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लखनऊ: जीत के अश्वमेधी रथ पर सवार भारतीय टीम 15 बरस बाद जूनियर विश्व कप हॉकी फाइनल में रविवार को बेल्जियम के खिलाफ उतरेगी तो खिलाड़ी अपनी आक्रामकता और जुझारूपन को बरकरार रखते हुए देशवासियों को अर्से बाद हॉकी के मैदान पर खिताब तोहफे में देने के इरादे से उतरेंगे।


भारत तीसरी बार जूनियर विश्व कप के फाइनल में पहुंचा है। इससे पहले 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारतीय टीम ने अर्जेंटीना को 6.1 से हराकर एकमात्र जूनियर विश्व कप जीता था। वहीं 1997 में इंग्लैंड में हुए टूर्नामेंट के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराया था। भारत 11 साल पहले रोटरडम में कांस्य पदक के मुकाबले में स्पेन से पेनल्टी शूटआउट में हार गया था और उस समय भी टीम के कोच हरेंद्र सिंह ही थे। वही हरेंद्र अब 11 साल बाद उस हार के नासूर पर खिताब का मरहम लगाने को बेताब हैं। उनका मानना है कि मानसिक दृढ़ता और जीत की भूख इस बार इन खिलाड़ियों को खाली हाथ नहीं लौटने देगी जो रविवार को अपने करियर का सबसे बड़ा मैच खेलेंगे।

हरेंद्र ने कहा, ‘हमने अतीत में कई गलतियां की है लेकिन एफआईएच के कोचिंग कोर्स से मैंने बहुत कुछ सीखा और इन खिलाड़ियों पर उसे लागू किया। शारीरिक फिटनेस, दबाव के आगे घुटने नहीं टेकना और मानसिक दृढ़ता यह इस टीम की खासियत है और मुझे नहीं लगता कि अब इसे खिताब जीतने से कोई रोक सकता है।’ उन्होंने कहा,‘मैं 2005 में रोटरडम में मिली हार को भूला नहीं हूं। वह हार आज तक मुझे कचोटती है लेकिन मैं टीम से इस बारे में बात नहीं करता। मैंने खिलाड़ियों से सिर्फ इतना कहा कि हमें पदक जीतना है और रंग कौन सा होगा, यह आप तय करो।’

भारत ने क्वार्टर फाइनल में 55वें मिनट तक एक गोल से पिछड़ने के बाद स्पेन को हराया और फिर सेमीफाइनल में भी एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी की। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को पेनल्टी शूटआउट मे 4-2 से हराने वाली भारतीय टीम का आत्मविश्वास बुलंद है और सोने पे सुहागा रहा है दर्शकों का अपार समर्थन। मेजर ध्यानचंद स्टेडियम भारत के मैचों में खचाखच भरा रहा है और रविवार को भी भारी तादाद में दर्शकों के जुटने की उम्मीद है। टीम के मैनजर और सीनियर टीम के मुख्य कोच रोलेंट ओल्टमेंस ने स्वीकार किया कि बेल्जियम की टीम मजबूत है और यह बराबरी का मुकाबला होगा। जूनियर विश्व कप से पहले वालेंशिया में चार देशों के टूर्नामेंट में भारत को एकमात्र पराजय बेल्जियम के हाथों मिली थी जबकि भारतीय टीम ने खिताब जीता था।

उन्होंने कहा, ‘जो टीम छह बार की चैम्पियन जर्मनी और नीदरलैंड को हराकर यहां तक पहुंची है, वह मजबूत तो होगी ही लेकिन हमारे पास भी बहुत दमदार टीम है। खिलाड़ी फॉर्म में है हालांकि कुछ पहलुओं पर और मेहनत की जरूरत है जो हम कर रहे हैं।’ भारत के लिये अब तक हर मैच में एक नया खिलाड़ी हीरो बनकर निकला है। लीग चरण में मनदीप सिंह ने उम्दा प्रदर्शन किया तो सेमीफाइनल में गोलकीपर विकास दहिया ने छाप छोड़ी जबकि मिडफील्ड में कप्तान हरजीत सिंह ने लय बनाये रखी है। ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह शुरुआती नाकामियों के बाद फार्म में लौटे हैं। कुल मिलाकर टीम व्यक्तिगत प्रदर्शन की बजाय सामूहिक प्रयासों से जीत रही है जो अच्छा संकेत है।

दूसरी ओर बेल्जियम पहली बार टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा है और उसके खिलाड़ी खचाखच भरे स्टेडियम में खेलने को लेकर काफी उत्साहित है। कोच जेरोन बार्ट ने हालांकि इससे इनकार किया कि दर्शकों से मेजबान टीम को मिल रहे अपार समर्थन का उनकी टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ेगा। उन्होंने कहा,‘हमारे खिलाड़ियों ने कभी पूरे भरे हुए स्टेडियम में नहीं खेला है। वे इसे लेकर काफी उत्साहित हैं लेकिन दबाव में नहीं है। मेजबान टीम के खिलाफ किसी बड़े टूर्नामेंट में खेलना कठिन होता है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हम इस भारतीय टीम को पहले भी हरा चुके हैं। यह मुकाबला बराबरी का होगा और जो टीम फाइनल का दबाव झेल जायेगी, वह खिताब जीतेगी।’ कांस्य पदक के मुकाबले में जर्मनी का सामना ऑस्ट्रेलिया से होगा। भारत और बेल्जियम के बीच फाइनल शाम छह बजे से खेला जायेगा। हॉकी इंडिया ने खिताब जीतने पर प्रति खिलाड़ी पांच लाख रूपये और सहयोगी स्टाफ को दो-दो लाख रुपये नकद पुरस्कार देने का ऐलान किया है।

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