बर्फी, मेरी कॉम, फैशन, दिल धड़कने दो वाली प्रियंका चोपड़ा किसी भी हॉलीवुड प्रोडक्शन में लीड रोल पाने वाली पहली इंडियन हैं. टीवी सीरीज क्वांटिको
में उनका लीड रोल है. इससे पहले भारतीयों के रोल स्टीरियोटिपिकल चित्रण
वाले ही होते रहे हैं. उससे पहले उन्होंने दो-चार सिंगल भी अमेरिकी
आर्टिस्टों के साथ गाकर अपने आपको सिंगर के तौर पर प्रचारित किया. अब वे
ड्वेन ‘द रॉक’ जॉनसन के साथ हॉलीवुड फिल्म बेवॉच
में दिखने वाली हैं. उनका विलेन का महत्वपूर्ण रोल है. अमेरिका के
जाने-माने चैट शोज़ में प्रियंका अकसर दिख रही हैं. ऐसे शोज़ में जहां
राष्ट्रपति लोग आते हैं.
तो she has arrived.
बहुत खुशी की बात है. इतना कुछ हासिल कर लिया. जो काम बॉलीवुड के मर्द
सुपरस्टार नहीं कर सके वो प्रियंका ने किया. हॉलीवुड भी मर्द-प्रधान उद्योग
ही है. प्रियंका के लिए ये सफर बिलकुल भी आसान नहीं रहा होगा. लेकिन तमाम
रणनीतियां बनाकर और प्लानिंग करके उन्होंने हासिल कर लिया.
यहां तक के लिए उन्हें ढेरों बधाइयां और आगे के लिए wishes.
लेकिन पिछले कुछ मौकों पर प्रियंका ने बेहद संवेदनशील मसलों पर भारी
अज्ञानता और लापरवाही दिखाई है. पहले उन्होंने गोरा बनाने वाली क्रीम का
प्रचार किया और उसके बाद एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें पछतावा है कि ऐसा
विज्ञापन किया क्योंकि वे तो खुद रंग-भेद का शिकार रही हैं. उन्हें बचपन से
सब काली-काली कहते थे. लेकिन क्रीमों के प्रचार से तमाम कमाइयां करने के
बाद उन्होंने ये खेद जताया. लगे हाथ खुद को मार्टर भी बना लिया और खुद को
फेमिनिस्ट भी कह दिया.
जबकि पूरी जिंदगी उन्होंने ब्यूटी पेजेंट
प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. औरत को बाजार की शर्तों पर एक तय सुंदरता
और तय चाल और तय मादकता हासिल करवाना इन ब्यूटी पेजेंट का लक्ष्य होता है.
ऐसे में वे किस लिहाज से खुद को फेमिनिस्ट कह गईं, ये समझ से परे है. यहां
अच्छे से साबित हो गया कि उन्हें फेमिनिस्ट का एफ भी नहीं पता है.
फिर वे मैक्सिम मैगजीन के कवर पर नजर आईं. दिक्कत ये थी कि इसमें उनकी बगल को फोटोशॉप से गोरा और सपाट किया गया था.
इसकी आलोचना होने लगी तो समझदार जवाब देने और इस फोटोशॉप पर आपत्ति
जताने के बजाय उन्होंने इतने गंभीर मसले का मजाक उड़ा दिया. उन्होंने एक
फोटो शेयर की और चल रही डिबेट पर फिकरा कसा.
उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की कि फोटोशॉप का इस्तेमाल नहीं किया
गया. दोनों फोटो में उनकी बगलें देखकर कोई भी तय कर सकता है. बल्कि उनकी
स्किन का कलर भी कुछ टोन वाइट मैगजीन कवर के लिए किया गया. लेकिन सफलता की
राह में ऊपर जाते हुए प्रियंका को इन मसलों से इरीटेशन होने लगी है. वे
बहसों को सार्थक करने के बजाय बिखेर रही हैं.
इसी कड़ी में सबसे ताजा मसला है उनका एक और मैगजीन कवर. वे ट्रैवल मैगजीन
कोन्डे नास्ट ट्रैवलर के इंडियन एडिशन के कवर पर दिखी हैं. इसमें उनके
टी-शर्ट पर कुछ लिखा है जो बहुत अज्ञान भरा और असंवेदनशील है. यहां
रेफ्यूजी, इमिग्रेंट, आउटसाइडर जैसे शब्दों को काटा गया है और ट्रैवलर को
रखा गया है. ये दिखाने के लिए कि वे ऊपर की तीनों श्रेणियों में नहीं आती
हैं. ट्रैवल मैगजीन है तो ट्रैवल के एंगल से ही दुनिया देखने की कोशिश है
लेकिन क्या इस प्रक्रिया में आप दुनिया भर के रेफ्यूजी लोगों, इमिग्रेंट
लोगों और आउटसाइडर्स को कमतर करेंगे.
प्रियंका चोपड़ा यूनिसेफ की गुडविल एंबेसेडर हैं, लेकिन उसी संयुक्त
राष्ट्र संघ की रिफ्यूजी वाली एजेंसी के आंकड़ों को देख लें तो उन्हें ज्ञात
हो कि ये दुनिया में आग लगी हुई है. लाखों लोग आज इमिग्रेंट और रिफ्यूजी
हैं. घर-बार उनके तबाह हो गए. यूरोप में उनके प्रवेश को लेकर तनाव का माहौल
है. राइट-विंग विचारधारा वाले उन पर हमले कर रहे हैं. खाने को रोटी नहीं
है, सिर छुपाने को छत नहीं है. समंदर के रास्ते दूसरे देशों में शरण लेने
के लिए जाते हुए पानी में डूबकर मर रहे हैं. सीमा द्वारों पर पुलिस के
डंडों से पीटे जा रहे हैं. उनके घरों में युद्ध छिड़े हुए हैं. यूरोप का
रेफ्यूजी क्राइसिस आज विश्व राजनीति के टॉप मुद्दों में से एक है.
रईसों और भारी पॉकेट वाले लोगों को लग्जरी परोसने के लिए चलने वाली
कोन्डे नास्ट के कवर का हिस्सा प्रियंका बनें तो किसी को कोई दिक्कत नहीं
लेकिन एक ग्लोबल सेलेब्रिटी होने के नाते उन्होंने अपनी टी पर इस
असंवेदनशीलता को कैसे कैरी होने दिया ये समझ से परे है.
सेलेब्रिटी लोगों के इसी मूढ़तापूर्ण दोगले रवैये के चलते हमने शाहरुख-सलमान वाले पोस्ट में
भी लिखा था कि सितारों को एक ओर हो जाना चाहिए. या तो वे धन कमाएं और मजे
करें. लेकिन समाज के मुद्दों को लेकर कभी भी ज्ञान न दें और गुडविल
एंबेसेडर तो कभी न बनें. क्योंकि आप दोनों हाथों में मलाई रखना चाहते हैं.
सामाजिक बहसों को कमजोर करके आपको अरबों भी कमाने हैं और फिर कुछेक सजावटी
सोशल कॉज़ से जुड़कर पद्मश्री भी पाना है. ये कैसे?
अगर उन्हें ग्लोबल क्राइसिस को लेकर
अभी भी चेता नहीं आ रहा है तो इन 40 तस्वीरों को देखें, समझ आएगा कि आपकी
असंवेदना क्यों दुखी करने वाली है. अंत में वीडियोज़ के जरिए आप जानेंगे कि
भविष्य में दुनिया के हर मसले, सामाजिक ताने-बाने, राजनीति को बदलने जा रहे
इस संकट की पूरी कहानी क्या है? पहले देखें तस्वीरें:
#1
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisएक डच वॉलंटियर ग्रीस के समुद्री तट पर पहुंची एक माइग्रेंट को ढांढस बंधाता हुआ. #2
Photo: REUTERS / Ognen Teofilovskiग्रीस की सीमा पार कर मेसेडोनिया पहुंची एक घायल बच्ची, रोते हुए. #3
Photo: REUTERS / Antonio Bronicक्रोएशिया के टोवरनिक में रेलवे स्टेशन पहुंची गाड़ी की खिड़की से झुककर खाना लेती एक माइग्रेंट बच्ची. #4
Photo: REUTERS / Giorgos Moutafisटर्की से ऐजीयन समंदर पार करके ग्रीक आइलैंड लेसबोस पहुंचने के बाद एक शरणार्थी, एक बच्चे को, एक लाइफगार्ड वॉलंटियर को पकड़ाते हुए. #5
Photo: REUTERS / Marko Djuricaहंगरी के एक टीवी चैनल की कैमरावुमन पेट्रा लेज़्लो एक शरणार्थी (और
उसके बच्चे को) को टांग अड़ाकर गिराते हुए जो रोज़्की गांव के कलेक्शन पॉइंट
से बचकर निकलने की कोशिश कर रहा था. #6
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीस में एक गांव इडोमेनी के पास ग्रीस व मेसोडोनिया की सीमा के रेल ट्रकों पर बैठा एक ईरानी शरणार्थी जिसने अपने होठ सी लिए हैं. #7
Photo: REUTERS / Srdjan Zivulovicघोड़े पर सवाल एक पुलिसकर्मी माइग्रेंट लोगों के बड़े समूह को स्लोवेनिया के पास डोबोवा ले जाता हुआ. #8
Photo: REUTERS / Laszlo Baloghरेल की पटरियों पर पुलिस वालों से घिरा एक माइग्रेंट परिवार जो स्टेशन से हंगरी के कस्बे बिक्सी में भाग जाना चाहता था. #9
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisटर्की से एक भीड़ भरी नाव के जरिए विशाल समंदर पार करके ग्रीक आइलैंड
लेसबोस पहुंचा एक सीरियाई शरणार्थी ऊपर वाले का शुक्रिया करता हुआ. #10
Photo: REUTERS / Bernadett Szaboरोज़्की के पास सर्बिया की सीमा पर ब्लेड लगी तारबंदी के नीचे से हंगरी में घुसने की कोशिश करता हुआ एक शरणार्थी परिवार. #11
Photo: REUTERS / Alkis Konstantinidisग्रीक आइलैंड लेसबोस के समुद्र तट से 100 मीटर पहले ही नाव पलट गई और
बच्चे के साथ लाइफट्यूब पहने एक सीरियाई शरणार्थी किनारे पर पहुंचने का
संघर्ष करते हुए. #12
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीस-मेसेडोनिया की सीमा पर, इडोमेनी गांव के पास अपने परिवार के साथ एक सीरियाई शरणार्थी, टेंट बंद करते हुए. #13
Photo: REUTERS / Eric Gaillardइटली के विंटमिल और फ्रांस के मेंटो के बीच मेडिटरेनियन समंदर के किनारे
चट्टानों पर सूर्यास्त के समय बैठ दुआ करता हुआ एक माइग्रेंट. #14
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisपश्चिमी ग्रीस के नगर पेट्राज़ में एक मालवाहक टर्मिनल की ट्रैफिक लाइट
पर रुके ट्रक के नीचे छुप कर सीमा में प्रवेश करने की कोशिश करता हुआ एक
अफ्रीकी शरणार्थी. #15
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीस के गांव इडोमेनी के पास तूफान के दौरान मेसेडोनिया के पुलिसकर्मी
से सीमा में प्रवेश करने देने की प्रार्थना करते हुए कुछ माइग्रेंट और
रेफ्यूजी. #16
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisइडोमेनी गांव के पास ग्रीस-मेसेडोनिया सीमा पर ब्लेड लगी तारबंदी के
पीछे मेसेडोनिया में प्रवेश का इंतजार करते हुए हताश सीरियाई रेफ्यूजी. #17
Photo: REUTERS / Marko Djuricaसर्बिया का बॉर्डर पार कर हंगरी पहुंचा एक सीरियाई माइग्रेंट अपने बेटे
के साथ रेल की पटरियों के किनारे चलकर रोज़्की गांव के कलेक्शन पॉइंट की ओर
बढ़ता हुआ. #18
Photo: REUTERS / Antonio Parrinelloदक्षिणी इटली में केटेनिया के बंदरगाह पर पहुंचे व्यापारी जहाज से एक माइग्रेंट के शव को नीचे लाते लोग. #19
Photo: REUTERS / Zohra Bensemraयुद्धग्रस्त सीरिया के देर-अल-जूर से ग्रीक आइलैंड लेसबोस के समुद्र तट पहुंची 6 साल की यास्मीन रोते हुए. #20
Photo: AP / BORIS GRDANOSKIगेवेजलीज़ा के पास मेसेडोनिया में प्रवेश का इंतजार करते माइग्रेंट्स की
भीड़ में अपने बच्चे को थामे, अपने परिवार को ढूंढ़ती एक माइग्रेंट महिला. #21
Photo: REUTERS /Bernadett Szaboरोज़्की के पास सर्बिया के साथ लगी सीमा से हंगरी में घुसने वाले एक
सीरियाई शरणार्थी परिवार को गिरफ्तार करते हुए हंगरी के पुलिसकर्मी. #22
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीक द्वीप कोस के नेशनल स्टेडियम में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान झड़प में सीरियाई शरणार्थी. #23
Photo: REUTERS / Fabrizio Benschस्वास्थ्य व सामाजिक मामलों के कार्यालय के सामने रजिस्ट्रेशन के लिए जमा लोगों को पानी और नाश्ता बांटते टर्की के स्वयंसेवी. #24
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीस-मेसेडोनिया बॉर्डर पर ग्रीक गांव इडोमेनी में लगे बैरियर पर रेफ्यूजी लोगों को पीछे धकेलता पुलिसकर्मी. #25
Photo: REUTERS / Antonio Parrinelloइटली के केटेनिया में बंदरगाह पर ब्रिटिश असॉल्ट शिप एचएमएस बुलवार्क से
उतरे माइग्रेंट्स में से इंतजार करती एक महिला जिसके हाथ पर पहचान नंबर
लिखा गया है. #26
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीक द्वीप लेसबोस के तट पर एक नाव से उतरने के बाद अपने बच्चे को लेकर किनारे की ओर बढ़ने को झूझता एक सीरियाई रेफ्यूजी.
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीस के गांव इडोमेनी के पास बॉर्डर पर मेसोडोनिया से प्रवेश करने का इंतजार करते माइग्रेंट और रेफ्यूजी. #28
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीक द्वीप लेसबोस में संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी UNHCR के
कैंप के बाहर अलाव में अपने जूते सुखाने की कोशिश करता एक अफगानी बच्चा. #29
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisएक भीड़ भरी नाव से लंबा समुद्री सफर कर पहुंचे युवा सीरियाई रेफ्यूजी ग्रीक आइलैंड लेसबोस के तट पर पहुंचने के बाद भावुक होते हुए. #30
Photo: REUTERS / Giorgos Moutafisटर्की से ऐजीयन समंदर पार करके ग्रीक आइलैंड लेसबोस के तट पहुंचते हुए
200 रेफ्यूजी और माइग्रेंट से लदी एक नाव डूब गई. इसी में से एक बच्ची को
रिवाइव करने की कोशिश करते हुए वॉलंटियर डॉक्टर और पैरामेडिक्स. #31
Photo: REUTERS / Giorgos Moutafisग्रीस में इडोमेनी गांव के पास ग्रीस-मेसेडोनिया सीमा के पास बनी रेल की
पटरियों पर करंट लगने से घायल मोरक्को के एक माइग्रेंट को चिकित्सा देते
पैरामेडिक्स. #32
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीक आइलैंड लेसबोस के तट पर अपने दस्तावेज़ सुखाते दो सीरियाई रेफ्यूजी स्टूडेंट. #33
Photo: AP / Giannis Papanikosपूर्वी ग्रीस के एक गांव से दक्षिणी मेसेडोनिया का बॉर्डर पार करने के लिए रेल की पटरियों पर चलती दो सीरियाई बच्चियां. #34
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisग्रीक गांव इडोमेनी के पास सीमा पार करके मेसेडोनिया पहुंचे एक कुर्द
सीरियाई इमिग्रेंट साहीन सर्को अपनी 7 साल की बेटी एरियाना को गोद में लिए
रोते हुए. #35
Photo: REUTERS / Stoyan Nenovग्रीस की सीमा के पास मेसेडोनिया में गेवेजलीज़ा रेलवे स्टेशन पर खिड़की
से गाड़ी में घुस रहे एक माइग्रेंट को रोकने के लिए दौड़ता एक पुलिसकर्मी. #36
Photo: REUTERS / Alkis Konstantinidisग्रीक द्वीप कोस के एक सूने होटल की छत पर सो रहे एक माइग्रेंट के पास गेंद से खेलता हुआ एक पाकिस्तानी माइग्रेंट बच्चा. #37
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisटर्की के ऐजीयन समंदर से ग्रीक आइलैंड लेसबोस की ओर बढ़ रही एक भीड़ भरी नाव में चीख़ती हुई एक सीरियाई बच्ची. #38
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisबरसाती तूफान के बीच ग्रीक गांव इडोमेनी के पास मेसेडोनिया की सीमा की ओर बढ़ रहा एक सीरियाई रेफ्यूजी पिता अपनी बेटी को चूमता हुआ. #39
Photo: REUTERS / Yannis Behrakisमेसेडोनिया में घुसने की कोशिश से पहले ग्रीस-मेसेडोनिया बॉर्डर पर सुस्ताता हुआ माली देश का एक इमिग्रेंट.
Photo: REUTERS / Alkis Konstantinidisग्रीक आइलैंड लेसबोस के तट पर बह कर आया एक माइग्रेंट का शव. Video:एक साल पहले जब हमें इस संकट का अहसास हुआ
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