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ग्वालियर।हैवी GI पाइप को लेथ मशीन से डिजाइन किया और भट्टी में तपाकर मनचाहा रूप दे दिया। कुछ हाथों से की करामात, और तैयार हो गई कंट्री मेड पिस्टल। कम रकम खर्च करनी है तो मात्र एक हजार रुपए कीमत वाला देशी कट्टा तैयार है। ऐसे हथियार बिहार के मुंगेर में नहीं, बल्कि चंबल के बीहड़ में बसे गांवों में तैयार हो रहे हैं। कंट्री मेड पिस्टल ही नहीं, बल्कि 9 एमएम की पिस्टल से लेकर 12 बोर की बंदूकें भी इस कुटीर उद्योग में तैयार हो रही हैं। ऐसे बनाते हैं हथियार...
चंबल इलाका अवैध हथियारों की सप्लाई का केन्द्र बनता जा रहा है। 
-पिछले तीन महीनों में हथियार सप्लाई से जुड़े कई लोगों को भिंड पुलिस ने पकड़ा। ये लोग चंबल के बीहड़ों में बसे गांवों से ही हथियार लेकर सप्लाई करते थे।

-खासतौर से भिंड के माढ़हन गांव, जहां पर कई दशकों से देशी हथियार बनाने का काम हो रहा है। बदमाशों का खौफ इतना है, कि पुलिस आजतक गांव में छापा तक नहीं मार पाई है।

-यहां पर हथियार बनाने वाले इतने पारंगत हैं कि वे न केवल देशी कट्टे, बल्कि 9 एमएम की पिस्टल तक बना लेते हैं।
लाखों कीमत वाले हथियार चंद हजार में मिलते हैं

-एक पिस्टल या बंदूक की कीमत 50 हजार रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक होती है, जबकि देशी हथियार चंद हजार रुपए में मिल जाते हैं।

-9 इंच बैरल वाला देशी कट्टा मात्र 1500 रुपए से लेकर 4000 रुपए कीमत में मिल जाती है। राइफल से छोटा 18 इंच बैरल वाला हथियार, जिसे पौनी तमंचा कहा जाता है, पांच हजार रुपए में उपलब्ध है।
विदेशी हथियारों की नकल में पारंगत हैं लोग

-हथियार बनाने वाले कारीगर इतने कुशल हो चुके हैं कि वे विदेशी पिस्टल जैसे हथियारों की नकल बनाकर पांच से दस हजार रुपए में उपलब्ध करा देते हैं।

-ऐसे में अपराधियों की पहली पसंद यह देशी व अवैध हथियार ही हैं। वाजिब दाम पर मिलने वाले हथियारों का उपयोग अपराधों में जमकर हो रहा है।






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