loading...





हिन्दुओं के पावन त्यौहार नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। भक्त इस दौरान माँ को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करते हैं। इन नौ दिनों में माँ के कई रूपों की पूजा होती है भक्त माँ को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के जतन करते हैं कोई सिंदूर तो कोई नारियल, मेहंदी और चूड़ियाँ चढ़ाता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि ऐसी भी एक जगह है जहां माँ को चढ़ावे में हथकड़ी और बेड़ियाँ चढ़ाई जाती हो। सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन चौकिये मत माँ के इस मंदिर में हथकड़ी और बेड़ियाँ चढ़ाने की एक खास मान्यता है।

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के जोलर ग्राम पंचायत में दिवाक माता का प्राचीन मंदिर है। माता के दर्शन के लिए लोग दूर दूर से यहां आते हैं और चढ़ावे में बेड़िया और हथकड़ी चढाते हैं। देवी का ये मंदिर ऊँचे पहाड़ पर स्थित है। जो कि चारों तरफ से घने जंगल से घिरा हुआ है।

इस मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्त को पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है। दिवाक माता के दर्शन के लिए भक्त दूर दूर से आते हैं। जो माँ को बेड़ियाँ और हथकड़ी चढाते है मंदिर के प्रांगण में करीब 200 साल पुराना त्रिशूल है जिस पर कई हथकड़ीयां चढ़ाई गयी है।

ऐसी मान्यता है कि जब इस जंगल में खूंखार डाकुओं का राज था तब डाकू यहां मन्नत लेते थे कि अगर वे डाका डालने में सफल रहे और पुलिस के चंगुल से बच गए, तो वे यहां हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाएंगे।

वैसे एक कहानी ये भी है कि नामी डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता से ये मन्नत मांगी थी कि वह अगर जेल तोडकर भाग जाता है तो सीधा माँ के दर्शन को आएगा। दिवाक माता के स्मरण मात्र से ही उसकी हथकड़ियाँ टूट गयी और वो जेल से भाग जाने में सफल रहा। तब से अब तक लोग अपने परिवार वालों और  रिश्तेदार को जेल से छुड़ाने के लिए यहाँ हथकड़ी और बेड़ियाँ चढ़ाने आते हैं।




loading...

एक टिप्पणी भेजें

योगदान देने वाला व्यक्ति

Blogger द्वारा संचालित.