अब वो दिन दूर नहीं,
जब मध्यवर्गीय व्यक्ति भी हवाई मार्ग से दिल्ली से आगरा या बरेली तक का सफर
कर सकेंगे, वह भी महज ढाई हजार रुपये में। दरअसल, केंद्र सरकार चाहती है
कि बड़े शहरों को छोटे शहरों से जोड़ने के लिए हर हफ्ते कम से कम तीन
उड़ानें शुरू की जाएं।
500 किलोमीटर की इन उड़ानों का किराया ढाई हजार
रुपये रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें न सिर्फ कर में छूट देंगी बल्कि
विमानन कंपनियों को क्षेत्रीय हवाई सेवा कोष से सब्सिडी भी मुहैया
कराएंगी। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री, पी अशोक गजपति राजू ने शुक्रवार
को क्षेत्रीय हवाई सेवा योजना (आरसीएस) को जारी करते हुए बताया कि इस योजना
का मसौदा मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।
इस पर सभी हितधारकों से तीन सप्ताह के भीतर प्रतिक्रिया मंगायी गई है। उन प्रतिक्रियाओं का अध्ययन और उस पर कार्यान्वयन के लिए एक सप्ताह का वक्त तय किया गया है। इसके बाद (एक महीने में) क्षेत्रीय सेवा योजना को लागू कर दिया जाएगा और इसके मुताबिक छोटे शहरों को बड़े शहरों से जोड़ने के लिए हवाई जहाज उड़ान भरने लगेंगे।
उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य 35 करोड़ लोगों को सस्ते हवाई सफर से जोड़ना है। क्षेत्रीय स्तर पर सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों को हफ्ते में कम से कम तीन और अधिक से अधिक सात फ्लाइट ऐसे हवाई अड्डों से शुरू करनी होंगी, जहां विमान सेवाओं का विस्तार बहुत कम है। सात से ज्यादा उड़ानों पर सरकार सब्सिडी नहीं देगी।
इस पर सभी हितधारकों से तीन सप्ताह के भीतर प्रतिक्रिया मंगायी गई है। उन प्रतिक्रियाओं का अध्ययन और उस पर कार्यान्वयन के लिए एक सप्ताह का वक्त तय किया गया है। इसके बाद (एक महीने में) क्षेत्रीय सेवा योजना को लागू कर दिया जाएगा और इसके मुताबिक छोटे शहरों को बड़े शहरों से जोड़ने के लिए हवाई जहाज उड़ान भरने लगेंगे।
उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य 35 करोड़ लोगों को सस्ते हवाई सफर से जोड़ना है। क्षेत्रीय स्तर पर सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों को हफ्ते में कम से कम तीन और अधिक से अधिक सात फ्लाइट ऐसे हवाई अड्डों से शुरू करनी होंगी, जहां विमान सेवाओं का विस्तार बहुत कम है। सात से ज्यादा उड़ानों पर सरकार सब्सिडी नहीं देगी।
राजू
के मुताबिक, इन मार्गों पर उड़ान भरने के लिए एटीएफ पर केन्द्रीय उत्पाद
शुल्क के साथ-साथ विमान सेवा पर सर्विस टैक्स में छूट मिलेगी। राज्य
सरकारें भी एटीएफ पर वैट में छूट देंगी। इसके अलावा वे हवाई अड्डे को
रियायती दर पर बिजली-पानी देंगी।
इन उड़ानों की सीटों पर केन्द्र की तरफ से क्षेत्रीय हवाई सेवा कोष (आरसीएस फंड) से सब्सिडी भी मिलेगी। हालांकि विमान की सभी सीटों पर सब्सिडी नहीं दी जाएगी। 13 सीट वाले छोटे विमानों की नौ सीटों पर सरकार छूट देगी, वहीं 80 सीट वाले विमानों की 40 सीटों पर सब्सिडी मिलेगी।
क्षेत्रीय स्तर पर सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों को अन्य सीटें बाजार भाव से बेचने की छूट रहेगी। यानी सरकार उन्हीं सीटों की कीमत तय करेगी, जिन पर वह छूट दे रही है। इस कवायद के जरिए सरकार शुरूआत में ऐसे तीस हवाई अड्डों पर क्षेत्रीय सेवा शुरू करेगी, जहां उड़ान भरने लायक सभी सुविधाएं हैं। इनमें ही आगरा, बरेली, कानपुर और इलाहाबाद के हवाई अड्डे शामिल हैं। बाद में वैसे हवाई अड्डों पर भी सेवा शुरू होगी जहां सुविधाएं जुटायी जानी बाकी हैं।
इन उड़ानों की सीटों पर केन्द्र की तरफ से क्षेत्रीय हवाई सेवा कोष (आरसीएस फंड) से सब्सिडी भी मिलेगी। हालांकि विमान की सभी सीटों पर सब्सिडी नहीं दी जाएगी। 13 सीट वाले छोटे विमानों की नौ सीटों पर सरकार छूट देगी, वहीं 80 सीट वाले विमानों की 40 सीटों पर सब्सिडी मिलेगी।
क्षेत्रीय स्तर पर सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों को अन्य सीटें बाजार भाव से बेचने की छूट रहेगी। यानी सरकार उन्हीं सीटों की कीमत तय करेगी, जिन पर वह छूट दे रही है। इस कवायद के जरिए सरकार शुरूआत में ऐसे तीस हवाई अड्डों पर क्षेत्रीय सेवा शुरू करेगी, जहां उड़ान भरने लायक सभी सुविधाएं हैं। इनमें ही आगरा, बरेली, कानपुर और इलाहाबाद के हवाई अड्डे शामिल हैं। बाद में वैसे हवाई अड्डों पर भी सेवा शुरू होगी जहां सुविधाएं जुटायी जानी बाकी हैं।
सोर्स:अमरउजाला
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