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हर एक छात्र के आंखों में परीक्षाओं में बेहतर अंक हासिल कर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, आईएएस आदि बनने के ख्वाब होते हैं. कुछ छात्रों का यह सपना पूरा भी हो जाता है लेकिन कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं जो टॉप करने के बाद दुनिया में कुछ अलग ही बनने के सपने देखते हैं.



कुछ ऐसे ही छात्रों में शुमार है 17 वर्षीय वार्शिल शाह का नाम. वार्शिल अहमदाबाद के मध्यम परिवार से आते हैं उन्होंने हाल ही में गुजरात बोर्ड द्वारा आयोजित 12वीं कक्षा की परीक्षा 99.9 फीसदी अंक हासिल कर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है.



वार्शिल देश के बेहतरीन कॉलेजों में दाखिला लेकर अपना बेहतर करियर बना सकते हैं लेकिन उन्होंने अपने आगे के करियर की डगर खुद ही चुनी है.



वार्शिल ने किसी कॉलेज में एडमिशन लेने कि बजाए जैन भिक्षु बनने का फैसला किया है. वह आगामी आठ जून को जैन भिक्षु बनने के लिए दीक्षा लेने वाले हैं.



इस बारे में जानकारी देते हुए वार्शिल के चाचा नयनभाई सुठारी ने कहा कि दीक्षा कार्यक्रम गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा. वैसे तो परीक्षा परिणाम उसकी उम्मीदों के अनुरूप है, लेकिन दुनिया में शांति की स्थापना के लिए यही रास्ता बेहतर है.



वार्शिल तीन साल पहले मुनि श्री कल्याण रत्न विजय जी के संपर्क में आया था. इसके बाद वह आध्यात्म की राह पर मुड़ गया. वार्शिल सफलता के लिए कड़ी मेहनत की बजाए शांत दिमाग से काम करना पसंद करता है. वह दीक्षा लेने के लिए अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने का इंतजार था.



पेशे से आयकर अधिकारी वार्शिल के पिता जिगरभाई और मां अमीबेन शाह अपने बेटे के इस फैसले से काफी खुश हैं. इतना ही नहीं वार्शिल की बड़ी बहन जैनिनी भी अपने भाई के फैसले के साथ है.



गौरतलब है कि 27 मई को आए गुजरात हायर सेकंडरी एजुकेशन बोर्ड के परीक्षा परिणाम में वार्शिल ने टॉप किया है.



सोर्स:इंडिया.कॉम
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