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टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (tiff.) विश्व के सबसे महत्वपूर्ण फिल्म महोत्सवों में से एक है जहां दुनिया का सबसे शानदार सिनेमा सबसे पहले प्रदर्शित होता है. उसके कोई साल भर बाद वो फिल्में संबंधित देशों में या अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगती हैं. अगस्त 2012 में भारत से एक छोटी सी फिल्म को यहां प्रदर्शन के लिए चुना गया था. नाम था ‘शिप ऑफ थिसीयस.’ इसे आनंद गांधी नाम के व्यक्ति ने बनाया था. यहां से लेकर विश्व के अन्य फिल्म महोत्सवों में इसने प्रशंसाएं पाई थीं. एक साल बाद इसे भारत में बड़े पैमाने पर रिलीज किया गया. इंडिपेंडेंट फिल्मों के इतिहास में ये एक महत्वपूर्ण अध्याय था.

उसके बाद आनंद अपनी प्रोडक्शन कंपनी और उसके अन्य रचनात्मक आविष्कारों में खो गए. वे आज की तारीख में भारत के किसी भी फिल्मकार से बिलकुल अलग हैं. वे एक पीरियड फिल्म ‘तुम्बाड’ बना रहे हैं जिसे देखकर आप 100 करोड़ से ज्यादा बजट वाली मुंबई फिल्म उद्योग की पीरियड फिल्मों को भूल सकते हैं. कई अन्य फिल्मों के अलावा एक और प्रोजेक्ट है जिसे लेकर बीते चार साल से प्रतीक्षा है.

ये प्रतीक्षा 8-18 सितंबर को फिर tiff में ही खत्म हुई है. आनंद द्वारा निर्मित बेहद चर्चित डॉक्यूमेंट्री जो पहले प्रॉपोज़िशन फॉर अ रेवोल्यूशन के नाम से जानी जा रही थी. लेकिन बाद में इसका नाम बदल दिया गया है. इसका मेकओवर हो गया है. इसकी प्रस्तुति में भी प्रभावी बदलाव हुए हैं. इसका नाम है एन इनसिग्निफिकेंट मैन यानी एक आम/मामूली आदमी. इसका निर्देशन खुशबू रांका और विनय शुक्ला ने किया है. दोनों आनंद के साथ पहली फिल्म से जुड़े हैं.



दरअसल जब आनंद 2012 में शिप.. के जरिए बदलाव ला रहे थे उसी दौरान भारतीय राजनीति में भी एक नई पार्टी का उदय हो रहा था. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी जिसने जनलोकपाल आंदोलन से अलग होकर राजनैतिक पार्टी बनने का फैसला लिया और दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए खड़े हुए. और इसी दौरान के सबसे महत्वपूर्ण एक साल का दस्तावेजीकरण किया विनय और खुशबू ने. दोनों ने दिसंबर 2012 से लेकर दिसंबर 2013 के बीच में ‘आप’ के लोगों और गतिविधियों को कैमरे में कैद किया. ये फिल्म इसी एक साल के बारे में है. इस फिल्म को एक इंटरव्यू में परिभाषित करते हुए सह-निर्देशक विनय कह चुके हैं:

AAP आकार बदलने वाला जीव है. ये हमें समान रूप से आश्चर्यचकित करेगा और निराश भी. लेकिन हमारे पास एक कहानी है और वो सिर्फ ‘आप’ के बारे में नहीं है. ये हमारी व्यवस्थाओं के भीतर झांकने की कहानी है. कि, राजनीति कैसे होती है? कौन कर रहा है? पीछे मुड़कर देखने की क्रिया भी भविष्य की ओर झांकने की क्रिया हो सकती है.

 
इसे डॉक्यूमेंट्री निर्माण के लिए मिलने वाली दुनिया की बेहद प्रतिष्ठित IDFA Bertha ग्रांट हासिल हुई. पोस्ट-प्रोडक्शन और रिलीज के लिए इस टीम ने अभियान चलाया जिसमें 12 लाख रुपये एकत्रित हुए. इसने एशियन नेटवर्क ऑफ डॉक्यूमेंट्री फंड-2014 भी जीता. फिल्म का ट्रेलर भी इस दौरान लॉन्च किया गया था, जिसमें अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और अन्य कार्यकर्ताओं व लोगों के विचार, बहसें, रोना, हंसना, रणनीति बनाना, रैलियां नजर आए. वो ट्रेलर हटा लिया गया था.
An Insignificant Man/Prop4Rev को फिर हॉट डॉक्स कैनेडा ने भी चुना जो अंतर्राष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री समुदाय का बहुत प्रतिष्ठित मंच है. यहां निर्माता, वितरक, एडिटर और सेल्स एजेंट ऐसी फिल्मों को विस्तार देते हैं. पिछले साल नवंबर में अन्य बेहद बड़े मंच सनडांस डॉक्यूमेंट्री इंस्टिट्यूट ने इस फिल्म को अपना समर्थन दिया. इससे पहले ऑस्कर में छाई रही सिटीज़नफोर और डर्टी वॉर्स जैसी फिल्मों को इस इंस्टिट्यूट ने समर्थन दिया था. फिर इस साल मार्च में ज्ञात हुआ कि फिल्म के म्यूजिक और अंतिम एडिटिंग पर काम चल रहा है. बाद में घोषणा कर दी गई कि फिल्म तैयार है और tiff में इसका प्रीमियर किया जाएगा. आनंद ने ये जानकारी दी. फिल्म अपनी रिलीज के एक कदम और करीब आ गई है.




इसका ये टीज़र जारी हुआ है:
 











सोर्स:लल्लनटॉप 

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