प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की सुरक्षा समिति की
बैठक के बाद सेना के डीजीएमओ ले. जनरल रणवीर सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में
जानकारी दी कि भारतीय सेना ने 28 सितंबर को नियंत्रण रेखा पर सर्जिकल
स्ट्राइक करके कई आतंकी ठिकानों को खत्म कर दिया गया है। लेकिन क्या आपको
पता है कि भारतीय सेना की जिस पैरा कमांडो फोर्स ने पाकिस्तान अधीकृत
कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया, उसे दुनिया की सबसे खतरनाक
सेनाओं में से एक माना जाता है।
सोर्स:टॉप यप्स
तो आइए आज जानते हैं आधुनिक हथियारों और स्पेशल ट्रेनिंग पाकर हर ख़तरनाक परिस्थिति से लोहा लेने वाले इन जाँबाज़ पैरा कमांडोज के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
आतंकियों के लिए मौत का दूसरा नाम कहे जाने वाले पैरा कमांडो या पैरा कमान भारतीय सेना की पैराशूट रेजीमेंट की एक विशेष टुकड़ी है। इनका इस्तेमाल अक्सर सेना के स्पेशल आपरेशन में किया जाता है।
दुनिया में सेना की सबसे पुरानी हवाई रेजीमेंट में से एक मानी जाने वाली पैराशूट रेजीमेंट का गठन 1941 के द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था।
सेना के ये जवान स्पेशल ऑपरेशन के लिए ख़ास तौर से प्रशिक्षित किए जाते हैं। इनको हर तरह के आतंकी हमलों को नाकाम करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। यह टुकड़ी डायरेक्ट एक्शन ऑपरेशन जैसी बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने में सक्षम होते हैं।
1965 के भारत-पाक युद्ध से लेकर कारगिल की लड़ाई तक पैराशूट रेजीमेंट की इस पैरा फोर्स ने बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है।
वहीं, पिछले साल 8 जून 2015 को इन जाँबाज़ पैरा कमांडोज ने म्यांमार में एक स्पेशल ऑपरेशन चला कर आतंकवादी संघटन एनएससीएन-के(NSCN-K) के 100 आतंकवादियों को मार गिराया था।
हाइटेक राइफल और अन्य अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस पैरा कमांडो की यह स्पेशल फोर्स हवाई रास्ते से अपने अभियान स्थल तक पहुंचती है और नीचे उतर कर दुश्मनों का सफाया करती है।
पैरा कमांडो अपनी मूवमेंट के लिए हरक्युलिस विमानों और चेतक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करते हैं। पैरा कमांडो को 45 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के दौरान करीब 50 बार 33,500 फीट की ऊंचाई से कूदने की ट्रेनिंग दी जाती है।
पैरा कमांडोज को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि अगर उनको विपरीत परिस्थितियों में किसी जंगल या निर्जन स्थान पर स्पेशल ऑपरेशन के तहत 4-5 दिन गुजारने हो, तो वे फल, फूल, पत्ती आदि पर निर्भर रह सकते हैं।
पैरा कमांडो हर साल रूस, अमेरिका और इजराइल जैसे देशों की सेनाओं के साथ संयुक्त युद्धाभ्यासों में हिस्सा लेती है।
सेना की इस टुकड़ी को आतंकियों के लिए मौत का दूसरा नाम कहा जाता है।
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