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तैमूर लंग इतिहास के सबसे क्रूर योद्धाओं में शुमार किया जाता है। उसका जन्म आधुनिक उज़्बेकिस्तान के समरकंद में 1336 में हुआ था।



फिल्म स्टार करीना कपूर और सैफ अली खान का बेटा “तैमूर अली खान पटौदी” मंगलवार (20 दिसंबर) को जन्म लेते ही विवादों में आ गया। विवाद की वजह बना उसका नाम, तैमूर। 14वीं सदी में मध्य एशियाई तैमूर लंग नाम का मशहूर शासक हुआ था जिसे इतिहास के सबसे क्रूर शासकों में शुमार किया जाता है। तैमूर ने “काफिर” हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए हिंदुस्तान पर भी हमला किया था। उसने भारत में शहर के शहर नष्ट कर दिए और हजारों हिंदुओं का सिर काटकर उनसे मीनार बनवा दी थी। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग सैफ और करीना द्वारा अपने बच्चे का नाम तैमूर रखे जाने से नाराज हैं। आइए हम आपको बताते हैं लंगड़े बादशाह तैमूर की पूरी कहानी और उसने किस तरह भारत में कत्लोगारत मचाने का अपनी आत्मकथा में जिक्र किया है।


तैमूर लंग (लंगड़ा) का जन्म आधुनिक उज़्बेकिस्तान के समरकंद में 1336 में हुआ था। उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। उसे भारत से रूस तक उसके बर्बर युद्धों के लिए याद किया जाता है। तैमूर वंश के संस्थापक तैमूर लंग ने मध्य एशिया और एशिया के बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया था। 1370 तक तैमूर समरकंद का बादशाह बन चुका था। उसके बाद अगले दो दशकों में उसने रूस से ईरान तक सैन्य सफलता हासिल की। 1398 में तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया। तैमूर हिंदुस्तान के मुस्लिम सुल्तान द्वारा हिंदू अवाम के साथ नरमी से पेश आने से नाराज था। तैमूर सिंधू नदी पारकर हिंदुस्तान में दाखिल हुआ। वो भारी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारता था।


17 दिसंबर को दिल्ली के सुल्तान महमूद तुगलक की सेना को उसने पानीपत की लड़ाई में हरा दिया। तैमूर ने अपनी जीवनी ‘तुजुके तैमुरी’ कुरान की इस आयत से शुरू की है, ‘ऐ पैगम्बर काफिरों और विश्वास न लाने वालों से युद्ध करो और उन पर सखती बरतो।’ अपनी जीवनी में भारत पर अपने आक्रमण का कारण बताते हुए लिखता है, हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का मेरा ध्येय काफिर हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक युद्ध करना है, जिससे कि इस्लाम की सेना को भी हिन्दुओं की दौलत और मूल्यवान वस्तुएं मिल जायें।


“तुजुके तैमूरी” के अनुसार कश्मीर की सीमा पर कटोर नामक दुर्ग पर आक्रमण करने के बाद उसने तमाम पुरुषों को कत्ल और स्त्रियों और बच्चों को कैद करने का आदेश दिया। उसने “काफिरों” के सिरों की मीनार बनाने का आदेश दिया। तैमूर ने भटनेर के दुर्ग पर जीत हासिल करने का भी ब्योरा दिया है। तैमूर अपनी जीवनी में लिखता है कि ‘थोड़े ही समय में दुर्ग के तमाम लोग तलवार के घाट उतार दिये गये। घंटे भर में 10,000 लोगों के सिर काटे गये। इस्लाम की तलवार ने काफिरों के रक्त में स्नान किया। उनके सरोसामान, खजाने और अनाज को भी, जो वर्षों से दुर्ग में इकट्‌ठा किया गया था, मेरे सिपाहियों ने लूट लिया। मकानों में आग लगा कर राख कर दिया। इमारतों और दुर्ग को जमींदोज कर दिया गया।



सरसुती नामक नगर पर आक्रमण के बारे में तैमूर ने लिखा है, “सभी काफिर हिन्दू कत्ल कर दिये गये। उनके स्त्री और बच्चे और संपत्ति हमारी हो गई।” तैमूर ने जब जाटों के भारत आकर प्रदेश में प्रवेश किया। उसने अपनी सेना को आदेश दिया कि ‘जो भी मिल जाये, कत्ल कर दिया जाये।’ और फिर सेना के सामने जो भी ग्राम या नगर आया, उसे लूटा गया। पुरुषों को कत्ल कर दिया गया और कुछ लोगों, स्त्रियों और बच्चों को बंदी बना लिया गया।’



दिल्ली के पास लोनी हिन्दू नगर था। किन्तु कुछ मुसलमान भी बंदियों में थे। तैमूर ने आदेश दिया कि मुसलमानों को छोड़कर शेष सभी हिन्दू बंदी इस्लाम की तलवार के घाट उतार दिये जायें। इस समय तक उसके पास हिन्दू बंदियों की संखया एक लाख हो गयी थी। जब यमुना पार कर दिल्ली पर आक्रमण की तैयारी हो रही थी उसके साथ के अमीरों ने उससे कहा कि इन बंदियों को कैम्प में नहीं छोड़ा जा सकता और इन इस्लाम के शत्रुओं को स्वतंत्र कर देना भी युद्ध के नियमों के विरुद्ध होगा।




तैमूर ने अपने आत्मकथा में लिखा है, “इसलिए उन लोगों को सिवाय तलवार का भोजन बनाने के कोई मार्ग नहीं था। मैंने कैम्प में घोषणा करवा दी कि तमाम बंदी कत्ल कर दिये जायें और इस आदेश के पालन में जो भी लापरवाही करे उसे भी कत्ल कर दिया जाये और उसकी सम्पत्ति सूचना देने वाले को दे दी जाये। जब इस्लाम के गाजियों (यानी काफिरों का कत्ल करने वाले) को यह आदेश मिला तो उन्होंने तलवारें सूत लीं और अपने बंदियों को कत्ल कर दिया था। उस दिन एक लाख अपवित्र मूर्ति-पूजक कत्ल कर दिये गये। जब तुगलक बादशाह को हराकर तैमूर ने दिल्ली में प्रवेश किया तो उसे पता लगा कि आस-पास के देहातों से भागकर हिन्दुओं ने बड़ी संख्या में अपने स्त्री-बच्चों तथा मूल्यवान वस्तुओं के साथ दिल्ली में शरण ली हुई हैं।


उसने अपने सिपाहियों को इन हिन्दुओं को उनकी संपत्ति समेत पकड़ लेने के आदेश दिये।
दरअसल, तैमूर लंग दूसरा चंगेज खान बनना चाहता था। वह चंगेज का वंशज होने का दावा करता था, लेकिन असल में वह तुर्क था। तैमूर लंगड़ा था इसलिए उसे तैमूर लंग के नाम से जाना जाता था। वह अपने पिता के बाद सन 1369 ईसवी में समरकंद का शासक बना। इसके बाद ही उसने अपनी विजय और क्रूरता की यात्रा शुरू की। वह बहुत बड़ा सिपहसलार था, लेकिन पूरा वहशी भी था।


मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था। लेकिन मुसलमानों से पाला पड़ने पर वह उनके साथ जरा भी मुलायमित नहीं बरतता था। जहां-जहां तैमूर पहुंचा वहां- वहां उसने तबाही के हालात पैदा किए। तैमूर इतना क्रूर शासक था, जिसे नर-मुंडों के बड़े-बड़े ढेर लगवाने में मजा आता था। तैमूर की मृत्यु आधुनिक कज़ाकिस्तान के ओरतार में 1405 को हुई थी। आपको बता दें कि भारतीय मुगल साम्राज्य का संस्थापक बाबर भी तैमूर का वंशज था।







सोर्स:जनसत्ता

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