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नई दिल्ली: चीन की भारतीय सीमा में घुसपैठ के खतरे से निपटने के लिए इंडियन आर्मी ने लद्दाख बॉर्डर पर टीपू सुल्तान, महाराणा प्रताप और औरंगजेब की तैनाती की है। ये तीनों जांबाज भारतीय सेना की आर्म्ड यूनिट की टैंक रेजीमेंट हैं। इस समय लद्दाख में करीब 100 टैंक तैनात हैं। 

1962 में चीन से युद्ध के बाद पहली बार लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टैंकों की तैनाती की गई है। एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख में टीपू सुल्तान, महाराणा प्रताप और औरंगजेब जैसी टैंक रेजिमेंट की करीब 6 महीने पहले ही तैनाती की जा चुकी है। इससे पहले, भारत ने 1962 की जंग के दौरान प्लेन से 5 टैंक उतारे थे। 
जब तक ये टैंक पहुंचे थे, तब तक भारत की हार हो चुकी थी। अभी ये टैंक किस इलाके या रेंज में तैनात किए गए हैं, सिक्योरिटी और स्ट्रैटजिक कारणों के चलते उनका खुलासा नहीं किया गया है। एक अफसर के मुताबिक, इस इलाके में ऊंचे पहाड़ और घाटियां हैं। 

दुश्मन यहां आसानी से मूवमेंट कर सकता है। इसके चलते जरूरी है कि इस इलाके में ज्यादा फोर्स रखी जाए। रिपोर्ट के अनुसार, इन टैंकों की लद्दाख में तैनाती आसान नहीं है। यहां पर तापमान काफी कम रहता है। इस बारे में कर्नल विजय दलाल ने बताया, ”तापमान माइनस 45 डिग्री तक चला जाता है। इससे टैंकों की क्षमता पर असर पड़ता है। इसलिए ये टैंक विशेष फ्यूल से चलेंगे। मशीन जाम न हो जाए, इसके लिए टैंक के इंजन को रात में भी दो बार चालू किया जाता है। निश्चित रूप से ये मुश्किल काम है लेकिन हम इसे बेहतर तरीके से कर लेते हैं।”

 मालूम हो कि चीन ने लद्दाख के साथ सटे अपने इलाके में सैन्य गतिविधियों को विस्तार दिया है। उसकी सेना ने कई बार एलएसी का उल्लंघन भी किया है। चीनी सेना की तैयारियों को देखते हुए ही कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने ओल्डी एयरबेस को गतिशील बनाया है और उसके बाद अब टैंक यूनिट को तैनात किया है। 




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