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महाभारत युद्ध को धर्मयुद्ध कहा जाता है लेक‌‌िन इस धर्म युद्ध को जीतने के ‌ल‌िए पांडवों को कई ऐसे काम भी करने पड़े ज‌िसे धर्मानुसार उच‌ित नहीं कहा जा सकता। और इसमें सबसे बड़ी भूम‌िका श्री कृष्‍ण की रही। श्री कृष्‍ण ने न्याय और सत्य को जीताने के ल‌िए धर्म की अपनी पर‌िभाषा गढ़ी और ऐसे चाले ज‌िससे पांडवों को युद्ध में व‌िजय श्री की प्राप्त‌ि हुई।


5 tricks of shri krishna in mahabharat war

महाभारत युद्ध में व‌िजय के ल‌िए सबसे जरुरी था क‌ि ‌प‌ितामह भीष्म युद्ध क्षेत्र से हट जाएं। इसके ल‌िए श्री कृष्‍ण ने अर्जुन के रथ पर श‌िखंडी को बैठाया। श‌िखंडी पूर्ण पुरुष नहीं था भीष्म इन्हें स्‍त्री मानते थे क्योंक‌ि वह पूर्व जन्म में अंबा थी। भीष्म की प्रत‌िज्ञा थी क‌ि वह स्‍त्री पर ह‌थ‌ियार नहीं चलाएंगे। इसी प्रत‌िज्ञा का लाभ उठाकर श्री कृष्‍ण ने अर्जुन को प्रेर‌ित क‌िया क‌ि वह प‌ितामह भीष्म को वाणों की शैय्या पर ल‌ेटा द‌िया और अंत में यही हुआ।

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भीष्म के बाद द्रोणाचार्य ऐसे योद्धा थे ज‌िनके रहते युद्ध जीतना असंभव था। इन्हें व‌िजय के रास्ते से हटाने के ल‌िए श्री कृष्‍ण ने धर्मराज युध‌िष्ठ‌िर को झूठ बोलने के ल‌िए प्रेर‌ित क‌‌‌िया। युध‌िष्ठ‌िर ने द्रोणाचार्य से कहा क‌ि उनका पुत्र अश्वत्‍थामा मर गया है। जबक‌ि मरा था अश्वत्‍थामा नाम का एक हाथी। युध‌िष्ठ‌िर के आधे सत्य से दुखी होकर द्रोणाचार्य ने अपने धनुष बाण जमीन पर रख द‌िए और व‌िलाप करने लगे। मौके का लाभ उठाकर धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध कर द‌िया।


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महाभारत युद्ध के दौरान एक द‌‌िन सूर्यग्रहण हुआ ऐसा माना जाता है। कहते हैं क‌ि अर्जुन ने प्रत‌िज्ञा ले ली क‌ि वह सूर्यास्त तक जयद्रथ का वध नहीं कर पाए तो आत्मदाह कर लेंगे। अगर ऐसा हो जाता तो पांडवों की हार हो जाती। इसल‌िए युद्ध के दौरान श्री कृष्‍ण ने अपना सुदर्शन चक्र सूर्य की ओर छोड़ द‌िया ज‌िससे सूर्य की रोशनी छुप गई और सभी को लगा क‌ि शाम हो चुकी है। जबक‌ि यह ग्रहण जैसी स्‍थ‌ित‌ि थी। उत्साह‌ित जयद्रथअर्जुन को आत्मदाह के ल‌िए उकसाने लगा। इसी बीच श्री कृष्‍ण ने अपना चक्र सूर्य की ओर से हटा ल‌िया और सूर्य न‌िकल आया। अर्जुन ने पास खड़े जयद्रथ का वध कर द‌िया और अपनी प्रत‌िज्ञा पूरी की।


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भगवान श्री कृष्‍ण ने चौथा छल उस समय क‌िया जब कर्ण कौरव सेना का सेनापत‌ि बना और अर्जुन से युद्ध के ल‌िए आया। कर्ण के रथ का पह‌िया जमीन में धंस गया ज‌िसे न‌िकालने के ल‌िए कर्ण ने अपने धनुष बाण रख द‌िया। न‌िहत्‍थे कर्ण को देखकर श्री कृष्‍ण ने अर्जुन को कर्ण वध के ल‌िए उकसाना शुरु क‌िया और द‌िव्यास्‍त्र चलवा द‌िया। क्षण भर में कर्ण का अंत हो गया।



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दुर्योधन का अंत भी श्री कृष्‍ण की छल बुद्ध‌ि से संभव हुआ। श्री कृष्‍ण ने दुर्योधन को माता के पास न‌िर्वस्‍त्र होकर न जाने की सलाह दी ज‌िससे कमर के न‌ीचे का ह‌िस्सा वज्र का नहीं हो पाया। भीम के साथ जब दुर्योधन का युद्ध हुआ तब श्री कृष्‍ण ने भीम को सलाह दी क‌ि कमर के नीचे के ह‌िस्से पर प्रहार करो जबक‌ि यह न‌ियम के व‌िरुद्ध था। कमर के नीचे गदा के प्रहार से दुर्योधन की मृत्यु हुई। इस तरह पांडवों को महाभारत में व‌िजय श्री म‌िली।







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