राष्ट्रपति तो डॉ. राजेंद्र प्रसाद ही थे। सरल-सहज और साधारण। उनकी कॉपी पर परीक्षक ने खुद लिखा था कि “examinee is better than examiner.” बचपन से हम ऐसे ही उदाहरण सुनकर बड़े हुए। स्कूल-कॉलेज में कभी टॉप भी किया और कई बार परीक्षाओं में सवालों के जवाब इतनी बखूबी दिया करते थे कि अपने आंसर से प्यार हो जाता था, पर कभी किसी परीक्षक ने नहीं कहा कि हमारा जवाब उनके जवाब से भी बेहतर हो सकता है।
जब हम राजेंद्र प्रसाद के किस्से सुनते थे तो मन गदगद हो जाता था। पर सबकुछ उन अनेकों कहानियों जैसा ही होता जो बेहद प्रभावशाली तो थीं पर कल्पना मात्र ही बनी रहती थीं। हमने राजेंद्र प्रसाद को नहीं देखा था, यही सोचकर संतोष कर लेते थे कि सच में कलियुग आ गया है, अब ऐसे लोग पैदा न होंगे। सन् 2002 में भारतवर्ष को नया राष्ट्रपति मिला, नाम था डॉ. अवुल पाक़िर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम। अचानक ही बच्चों की रुचि किसी राष्ट्रपति में बढ़ने लगी। अब वो बच्चे या युवा उन्हें सिर्फ़ जनरल नॉलेज में एक नम्बर ज्यादा पाने के लिए याद नहीं करते थे। वो जानना चाहते थे कि कलाम सर ने स्पीच में क्या कहा है। उनके बोले हुए शब्द अपने कमरे की दीवारों पर गुदवा लेते थे।
सपने वो नहीं होते जो तुम सोने के बाद देखते हो
सपने वो होते हैं जो तुम्हारी नींद उड़ा दें।
कलाम सर को गुज़रे एक वर्ष पूरे हो गए। दुनिया के कई हज़ार बच्चे उनसे मिलना चाहते थे, उनकी तमन्नाएं अधूरी रह गईं। उनके जीवन के ऐसे कई किस्से हैं जिन्हें सुनकर ऐसा लगता ही नहीं कि वो हमारी जेनरेशन में रहकर चले गए। हमें फ़क्र होने लगता है कि हम वो पीढ़ी हैं जिसने उन्हें देखा, समझा और जाना है। जिन्हें देखकर कलाम सर मिशन 2020 के सपने देखते थे।
डॉ. कलाम उस वक्त DRDO में थे। उस वक्त उसके कम्पाउंड को और सुरक्षित करने के लिए सुझाव दिए जा रहे थे। एक बहुत साधारण-सा सुझाव आगे आया, जिसे हम में से कई लोग अपने घरों के लिए भी अपनाते हैं। सुझाव ये था कि बाउंड्री पर टूटे हुए शीशे लगवा दिए जाएं ताकि कोई बाउंड्री चढ़कर अंदर न आ सके। कलाम ने इस सुझाव को यह कहकर ठुकरा दिया कि शीशे की वजह से पक्षी भी बाउंड्री पर नहीं बैठ पाएंगे। चिड़ियायें कहां जाएंगी?
हमारे यहां जब भ्रष्टाचार की बातें होती हैं तो बड़े लोगों का नाम लिस्ट में सबसे ऊपर आता है। बहुत कम लोगों को पता है कि डॉ. कलाम अपनी तनख़्वाह भी नहीं लेते थे। भारत के राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपतियों की देखभाल भारत सरकार करती है। जब कलाम को यह पता चला तो उन्होंने अमूल के संस्थापक डॉ. वर्गीज़ कुरियन से पूछा कि – अब जब भारत सरकार मेरा खर्च वहन कर रही है तो मैं अपने वेतन का क्या बेहतर कर सकता हूं? इस तरह कलाम अपनी पूरी तनख़्वाह एक ट्रस्ट को देने लगे जिसका नाम था – PURA (Providing Urban Amenities to Rural Areas)। हमें लगता है कि इस ट्रस्ट का मिशन आप इसके नाम से ही समझ गए होंगे।
एक बार डॉ. कलाम को एक कॉलेज के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जाना था। वो बच्चों की तैयारी देखने को बहुत उत्सुक थे। देखना चाहते थे कि विद्यार्थियों ने कितनी तैयारियां कर ली हैं और क्या-क्या करने में लगे हुए हैं। कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले वो रात में अपनी जीप से बिना किसी सिक्योरिटी के उस कॉलेज पहुंचे। ये उन्हें भी पता था कि आखिरी दिन बच्चों को रात तक लगे रहना पड़ता है। किसी को अंदाज़ा नहीं था कि डॉ. कलाम इस तरह बिना बताए रात में ही आ जाएंगे। उन्होंने वहां की तैयारी देखकर कहा कि वो असली हार्डवर्किंग लोगों से मिलना चाहते थे। उन लोगों से मिलना चाहते थे जो दिन-रात इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लगे हुए हैं।
एक वक्त जब कलाम सर DRDO के मैनेजर थे, काम का बहुत प्रेशर रहा करता था। एक वैज्ञानिक ने अपने बॉस, मतलब डॉ. कलाम से कहा कि आज वो घर के लिए जल्दी निकलना चाहता है क्योंकि उसे बच्चों को लेकर exhibition (प्रदर्शनी) दिखाने ले जाना है। डॉ. कलाम ने मुस्कुराते हुए परमिशन दे दी और वह वैज्ञानिक खुशी-खुशी अपने काम में लग गया। बद्किस्मती से उसका काम ठीक समय पर पूरा नहीं हो पाया और उसे घर पहुंचने में देरी हो गई। पछतावे वाले भाव के साथ जब वो घर पहुंचा तो उसने देखा कि बच्चे नहीं हैं। उसने अपनी पत्नी से पूछा कि बच्चे कहां हैं? तब पता चला कि मैनेजर सर शाम के करीब सवा पांच बजे घर पर आए थे और बच्चों को exhibition दिखाने ले गए। हम में से बहुत कम लोग अपने बॉस से समय पर छुट्टी देने की भी उम्मीद रखते हैं।
बचपन से इस महानायक के किस्से सुनकर बड़े हुए। आज इस परम साधारण और महानतम इंसान की पहली पुण्यतिथि है। आज के दिन पिछले वर्ष हमने उस व्यक्तित्व को खो दिया जो सही मायने में गंगा-जमुनी तहज़ीब का उदाहरण था। हमारे लिए यह इस सदी की सबसे बड़ी क्षति थी। पर अब यकीन हो चला है कि ऐसे महानायक कहानियों और कल्पनाओं से निकल कर हकीक़त की ज़मीन पर भी उतरते हैं। देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति को हमारा शत्-शत् नमन!
सोर्स:फिरकी.इन
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