला अध्यापक-नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थीं.


 5. उन्‍होंने 28 जनवरी 1853 को गर्भवती बलात्‍कार पीडि़तों के लिए बाल हत्‍या प्रतिबंधक गृह की स्‍थापना की.


 6. सावित्रीबाई ने उन्नीसवीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया.


 7. सावित्रीबाई फुले ने आत्महत्या करने जाती हुई एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई की अपने घर में डिलवरी करवा उसके बच्चे यशंवत को अपने दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया. दत्तक पुत्र यशवंत राव को पाल-पोसकर इन्होंने डॉक्टर बनाया.


 8. महात्मा ज्योतिबा फुले की मृत्यु सन् 1890 में हुई. तब सावित्रीबाई ने उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिये संकल्प लिया.


 9. सावित्रीबाई की मृत्यु 10 मार्च 1897 को प्लेग के मरीजों की देखभाल करने के दौरान हुई.


 10. उनका पूरा जीवन समाज में वंचित तबके खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता.


उनकी एक बहुत ही प्रसिद्ध कविता है जिसमें वह सबको पढ़ने लिखने की प्रेरणा देकर जाति तोड़ने और ब्राह्मण ग्रंथों को फेंकने की बात करती हैं...

 जाओ जाकर पढ़ो-लिखो, बनो आत्मनिर्भर, 
बनो मेहनती काम करो-ज्ञान और धन इकट्ठा करो ज्ञान के बिना सब खो जाता है, 
ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते है इसलिए,
 खाली ना बैठो,जाओ, 
जाकर शिक्षा लो दमितों और त्याग दिए गयों के दुखों का अंत करो, 
तुम्हारे पास सीखने का सुनहरा मौका है इसलिए सीखो और जाति के बंधन तोड़ दो, 
ब्राह्मणों के ग्रंथ जल्दी से जल्दी फेंक दो.


 (मराठी कविता का हिंदी अनुवाद )






सोर्स:आजतक 
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