प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बलूचिस्तान में जारी संघर्ष को खुला समर्थन देने के बाद इस इलाके को लेकर दिलचस्पी बढ़ गई है. एक नज़र बलूचिस्तान और उसके इतिहास पर
कहां है बलूचिस्तान?
> दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान, ये उसके चार प्रांतों में से एक है
> सबसे बड़ा प्रांत, जिसके पास पाकिस्तान के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 44% हिस्सा है
> लेकिन यहां आबादी सबसे कम है. बलूच बहुसंख्यक हैं, पश्तून भी मौजूद
इतना अहम क्यों?
> यूं तो बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है, लेकिन खनिजों के मामले में ये काफी रईस है
> यहां ग्वादर बंदरगाह है, जो पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है
> बलूचिस्तान चीन के 46 अरब डॉलर की निवेश योजना का अहम हिस्सा है
ना पढ़ाई, ना कमाई
> यहां विकास नहीं पहुंचा है, ऐसे में बुनियादी सुविधाओं की भी ख़ासी कमी है
> पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा गरीबी दर, नवजात और महिलाओं की मृत्यु दर, सबसे कम साक्षरता दर बलूचिस्तान में है, जो हालात का अंदाज़ा देती हैं
> पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बलूचिस्तान की हिस्सेदारी महज़ 3.7% है
बलूचों पर अत्याचार
> ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन का स्तर सबसे ऊपर पहुंच चुका है और हालात लगातार बिगड़ रहे हैं
> पाकिस्तान सरकार, सेना और दूसरे लोगों के हमले में बलूचों के मारे जाने की ख़बरें रोज़ आती हैं
> जो विरोध करता है, उसे मार दिया जाता है ऐसे में कई बलूच नेता पाकिस्तान से बाहर जा चुके हैं
ख़ूनी इतिहास
> आज़ादी से पहले चार रियासतों से मिलकर बलूचिस्तान बना था
> मकरन, खरन और लासबेला साल 1947 में पाकिस्तान के साथ चले गए
> कलत के खनत ने आज़ादी चुनी, लेकिन मार्च 1948 में पाकिस्तान ने उस पर हमला बोल दिया
> बलूचों ने 1948 में ही पाकिस्तान के खिलाफ हथियार उठा लिए थे, लेकिन 2003 से वहां स्वायत्तता की मांग को लेकर आंदोलन ने ज़्यादा ज़ोर पकड़ा
बंदूकों का ज़ोर
> बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, लश्कर-ए-बलूचिस्तान और बलूच लिबरेशन युनाइटेड फ्रंट वहां ख़ासी सक्रिय हैं
> ये संगठन ज़्यादा आज़ादी और प्राकृतिक संसाधनों, खनिजों से मिलने वाली कमाई में साझेदारी, प्रांतीय राजस्व और स्वतंत्र देश चाहते हैं
> पाकिस्तान कश्मीर में रायशुमारी कराने की मांग करता रहता है, लेकिन बलूचों की ठीक यही मांग वो कभी नहीं स्वीकार करता. बलूचिस्तान, पाकिस्तान का दोगलापन दिखाता है
एक टिप्पणी भेजें