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 पीटीआई-भाषा


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नयी दिल्ली,  :भाषा: प्रधान न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके पदोन्नयन की सिफारिश कालेजियम को भेजे जाने से पहले उम्मीदवारों के आवेदनों को आकलन के लिए अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों की एक समिति के समक्ष पेश करने के सरकार के कदम को खारिज कर दिया है।

प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने मेमोरंडम ऑफ प्रोसीजर :एमओपी: के संशोधित खाके के अनुच्छेद पर तब एतराज जताया जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कानून मंत्री डीवी सदानंद गौडा उने बुधवार की शाम ठाकुर से उनके निवास पर मुलाकात की। सुषमा एमओपी तैयार करने वाले मंत्रिसमूह की अध्यक्ष हैं।

संसद ने दो दशक से चली आ रही कालेजियम प्रणाली को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम :एनजेएसीए: बनाया था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 16 अक्तूबर को इस कानून को निरस्त कर दिया था।

उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने कालेजियम प्रणाली को ज्यादा पारदर्शी बनाने के तरीकों पर फैसला करते हुए केन्द्र सरकार से कहा था कि वह राज्य सरकारों से सलाह-मश्विरा कर फिर से एमओपी तैयार करे।

एमओपी एक दस्तावेज है जो उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का मार्गदर्शन करता है। अभी दो एमओपी हैं - एक उच्चतम न्यायालय के लिए और दूसरा उच्च न्यायालयों के लिए।
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