आख़िरकार भारत ने वो कदम उठाया, जिसकी इंतज़ार कई दिनों से था. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने LoC पार कर एक हमले को अंजाम दिया, जिसमें दुश्मन को काफी नुकसान होने की ख़बर है. लेकिन इस सर्जिकल स्ट्राइक की ज़रूरत क्यों पड़ी, इस बार ऐसा क्या हुआ कि भारत को इस दर्जे की कार्रवाई करनी पड़ी. ये रहे चंद कारण
हमला अनिवार्य था
पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है. ये बात हम सभी जानते हैं और बार-बार कह भी रहे थे. लेकिन इससे आगे क्या? उसे सुधारा कैसे जाए? उसे जवाब कैसे दिया जाए? पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ और हमलों में कोई कमी नहीं आ रही थी और वहां की सरकार बार-बार पल्ला झाड़ रही थी. इसके अलावा भाजपा ने विपक्ष में रहते पाकिस्तान से सख़्ती से निपटने की बात कही थी. अब वो सत्ता में है, ऐसे में आतंकी हमलों के बाद मोदी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा था कि वो अपनी नीति स्पष्ट करे और पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाए. ये सर्जिकल हमला इसी सिलसिले की कड़ी है
पठानकोट और उरी
संसद पर हमला या फिर मुंबई को बंधक बनाने वाले आतंकी हमला, पाकिस्तान ने कई बार भारत का संयम जांचा है और हमने संयम दिखाया भी. लेकिन इस बार अति होती जा रही थी. घुसपैठ की घटना आम हैं, लेकिन पाकिस्तान से भारत में घुसने वाले आतंकवादियों ने हाल में पहले पठानकोट और फिर उरी में हमारी सामरिक ताक़त को ललकारा. पहले एयरबेस को निशाना बनाया गया, उसके बाद आर्मी बेस को. दोनों हमलों में हमें काफी नुकसान हुआ. और सरहद से बार-बार दिल्ली को ये संदेश दिया जा रहा था कि सेना को इन हमलों का जवाब देने की इजाज़त दी जाए. ऐसा होना ही था, बस वक़्त तय नहीं था
पाकिस्तान का रुख़
भारत के पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर कार्रवाई करने की सबसे बड़ी वजहों में से एक पाकिस्तान का रुख है. भारत बार-बार उसे ज़िंदा सबूत दे रहा था, डॉज़ियर थमा रहा था और संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका या यूरोप जैसी ताक़त आतंकियों पर काबू पाने की अंतरराष्ट्रीय अपील, उसके कानों पर जूं नहीं रेंग रही थी. पाकिस्तान में सेना का राज चलता है और सरकार की स्थिति बेहद कमज़ोर है, ऐसे में नवाज़ शरीफ या उनकी सरकार से दोस्ती करने से भी हमें कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ रहा था, क्योंकि वहां की फौज हमारे खिलाफ है. पाकिस्तान हमारे आरोपों को सिरे से खारिज़ कर रहा था, ऐसे में पलटवार ही विकल्प था
बुरहान वानी और कश्मीर
आतंकी कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर घाटी में माहौल बिगड़ा हुआ था. दिल्ली और श्रीनगर, मिलकर इस मामले को संभालने की कोशिश में लगे थे, लेकिन कोई ख़ास कामयाबी नहीं मिल रही थी. ऐसे में नवाज़ शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुरहान वानी को हीरो की तरह पेश किया, जिससे ये साफ हो गया कि इस्लामाबाद कश्मीर का माहौल लगातार ख़राब रखना चाहता है. कश्मीर में कई जगह पत्थरबाज़ी जारी रही, कर्फ्यू लगा रहा, लेकिन नवाज़ ने इसे 'इंतिफदा' करार दिया. ज़ाहिर है, मोदी सरकार को ये बात समझ आ गई थी कि नवाज़ नहीं चाहते कि कश्मीर में हालात सामान्य हों
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई फायदा नहीं
उरी हमले के तुरंत बाद पलटवार का दबाव सरकार पर था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वजह है अंतरराष्ट्रीय दबाव. पहले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश की गई, लेकिन उससे कोई ख़ास फायदा हुआ नहीं. चीन उसका दोस्त है और रहेगा, रूस उसके साथ सैन्य अभ्यास कर रहा था और अमेरिका ने रस्मअदायगी से पूरी की. ऐसे में कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान को घुटने पर लाने के ज़्यादा विकल्प नहीं थे. इसके अलावा सिंधु नदी समझौते और MFN के मोर्चे पर कदम उठाने के बावजूद तुरंत नतीजा सामने नहीं आने वाला था. ऐसे में भारत ने आख़िरकार अपनी नीति बदली
सर्जिकल हमला, सकते में पाक
सरहद पर संघर्षविराम आए दिन टूटता ही रहता है. पाकिस्तान गोलीबारी करता रहता है, और हम जवाबी कार्रवाई. इसके अलावा साल 2016 में घुसपैठ की 20 कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं. सीधी जंग कोई हल नहीं थी, ऐसे में सर्जिकल हमला ही एकमात्र विकल्प बचा. इस हमले ने पाकिस्तान को सकते में ला दिया और भारत ने इसका ऐलान कर साफ कर दिया है कि वो इस बार पीछे नहीं हट रहा. अगर पाकिस्तान कहता है कि सर्जिकल हमला हुआ, तो उसे घर में जवाब देना मुश्किल होगा और बाहर ये स्वीकार करना होगा कि वहां आतंकी कैंप है. अगर वो भारत पर हमला करता है, तो वो छोटे स्तर का होगा जैसा सरहद पर करता रहता है
सोर्स:न्यूज़ फ्लिक्स
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