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1. ऐसा कोई दस बातें वाला आर्टिकल न पढ़ें.


2. पहला पॉइंट न भुलाएं. इंटरव्यू में भूलकर भी ना कहें ये 5 बातें टाइप आर्टिकल तब लिखे जाते हैं जब अगले के पास स्टोरी आइडिया न हो. जो खुद का काम सस्ते में निपटाने के लिए ऐसा लिख रहा है. वो आपकी मदद क्या करेगा?


3. दरवाजे के भीतर जैसा मन आए वैसा (इंसानों सरीखे) घुसें. आप इंटरव्यू देने गए हैं. सलमान या अक्षय की फिल्म का इंट्री सीन नहीं चल रहा है. जो अगला आपका इंट्री सीन देखने बैठा हो.


4. हाथ और पैरों को क्रॉस करके न बैठें. ऐसा लिखने वालों से पूछे टेबल पार से सामने वाले को पैर कैसे दिखते होंगे बेई? इंटरव्यू में आई कांटेक्ट, और कंधों की स्थिति बताने वालों को पता होना चाहिए अगला मार्कशीट देखता है. जवाब सुनता है. ये नहीं नापता कि आपका कंधा साढ़े तेरह डिग्री में झुका है या आई कांटेक्ट 1.3 माइक्रो सेकंड को हट गया था. कायदे से, आराम से बैठिए. जो पूछा जाए उसका जवाब वैसे ही दीजिए जैसा एक आम सवाल का जवाब दिया जाता है.

5. मुस्कान और हंसी. आप ज्यादा मुस्कुरा देंगे या हंस देंगे तो कोई आफत न होगी. बला सिर पर न टूट पड़ेगी. जितना हंसते-मुस्कुराते हैं उतने ही रहिए. अब ऐसा तो करेंगे नहीं कि हंसी आए और आप गाल दबाकर बैठे रहें. या उसने हाथी-चींटी वाली बात कह दी तो ही ही ही हंसिए. जैसी सिचुएशन हो हंसिए-बतियाइए. और अगले को इससे दिक्कत हो तो ऐसी (गंदा शब्द) जगह में काम न कीजिए, जहां कोई (गंदा शब्द) आपके हंसने से खौराता हो.


6. अपने एक्शंस में धीमापन लाएं. और ऐसा सुझाव देने वाले को स्लो मोशन में लप्पड़ मार दें. क्यों? क्यों लोग ऐसी बात लिखते हैं? क्यों ऐसा बरगलाते हैं. लिखा रहता है आप अपने बॉडी मूवमेंट स्लो कर लीजिए. इससे आप खुद को ज्यादा आश्वस्त महसूस कर सकते हैं. प्लीज यार! इसके पीछे क्या लॉजिक है? क्विक सिल्वर न बन जाएं? ये तमाम बातें एक पॉइंट भरने को होती हैं.


7. प्रतीक्षालय में साथियों से बातचीत के क्रम में अनावश्यक बहस में न उलझें. हम बैल हैं? इंटरव्यू देने नहीं झगड़ने गए हैं. बे तुमको का लगता है. हम वहां वेटिंग रूम में बैठकर बाकियों को मार-मार भगा देंगे. सबसे झगड़ेंगे? हमको वहां यूएन की शांतिवार्ता करनी है? कश्मीर मुद्दे पर बहसवार्ता करनी है? हम बात ही काहे करेंगे? हाय-हैलो करेंगे. साइड से निकल लेंगे. कोई मुंह बनाईस तो लुक दे देंगे. भटस्प चला लेंगे. किसी से बहस काहे करेंगे.


8. जब तक बैठने को न कहा जाए बैठे नहीं. ये हमको विशुद्ध (गंदा शब्द) लगता है. काहे न बैठें. नौकरी मांगने गए हैं, भीख नहीं. और सुनो. पहली बात. ये जो ऐसी बात लिखते हैं इनने कहीं इंटरव्यू तो दिया होता नहीं. धंसते ही सबसे पहले वो लोग कुर्सी ऑफर करते हैं. आपको क्या लगता है आप इंटरव्यू देने जाएंगे और सामने वाला खड़ा रख कर आपका पेशेंस नापेगा? कुर्सी न देगा? जान लीजिए, इंटरव्यू बोर्ड में सलीके के आदमी होते हैं ब्रह्मराक्षस नहीं.


9. कभी न करें उल्टे सवाल. ये भी दर (गंदा शब्द) है. आप अपनी तैयारी करके जाइए. कंपनी के बारे में पढ़कर जाइए. अपना होमवर्क पूरा कर लीजिए. लेकिन जब बात पूछने की आए तो जो आपको पूछना हो वो पूछ लीजिए. ऐसा कोई फॉर्मेट नहीं होता कि आप ये या वो नहीं पूछ सकते. (गंदी गाली + ई की मात्रा) वाले सवाल छोड़कर, आप जब कहा जाए तो अपनी क्वेरीज रख सकते हैं. पैसा पूछने में भी बुराई नहीं होती. उस मामले में सबसे मुंहफट होना चाहिए.


10. पहला पॉइंट न भूलें. याद रखिए. वहां जो बैठा है वो आपको लेने बैठा है. रिजेक्ट करने नहीं. आपमें भास होगा. टैलेंट होगा तो वो आपको लेगा ही. बाकी आप कितना भी स्लो मोशन में घुस लो. जूता चिकना लो. टाई बांध लो. कमर का एंगल और बालों में इस्त्री-प्रेस कर लो. टैलेंट न नजर आएगा तो न लेना. एक बात और वहां भी बहुत खखोरू लोग बैठते हैं, हो सकता है तुम्हारे घुसते ही तुमसे किलस जाए. फिर इंटरव्यू कितना भी अच्छा जाए न ही लेगा. तो बहुत टेंशन न लो, मजे से इंटरव्यू देने जाओ. एक इंटरव्यू के लिए खुद को न बदल दो.







सोर्स:लल्लनटॉप 
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