हम आपके लिए लाए हैं गणेशजी से जुड़े पांच बेहद रोचक किस्से. तो देर किस बात की, भांज डालिए.
#1 पता है गणेश का एक दांत कैसे टूटा था?
गणेश का एक नाम एकदंत भी है. यह नाम
उन्हें तब मिला, जब उनका एक दांत टूट गया था, लेकिन इसके पीछे एक बेहद रोचक
कहानी है. हुआ यूं कि जब महर्षि वेदव्यास को महाभारत लिखनी थी तो उन्हें
कोई ऐसा आदमी नहीं मिल रहा था, जो लिखने में उनकी मदद कर पाए. काफी सोचने
के बाद वो ये प्रोजेक्ट लेकर गणेश के पास पहुंचे. गणेश ने ऑफर तो एक्सेप्ट
कर लिया, लेकिन शर्त रखी कि वेदव्यास को पूरी महाभारत बिना ब्रेक लिए
लगातार बोलनी पड़ेगी.
अब वेदव्यास भी थे तो बड़े वाले. उन्होंने
भी एक शर्त रख दी. बोले, ‘मैं लगातार बोलता रहूंगा, लेकिन तुम्हें हर चीज
समझने के बाद ही लिखनी होगी.’ डील हो गई. वेदव्यास को जब रेस्ट करना होता
था तो वह एक कठिन सी लाइन बोल देते थे, जिसे समझने में गणेशजी को वक्त लग
जाता था. बीच में एक मौका ऐसा आया जब गणेशजी की कलम टूट गई. अब शर्त तो
शर्त थी. रुक सकते नहीं थे. तो गणेशजी ने तुरंत अपना एक दांत तोड़ा और उसे
स्याही में डुबोकर लिखने लगे. और इस तरह इतिहास के पहले स्टेनोग्राफर गणेश
का नाम एकदंत पड़ गया.
#2 जब चंदा मामा पर गरम हो गए गणेशजी
गणेश का मोदक-प्रेम तो किसी से छिपा है
नहीं. एक बार उन्होंने इतने मोदक खा लिए कि उनसे चला भी नहीं जा रहा था. तब
वह अपने वाहन चूहे की सवारी करने निकल पड़े. उनका वजन इतना ज्यादा हो गया
था कि चूहा भी झेल नहीं पाया. चूहे का बैलेंस बिगड़ गया और गणेशजी सड़क पर
लुढ़क गए. ऊपर से यह सब देख रहे चंदा मामा अपनी हंसी नहीं रोक पाए और यही
उनकी गलती थी.
उनके हंसने से गणेशजी नाराज हो गए और
उन्हें श्राप दे डाला कि गणेश चतुर्थी के दिन जो भी चांद देखेगा, उस पर
झूठा आरोप लग जाएगा. अपनी गलती का अहसास होते ही चंदा मामा गणेशजी के चरणों
में लोट गए. खैर, बाद में उन्हें इतनी रियायत दी गई कि गणेश चतुर्थी पर
चांद के दर्शन करने से जिस पर झूठा आरोप लगेगा, पूर्णिमा के अगले दिन चांद
देख लेने से उस पर से आरोप धुल जाएगा. गणेशजी की बात भी रह गई और चंद्रदेव
भी खुश हो गए.
#3 और गणेशजी ने कुबेर के इगो की कर दी ऐसी की तैसी
धन के देवता कुबेर को सबसे अमीर देवता
माना जाता है. फोर्ब्स अगर अमीर देवताओं की लिस्ट निकालना शुरू कर दे तो
कुबेर उनमें टॉप पर रहेंगे. तो एक बार कुबेर ने दी पार्टी और बुला लिया
सारे देवी-देवताओं को. भोलेनाथ को भी निमंत्रण मिला, लेकिन उन्होंने खुद
जाने के बजाय भेज दिया अपने पुत्र गणेश को. अब जब गणेशजी ने पार्टी में
खाना शुरू किया तो भइया हाहाकार मच गया.
खाना हो गया खतम. कुबेर की इज्जत लग गई
दांव पर. आखिर में भोलेनाथ खुद आए और मामला संभाला. भोलेनाथ ने अपने
सुपुत्र को एक कटोरी में थोड़ा सा अन्न दिया, जिसे खाते ही गणेश की भूख
शांत हो गई. मम्मी कसम इसके बाद कुबेर ने फर्जी चौड़ में घूमना बंद कर
दिया.
#4 जब भाई कार्तिकेय ने गणेश से ले लिया पंगा
एक बार भगवान शिव, पार्वती, गणेश और
कार्तिकेय कैलाश पर साथ बैठे थे. तभी न जाने किस बात पर खुद को बेहतर बताते
हुए कार्तिकेय ने गणेश से पंगा ले लिया. मम्मी-पापा से बोले कि आज तो
डिसाइड कर ही दो कि आप के दोनों जिगर के टुकड़ों में कौन श्रेष्ठ है. अब
मम्मी-पापा भी एक बेटे को दूसरे से बेहतर या कमजोर कैसे बता देते. तो
उन्होंने कहा कि दोनों में से जो भी धरती के तीन चक्कर लगाकर पहले उन तक
वापस आएगा, वह बेहतर माना जाएगा. कार्तिकेय ने जैसे ही सुना, तुरंत अपने
वाहन मोर का एक्सीलेटर खींच दिया.
अब गणेश ठहरे गोल-मटोल, भारी-भरकम और ऊपर
से उनकी सवारी भी चूहा. तो उन्होंने गियर डालने के बजाय दिमाग लगाया. वो
उठे और शिव-पार्वती की तीन परिक्रमाएं कर डालीं. जब उनसे पूछा गया कि ये
क्या किया तो बोले कि मेरे माता-पिता ही मेरा संसार हैं और उनकी परिक्रमा
करना पृथ्वी की परिक्रमा करने के बराबर है. उधर जब कार्तिकेय धरती के तीन
चक्कर लगाकर लौटे तो देखा गणेश जी पहले ही बाजी मार चुके थे.
#5 सबसे बड़ा मसला, गणेशजी की गर्दन पर हाथी का सिर फिट किया गया
एक बार पार्वती को स्नान करने जाना था और
उन्होंने गणेश को पहरेदारी करने खड़ा कर दिया. कहा, ‘किसी को भी अंदर नहीं
आने देना.’ तो गणेशजी तैनात हो गए अपनी ड्यूटी पर. तभी उधर से भोलेनाथ
झूमते हुए आए और अंदर जाने लगे. गणेश ने रोक लिया. बोले माता का आदेश है,
जाने तो आपको भी नहीं देंगे. भोलेनाथ नाराज हो गए. अब गणेश भी बाप से कैसे
जीत पाते. आखिर में शिव ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया. जब माता पार्वती
को पता चला कि उनके बेटे की मौत हो गई तो वह भोलेनाथ पर बहुत ही नाराज हो
गईं.
पार्वती ने साफ कह दिया कि उन्हें उनका
पुत्र जीवित चाहिए. पार्वती की ऐसी हालत देखकर भोलेनाथ से रहा नहीं गया.
उन्होंने नंदी से कहा कि धरती पर जाओ और जो सबसे पहले मिले, उसका सिर ले
आओ. नंदी को सबसे पहले हाथी का एक बच्चा मिला. वो उसी का सिर ले आए. इसके
बाद हाथी का सिर गणेशजी के लगा दिया गया. गणेश जीवित हो गए. पूजापाठ हुआ और
सभी देवताओं ने गणेश को आशीर्वाद दिया.
सोर्स:लल्लनटॉप
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