उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचने के लिए हजारों लोगों ने ख्वाब संजोया था, जिसमें से 403 लोगों का ख्वाब 11 मार्च को आए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम के दिन पूरा हो गया। लेकिन आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बिना चुनाव लड़े भी विधायक बना जा सकता है और आपको यह ऐसे शख्स के बारे में बताते हैं जो बिन चुनाव लड़े ही तीन बार विधानसभा के सदस्य बन चुके हैं।
यह विधायक है पीटर फैंथम जिन्हें विधायक नंबर 404 के नाम भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 404 सीटें हैं जिससे में 403 सीटों पर सीधा चुनाव होता है लेकिन 404 नंबर सीट एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए आरक्षित है। इस सीट पर सरकार की सहमति से राज्यपाल एंग्लो इंडियन समुदाय के किसी व्यक्ति को मनोनीत करते हैं। वर्तमान में पीटर फैंथम इस सीट पर साल 1997 से विधायक हैं। माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी की राज्य में सरकार बनने के बाद इस पद किसी नए लोगों को मौका दिया जा सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 333 के तहत संसद में दो और राज्य विधानसभाओं में एक एंग्लो इंडियन सदस्य को मनोनीत करने का प्रावधान है। आजादी मिलने पर जब संविधान बनाया जा रहा था तब एंग्लो इंडियन सोसाइटी के चर्चित नेता फ्रैंक एंथोनी ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु से संसद में एंग्लो इंडियन के लिए सीट आरक्षित किए जाने की मांग की। उनकी दलील थी कि इस वर्ग के ज्यादातर लोग विदेश जा चुके हैं।
फैंक एंथोनी के फाइलफोटो।
उनकी कुल संख्या तब लगभग पांच लाख थी जो कि देश भर में बंटे हुए थे। इसलिए उनका संसद तक पहुंच पाना असंभव था। नेहरु ने उनके लिए लोकसभा में दो सीटों के मनोनयन की व्यवस्था कर दी। इसके अलावा देश की विभिन्न विधानसभाओं में भी इनके लिए विधानसभा की सीटें आरक्षित की गई। जहां पर बिना चुनाव लड़े ही इस समुदाय के लोगों को विधायक मनोनीत किया जाता है। जब उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग नहीं हुआ था तब एक एंग्लो इंडियन को विधानसभा के लिए मनोनीत किया जाता था। उत्तराखंड बनने के बाद भी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में एक-एक सीट पर एंग्लो इंडियन को विधायक मनोनीत किया जाता रहा है।
उत्तर प्रदेश के 404 वें विधायक का अपना कोई विधानसभा क्षेत्र नहीं है। ये पूरे उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये चुनाव भी नहीं लड़ते हैं, पर विधानसभा में इनकी अपनी अलग पहचान होती है। ये राजनीतिज्ञ हैं, पर दलगत राजनीति से सीधा सरोकार इनका नहीं हेाता है। आमतौर पर प्रदेश के इस विधायक से ज्यादातर लोग वाकिफ होते हैं। इस सीट के मौजूदा विधायक पीटर फैंथम यूपी के फतेहगढ़ के रहने वाले हैं। वह पेशे से टीचर हैं और लामार्टिनियर कालेज लखनऊ के सदस्य हैं।
आम लोग एंग्लो इंडियन के बारे में कम जानते हैं यह लोग देश के महानगरों के साथ ही विभिन्न प्रदेशों की राजधानियों में स्कूल चलाते हैं। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के साथ ही लखनऊ में यह लोग रहते हैं। ऑल इंडिया एंग्लो इंडियन सोसाइटी के वाइस प्रेसिडेंट और झारखंड विधानसभा के के एंग्लो कोट से मनोनीत विधायक ग्लेन जोसेफ गॉलस्टन कहते हैं '' देश के अलग- अलग हिस्सों में लगभग दो लाख से ज्यादा एंग्लो इंडियन रहते हैं। एंग्लो इंडियंस की सबसे ज्यादा आबादी, जमशेदपुर, रांची, धनबाद और चक्रधरपुर में हैं। दुनिया में एंग्लो इंडियंस के लिए बसाया गया एक मात्र शहर मैकलुस्कीगंज झारखंड की राजधानी रांची जिले में ही है। ''
उन्होंने बताया कि एंग्लो इंडियन पश्चिमी और भारतीय नामों, रीति रिवाजों और रंगरूप से मिले लोगों का समुदाय है। जिसकी जड़े ब्रिटिश काल से हैं। ब्रिटेन के साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में यह समुदाय रहता है। एंग्लो इंडियन की मातृ भाषा इंगलिश होती और यह लोग ईसाई धर्म को मानते हैं।
अपना रीति रिवाज बचाने के लिए चर्च में जुटते हैं एंग्लो इंडियन समुदाय के लोग।
एंग्लो इंडियन को लेकर एक मत यह भी है कि यह लोग यूरोपीय मूल के थे पर इनका जन्म जन्म भारत में हुआ और वे यही पले बढ़े। इनमें रुडयर्ड किपलिंग, जॉर्ज ऑरवेल, रस्किन बांड का नाम प्रमुख है। वहीं एक मत यह है कि एंग्लो इंडियन वह हैं जिनके पिता ब्रिटिश और मां भारतीय थीं। क्लिफ रिचर्ड, क्रिकेटर नासिर हुसैन, फुटबाल खिलाड़ी माइकेल चोपड़ा, बेन किंग्सले, पूर्व एयरवाइस मार्शल मौरिस बरकार, लारा दत्ता, महेश भूपति, रोजर बिन्नी, फ्रैंक एंथोनी, पूर्व वायुसेनाध्यक्ष अनिल कुमार ब्राउनी और फिल्म स्टार कैटरीना कैफ सभी इसी समुदाय से हैं। जोनमोन क्विज मास्टर और तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन एंग्लो इंडियन समुदाय के बड़े नेता और उनकी आवाज हैं।
सोर्स:गाँव-कनेक्शन
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