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25-30 साल पहले बॉलीवुड में माहौल एकदम लुल्ल हो गया था. हीरो तो जैसे एकदम कमजोर पड़ गए थे. अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, सनी देओल, संजय दत्त मिथुन पूरी कोशिश कर रहे थे गुंडों को पीटने की, पर हो नहीं पा रहा था. वो वक़्त मोगाम्बो के लिए ही जाना जाता था. नहीं तो सड़क फिल्म की महारानी के लिए. धर्मेन्द्र लोहा बना रहे थे, पर लोग बस बड़े-बुजुर्गों की रेस्पेक्ट में देख रहे थे. तीन नए लड़के भी आये थे. शाहरुख़, सलमान और आमिर. तीनों कामदेव के अवतार. हर तरह का इंसान इनसे स्नेह रखता था. पर गुंडे अभी भी ताकतवर थे. ये तीनों उनको कायदे से पीट नहीं पाते थे. जनता में बहुत डर था कि कैसे होगी सुरक्षा.

छः फुट का शेर




तभी किसी ने देखा कि एक छः फुट का लड़का शेर की तरह भागे जा रहा है. बिजली की तरह कौंध रहा है. बड़े-बड़े गुंडों को धमकी दे रहा है कि 24 घंटे हैं तुम्हारे पास. खरखराती हुई आवाज में. हर तरह की परंपरा से मुक्त आवाज. आप को लगता है कि अरे ये तो अपने मोहल्ले का हीरो है. बाकी हीरो की तरह दूसरे ग्रह से नहीं आया है. आपको थोड़ा सा डर भी लगता है कि कहीं ये लड़का पत्थर साबित ना हो जाये.

फिर अचानक आप उसे देखते हैं रवीना टंडन के साथ. टिप-टिप बरसा पानी में जेम्स बांड की तरह खड़ा है. नाव यू नो. वो लड़का छा जाता है. अक्षय कुमार आ चुके थे.


अक्षय ने फ़्लर्ट को एक्टिंग बना दिया!




अपने साथ एक और चीज लेकर आये थे. इनसे पहले के एक्टर रोमांस करते थे. पर किसी को फ़्लर्ट करने नहीं आता था. ये लड़का देखने में ही फ़्लर्ट लगता था. आप इस लड़के की आंखों के मूवमेंट देखते रह जाते हो. इसकी बॉडी-लैंग्वेज देखते रह जाते हो. इस लड़के ने फ़्लर्ट को एक्टिंग का पार्ट बना दिया. जब ये कॉमेडी करते हैं, तो पब्लिक के साथ फ़्लर्ट कर रहे होते हैं. निजी जिंदगी में तो बंदे ने फ़्लर्ट के बहुत आरोप झेले हैं. पर लड़के में कुछ तो स्पेशल था ही.

हर तरह की छवि से अलग. ना चॉकलेटी, ना थिएटर का कलाकार, ना बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा. पर कोई तो बात थी उसमें. कॉन्फिडेंस था. उसे पता था कि उसकी प्रतिभा औसत है. पर उसे ये भी पता था कि उसे टिकना है. और यही बात उसे सबसे अलग बनाती है. जिस इंडस्ट्री में बड़े-बड़े स्टारों के बच्चे ना टिक ना पाए, वहां ये बंदा 25 साल से खड़ा है. लगातार अपने-आप को अपडेट करते हुए.

बॉलीवुड का एकमात्र एक्टर जिसके लिए जनता ने फिल्मों की फ्रेंचाइजी और सीरीज बना दी. खिलाड़ी सीरीज. किसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर ने ये नहीं सोचा होगा.


बॉलीवुड के लिए जरूरी अक्षय




इस लड़के की उम्र जैसे-जैसे बढ़ रही है, बॉलीवुड के लिए उतना ही जरूरी होता जा रहा है. छोटे कस्बों के लड़के जो इसको देख-देख बड़े हुए थे, इसकी दिल से इज्जत करते हैं. क्योंकि इस लड़के ने उनको जीना सिखाया है. कि कैसे अपने-आप पे भरोसा करना आपको हमेशा अगली पंक्ति में रखता है. चाहे लोग आप को किसी लायक ना समझें. कि पत्थर की तरह लगते हो, फर्नीचर हो. एक्टिंग नहीं आती, डांस नहीं आता. देखने में अजीब सा है. पर आपको पता होना चाहिए कि बस आप ही हो. जैसे इस लड़के ने सोचा. इसे अपने-आप को ले के कभी संदेह नहीं था.

नहीं तो, एक वक़्त था कि कोई भी एक्टर अमिताभ बच्चन के सामने काम नहीं करना चाहता था. क्योंकि डर था कि अमिताभ के सामने पोल खुल जाएगी. पर इस लड़के ने हमेशा चैलेंज लिया. और आज बॉलीवुड में अमिताभ के साथ सबसे ज्यादा फ़िल्में देनेवाले हीरो में से है.


अक्षय को देख के आप जिन्दगी जीना सीखते हैं




जिंदगी में लोग क्रिटिक के हिसाब से चलते हैं और लगातार अपने-आप को कोसते हैं कि ‘मैं ‘काम’ के पैमाने पर खरा नहीं उतर रहा हूं’. लगातार अपनी जिंदगी के मायने ढूंढते रहते हैं. खुशियां तलाशते हैं. सिगरेट फूंकते हैं. दारु पीते हैं. योगा करते हैं. पर जब भी आप अक्षय को देखते हैं तो जलन होती है. क्योंकि आप उस जैसा बनना चाहते हैं. इससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण, जिस अंदाज से वो अपनी जिंदगी जीता है, आप मर-मिटते हैं.

पचासा पहुंच रहा है, फिर भी अक्षय वैसे ही फिट हैं, जैसे 25 साल पहले थे. एकदम चकचक. फैमिली लाइफ एकदम मस्त. काम जबरदस्त. बिजनेस शानदार. हमेशा यही लगता है कि ये आदमी अपनी हर टेंशन जिम में निकाल देता है.

नहीं तो हर साल 5-6 फ़िल्में कैसे आतीं? 25 साल से लगातार. अपने साथ के हर हीरो से ज्यादा फिल्में.
अक्षय के काम को आप एक्टिंग के पैमाने पर नहीं नाप सकते. इनको बस ग्रेविटेशनल फोर्स से ही नाप सकते हैं. आप नहीं चाहेंगे, फिर भी खिंचते चले जायेंगे.

हैप्पी बर्थडे अक्षय कुमार! हम लोग आप को अभी भी उतना ही चाहते हैं.





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