अमूमन ऑफिस वाली कैब सुबह जल्दी आने वालों या रात को देर से लौटने वालों को मिलती है. ये वो वक़्त होता है जब आदमी या तो अधसोया होता है या अधसोया होता है. सुबह आने में नींद नहीं खुलती रात को जाते तक में नींद आने लगती है. कभी-कभी ऑफिस वाली कैब मुझे स्कूल बस की याद दिलाती है. मगर अफ़सोस मैं ‘सूखा पेट दुःख रहा है’ का बहाना कर घर पर नहीं रह सकता.
आपका ऑफिस बड़ा हो, शिफ्ट रोटेट होती हों तो ऑफिस कैब में रोज कई तरह के लोग मिलते हैं, कई लोग अक्सर साथ में सफर करते हैं तो कई इक्का-दुक्का दिन. कैब में आदमी की असलियत पता चल जाती है. कौन आज नहाकर नहीं आया. किसने सुबह-सुबह बीवी को सोते से जबरिया जगाकर टिफिन बनवाया है. या कौन इतना बड़ा बेवड़ा है कि घर पहुंच जाने तक का सब्र नहीं कर सकता. कैसे-कैसे लोग मिलते हैं कैब में यहां जानिए.
1. जल्दी वाली लड़की
ये वो लड़कियां होती हैं, जो हमेशा जल्दी की मारी होती हैं. कैब वाले को दस बार फोन कर पूछेंगी कि वो कहां रह गया है. कई बार तो कैब वाले सिर्फ इसलिए लेट हो जाते हैं कि आधा समय वो इनके कॉल का जवाब देने में व्यस्त रह जाते हैं. यही वो लड़कियां होती हैं जिन्हें दो मिनट भी इंतजार करना पड़े तो ड्राइवर की शिकायत में चार पेज का मेल भेज कर अपने आधे घंटे बर्बाद करती हैं. इन्हें देख अपराधबोध सा होता है, लगता है असल काम तो यही करती हैं, हम तो ऑफिस बस मुफ्त की कॉफी पीने जाते हैं.2. पर्सनल हेलीकॉप्टर वाले
कुछ लोग आपके बगल में बैठकर ऐसा मुंह बनाएंगे. मानो हर रोज पिताजी के पर्सनल हेलीकॉप्टर से ऑफिस जाते हैं और आज बड़ी मजबूरी में इन्हें आपके साथ जाना पड़ रहा हो. गलती से किसी रोज आपके शरीर या कपड़ों का कोई हिस्सा इनसे टकरा गया. आपने फोन पर किसी से बात कर ली या पिछवाड़े को सुविधाजनक स्थिति में लाने के लिए थोड़ा बहुत हिल गए तो ये ऐसे बुरे से एक्सप्रेशन देंगे मानों कटनी रेलवे स्टेशन का पब्लिक टॉयलेट देख लिया हो. दरवाजा बंद करते हुए अगर जोर की आवाज हो गई, तो इनके हिसाब से ये सबसे बड़ा अपराध होता है. ऐसे लोगों के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए. ऐसे लोग अपनी कुढ़ में कब्ज के मरीज़ सी शक्ल बनाने के अलावा कुछ नही कर सकते.3. कर्ण के कवच कुंडल वाले
कर्ण कवच और कुंडल के साथ पैदा हुए थे और ये अपने हेडफोन के साथ. ये कैब में आएंगे, बैठेंगे, मुंडी हिलाते हुए सफर करेंगे और उतर जाएंगे. इस बीच ये एक शब्द भी नहीं बोलेंगे. ऐसे लोग सबसे अच्छे होते हैं. बुरा बस ये लगता है कि कभी इन्हें गुड मॉर्निंग या टाटा भी कहो तो अपनी पोपट हो जाती है.4. दादी-नानी की कहानियों वाले
हड़बड़ाते हुए ये कैब में धसेंगे और कैब में सबसे अभिवादन करेंगे. सब में सामने रखे हनुमान जी की मूर्ति से लेकर ड्राइवर की सीट के पीछे डली पानी की बोतल तक आती है. इसके बाद इनकी कहानियां शुरू होंगी, कैसे आज ये सुबह उठे. पानी गरम किया, बिटिया को चद्दर ओढ़ाई, ब्रश किया, पेशाब किया, परदा खिसकाया, नहाए, चड्डी बदली, कपड़े पहने, गली के कुत्ते से भिड़े और कैसे कैब तक आ पहुंचे. बचे हुए समय में ये भी बता सकते हैं कि कैसे इनकी कुलबेहरिया वाली छोटी दादी ने एक बार लकड़बग्घे से बकरी के बच्चे को बचाया था.5. हमेशा लेट होने वाले
एक वक़्त के बाद आप इनसे सहानुभूति रखने लगते हैं. इनके पास हर दिन एक नया किस्सा होता है. कैसे आज इनका अलार्म नहीं बजा, कैसे आज ये एक बार उठकर दोबारा सो गए, कैसे आज नल में पानी ही नहीं आ रहा था या तीन दिन से घर से बाहर रहने के बाद इन्हें आज सुबह बुश्शर्ट इस्त्री करने की सुधि आई. इनके साथ अच्छा ये होता है कि ये कभी अपना बहाना दोहराते नहीं है, और कभी जल्दी आते नहीं हैं.6. मकान खोजक
ये वो लोग होते हैं, जिनके साथ कोलंबस या वास्को-डि- गामा भी निकलते तो देश क्या जिंदगी भर खपने के बाद एक किराए का कमरा न खोज पाते. ये कैब को सर्च इंजन की तरह लेते हैं. ये ऑफिस आते या ऑफिस से जाते समय हर किसी से हमेशा ऑफिस के आस-पास की जगहों पर मकान खोजने की बातें करते मिलेंगे. इनकी बातों के कीवर्ड हमेशा ‘किराया’ , ‘ज्यादा’ , ‘दूर’, ‘कितना’, ‘पार्किंग’, ‘मेंटीनेंस’, ‘सुविधा’, ‘ढूंढ’ होते हैं. ये हमेशा जानना चाहते हैं आप कौन से फ्लोर पर रहते हैं, कितने घंटे पानी आता है, पार्किंग में एक गाड़ी खाड़ी कर पाते हैं या दो.7. तकिया से गरीब
ये हर कैब में पाए जाते हैं, हर बार कोई न कोई ऐसा निकल ही जाता है जो दो झटकों के बाद ऊंघते हुए आपके कंधों को तकिया बनाकर सो रहेगा. ये वो लोग होते हैं, जो अपने मामा की शादी में भी पूरा न जगे हों लेकिन मॉर्निंग शिफ्ट इन्हें सताती है. इन्हीं में कुछ थोड़ा और अपग्रेड होते हैं, सोते हैं तो मुंह खोलकर. डर लगता है सफेद बुश्शर्ट पर लार न चुआ दें. इन लोगों को एक आम आदमी से दो गुनी जगह सिर्फ बैठने के लिए चाहिए होती है. इनके साथ सबसे दुखदायी ये होता है कि इनकी बेबीसिटिंग का हिसाब आपकी सीटीसी में कहीं दर्ज नहीं होता. न अप्रेजल में इसके पॉइंट मिलते हैं.
सोर्स:लल्लनटॉप
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