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दिवाली कुछ ही दिन दूर है. लोगों का उत्साह अपने चरम पर है. लगभग हर घर रोशनी से नहा रहा है. लाइट्स, झालरों और सजावट से हर गली, हर मोहल्ला जगमगा रहा है. चारों तरफ त्योहार की धूम है. हर तरफ उत्साह और उमंग का अपना ही रंग है.  

 
बचपन से ही हम दिवाली मनाने का सिर्फ यही कारण जानते हैं कि रावण का वध करके 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे. उनके स्वागत में इस दिन नगरवासियों ने पूरे नगर को सजाकर दिए की रोशनी से सजा दिया था. तभी से ही दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. 
 
 
लेकिन हम आपको बताते हैं ऐसे कई और भी कारण, जिनकी वजह से दिवाली मनाई जाती है. यही नहीं सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि जैन और सिक्ख समुदाय के लिए भी यह त्योहार बेहद खास है. और तो और रामायण ही नहीं बल्कि महाभारत में भी दिवाली मनाए जाने की वजहें बताई गईं हैं.
 
 
आइए हम बताएं आपको कि ऐसे और भी कई कारण हैं जिसकी वजह से दिवाली मनाई जाती है-
 
- शास्त्रों के अनुसार दिवाली के दिन लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन दिवाली मनाई जाती है. इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके लक्ष्मी जी को बाली की कैद से छुड़ाया था. दिवाली मनाने के पीछे यह भी एक कारण है.
 
- हिंदू धर्म के महान राजा विक्रमादित्य का राजतिलक भी दिवाली के दिन ही हुआ था. इसलिए भी दिवाली एक ऐतिहासिक त्योहार है.
 
- भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध दिवाली के ही दिन किया था. नरकासुर ने 16,000 महिलाओं को बंदी बना रखा था. भगवान कृष्ण ने उसका वध करके उन महिलाओं को मुक्त कराया था. इसलिए दिवाली के त्योहार को हम कृष्ण के विजय के रूप में मनाते हैं.
 
- कार्तिक अमावस्या के ही दिन पांडव 12 साल के अज्ञातवास के बाद वापस आए थे. पांडवों को मानने वाली प्रजा ने इस दिन दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है. 
 
- सिक्ख समुदाय के लिए भी यह त्योहार खास महत्व रखता है. इसी दिन छठे सिक्ख गुरु हरगोबिंद को 52 अन्य राजाओं के साथ ग्वालियर फोर्ट में कैद से छोड़ा गया था.
 
- दिवाली का दिन जैन समुदाय के लिए भी खास है. इस दिन जैन गुरु महावीर ने निर्वाण की प्राप्ति की थी इसलिए जैन समुदाय भी दिवाली मनाता है.
 
 
 
 
 
सोर्स:इन ख़बर
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