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dalit protesters led by bhim army put forward 3 demands related to sharanpur caste violence


dalit protesters led by bhim army put forward 3 demands related to sharanpur caste violenceजंतर मंतर पर जुटे प्रदर्शनकारी:


सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की पहली प्रशासनिक नाकामी माना गया. रविवार को इस मामले से जुड़ी अपनी मांगों को लेकर दलित गुटों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में सबसे आगे ‘भीम आर्मी’ के लोग रहे. 
 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान ‘भीम आर्मी’ के संयोजक चंद्रशेखर आज़ाद, गुजरात से युवा दलित नेता जिग्नेश मवानी और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी मौजूद थे. चंद्रशेखर सहारनपुर में हुई हिंसा के मामले में यूपी पुलिस की वॉन्टेड लिस्ट में हैं.

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शनिवार को दिल्ली पुलिस ने यह कहकर इस प्रदर्शन की अनुमति रोक ली थी कि जंतर-मंतर इतने सारे लोगों के जुटने लायक जगह नहीं है. इसके बावजूद लोग जुटे. पुलिस ने प्रदर्शन इस शर्त पर होने दिया कि जब तक सब कुछ शांतिपूर्ण ढंग से होता रहेगा, किसी को रोका नहीं जाएगा. 


 एहतियात के तौर पर पुलिस ने संसद और आसपास के इलाकों में भारी बंदोबस्त रखा था. प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों को अपने हाथ में बंधा कलावा कैंची से काटते हुए देखा गया.


प्रदर्शन के दौरान दलित गुटों ने तीन मांगें रखीं:

#1. 5 मई को सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई हिंसा की न्यायिक जांच हो


#2. महाराणा प्रताप जयंती के जुलूस में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो


#3. शब्बीरपुर में जिन दलितों के घर जलाए गए हैं, उन्हें मुआवज़ा दिया जाए



प्रदर्शन का बैकग्राउंड

sharanpur caste violenceसहारनपुर में पथराव और आगजनी के बाद की एक तस्वीर


5 मई को सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में कुछ राजपूत लड़के महाराणा प्रताप की जयंती पर जुलूस निकाल रहे थे. दलित लड़कों ने जुलूस और DJ पर आपत्ति जताई, तो दोनों पक्षों में झड़प हो गई. बलवे में एक राजपूत लड़के सुमित की मौत हो गई और दलितों के घर फूंक दिए गए.



 ये 20 दिनों के भीतर सहारनपुर में हुआ हिंसा का दूसरा मामला था. इसके बाद 9 मई को फिर बलवा हुआ, जब दलित संगठन एक महापंचायत बुलाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने अनुमति नहीं दी थी. पुलिस का मानना था कि महापंचायत के दौरान माहौल बिगड़ सकता है. इसके बाद पुलिस और महापंचायत चाहने वाले लोगों के बीच झड़प हो गई थी.


इस सब में एक दलित गुट भीम आर्मी का नाम सामने आया. देर-सबेर प्रशासन हरकत में आया और फिर धरपकड़ शुरू हुई, जिसके बाद चंद्रशेखर और भीम आर्मी के बाकी लोग अंडरग्राउंड हो गए. 



लेकिन, भीम आर्मी सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से रविवार के प्रदर्शन में जुटने की अपील करती रही. 9 मई को चंद्रशेखर ने इसे लेकर एक ऑडियो संदेश भी जारी किया था.


Bhim Armyभीम आर्मी बनाने वाले चंद्रशेखर आजाद



रविवार के प्रदर्शन पर सभी की नज़र थी. वो इसलिए कि इसे भीम आर्मी ने आयोजित किया था. भीम आर्मी दलितों का एक जातीय स्वाभिमान संगठन है, जिसे वकील चंद्रशेखर आजाद ने जुलाई 2015 में बनाया था.




 पूरे देश की दिलचस्पी इसमें तब बढ़ी, जब सहारनपुर में हुई हिंसा में इसका नाम प्रमुखता से आया. इस संगठन का दावा है कि उनकी भीम आर्मी सात राज्यों तक फैली है और इसके 40 हजार से ज्यादा सदस्य हैं. इनके मुताबिक कई गांवों में दलित कोई बवाल होने के बाद इनके संगठन से तब जुड़े हैं.



सोर्स:लल्लनटॉप
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