ग्वालियर। ये सब मुमकिन तब हुआ जब गांव के तीन युवकों की मौत शराब की वजह से हुई। बस लोगों ने ठान लिया तो वो कर दिखाया कि ये गांव देश में मिसाल बन गया। शराब पीने से इकलौते बेटे सहित छह महीने में तीन युवकों की मौत के बाद एजवारा गांव की तस्वीर बदल गई।
शराब किसी और परिवार का चिराग न बुझा दे इसलिए न यहां शराब बिकती और न कोई पीता है। एक माह से शराबबंदी के बाद अब यहां झगड़े भी नहीं होते। यही नहीं, गांव में शराब पीने और बेचने की सूचना देने वाले को 500 का इनाम देने की घोषणा हुई है।
तीन हजार की आबादी वाले एजवारा गांव के आसपास 45 वर्षों से पांच स्थानों पर शराब की अवैध भट्टियां चल रही थी। गांव में ही आसानी से शराब मिलने से ज्यादातर युवक नशे के आदी हो गए थे। शराब के चलते छह माह में संजीव, बबलू और जीतू मौत हो गई। संजीव परिवार का इकलौता बेटा था, उसके 9 माह की बेटी है। पत्नी और बेटी की स्थिति देखकर पूरे गांव ने शराबबंदी का फैसला किया। संजीव की पत्नी सोनी कहती हैं कि शराबबंदी से गांव सुधर गया है।
अगर यह पहले ही हो जाता तो मेरा पति बच जाता मुझे ये दिन न देखने पड़ते। शराबबंदी में मुख्य भूमिका निभा रहे सरपंच शीलकुमार यादव, धनपाल यादव, राधेचरण, जयपाल, चंद्रभान, कप्तान सिंह व जगदीश सिंह कहते हैं कि श्रीमद् भागवतकथा के दौरान सबने पूर्ण शराबबंदी का संकल्प लिया है।
"शराबबंदी से ज्यादा महिलाएं खुश हैं। झगड़े बंद हो गए, परिवारों में शांति है। कोई शराब पीने या बेचने की सूचना देगा, उसे पांच सौ रुपए का इनाम भी दिया जाएगा।" -शीलकुमार यादव, सरपंच एजवारा
सोर्स:पत्रिका
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