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लोग सदियों से आत्माओं से संपर्क करने की कोशिश करते आए हैं और इसके लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता रहा है। पाश्चात्य जगत में इन विधियों से आत्माओं से संपर्क बनाने की बात अक्सर लोग करते हैं। आइए हम बताते हैं कौन से तरीके लोग करते हैं इस्तेमाल…

टेबल है आत्माओं को बुलाने का जरिया

इस विधि में एक तिपाए टेबल का इस्तेमाल किया जाता है जो हल्का और गोल होता है। एक पाए के नीचे लकड़ी का एक गुटका रखा जाता है। इसके बाद टेबल को चारों तरफ से घेर कर लोग बैठ जाते हैं। इसके बाद जिस व्यक्ति की आत्मा को बुलाना होता है उनका सभी मिलकर ध्यान करते हैं।
माना जाता है कि जब अपने आप टेबल के पाए खटखटाने लगे तो इसका मतलब है कि आत्मा का आगमन हो चुका है। इसके बाद उनसे प्रश्न किया जाता है और सांकेतिक तौर पर टेबल की खटखट से हर प्रश्न का उत्तर जाना जाता है। इस विधी का बहुत से पैरानार्मल एक्सपर्ट प्रयोग करते हैं।

आत्मा के आते ही बदल जाता है माहौल
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भूतों से बात करने का एक जरिया है प्लेनचेट और ओइजा बोर्ड। यह एक दिल के आकार का दिखने वाला लकड़ी का टुकड़ा होता है। इसमें पीछे की ओर सभी ओर घूमने वाले पहिये लगे होते हैं। इसकी नोक की तरफ एक छेद होता है जिसमें पेंसिल लगा दी जाती है। आत्मा से संपर्क करने से पहले मेज पर एक सादा कागज रखकर उसके ऊपर ओइजा बोर्ड को रखा जाता है। इसके बाद जिस व्यक्ति की आत्मा को बुलाना होता है उसका ध्यान किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जैसे ही आत्मा आ जाती है यंत्र अपने आप चलने लगता है। आमतौर पर इस यंत्र द्वारा अतृप्त आत्माओं को बुलाया जाता है। आत्मा जब आ जाती है तो ओइजा बोर्ड में हरकत होने लगती है। आत्मा से जब प्रश्न किया जाता है तब ओइजा बोर्ड चलने लगता है और उसमें लगी पेंसिल से कागज पर उत्तर लिखा जाने लगता है। इस तरह से ओइजा बोर्ड द्वारा प्रश्नकर्ता आत्माओं से अपने सवालों के जवाब जान लेता है।

गुड़िया में समा जाती है आत्मा
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‘जेलंगकुंग’ यह एक ऐसी विधि है जिसका प्रयोग प्राचीन इंडोनेशिया के लोग आत्माओं से संपर्क करने के लिए करते थे। इस विधि में आत्माओं से संपर्क करने के लिए ओइजा बोर्ड की तरत ही कुछ चीजों का इस्तेमाल किया जाता था। आत्माओं से संपर्क करने की इच्छा रखने वाले तीन से पांच लोग एक कमरे में होते हैं। इनमें दो लोग बांस से बने एक पुतले को पकड़ कर बैठते हैं। ओइजा बोर्ड में पेंसिल जहां बोर्ड के एक छेद में लगा होता है वहीं इस विधि में पेंसिल या चॉक पुतले के नीचले हिस्से में लगा होता है।
आत्माओं को बुलाने से पहले धूप अगरबत्ती जलाई जाती है और कुछ मंत्र पढ़े जाते हैं। कहते हैं मंत्रों के प्रभाव से आस-पास से गुजर रही आत्मा पुतले में चली आती है और पुतले का वजन बढ़ जाता है। इसके बाद सवालों का सिलसिला शुरू होता है जिसका जवाब पुतला लिख कर देता है। इंडोनेशिया के लोगों का मानना है कि इस माध्यम से आत्माओं का संपर्क करना खतरनाक भी होता है क्योंकि अगर पुतले से आत्मा को निकालने में कामयाब नहीं हुए तो नुकसान भी हो सकता है। इसलिए इस क्रिया में व्यक्ति का दक्ष होना जरूरी है।

इंसानी शरीर के अंदर आकर बोलती है रूह
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आत्माओं से संपर्क करने के लिए किसी व्यक्ति को माध्यम बनाकर उसमें आत्मा को बुलाया जाता है और फिर उससे सवाल जवाब किए जाते हैं। कई हॉरर फिल्मों में आपने देखा भी होगा कि तांत्रिक या पांडित आत्मा को बुलाता है और आत्मा किसी व्यक्ति के शरीर में आकर प्रश्नकर्ता के सवालों के जवाब देती है।
इस विधि में आत्मा बोलकर या पेंसिल से लिखकर अपने जवाब देती है। लेकिन कई बार आत्मा शरीर से निकलना नहीं चाहती है ऐसे में माध्यम को कष्ट होता है। इसलिए इस विधि से आत्मा से संपर्क करते समय किसी पारानार्मल एक्सपर्ट का साथ होना जरूरी होता है।

हिप्नोटिज्म से आती है आत्मा


चेतन मन में आत्माओं से संपर्क करना मुश्किल है लेकिन अचेतन मन को आत्माओं से जोड़ा जा सकता है। आत्माओं से संपर्क होने के बाद व्यक्ति उनसे अपने प्रश्न पूछ सकता है। लेकिन कई मामले ऐसे भी होते हैं जब व्यक्ति का आत्माओं से संपर्क नहीं हो पाता है और वह अपनी मनोभावनाओं को इस तरह व्यक्त करने लगता है जैसे वह आत्माओं के संपर्क में है।
लेकिन हिप्नोटिज्म के एक्सपर्ट इन्हें आसानी से समझ लेते हैं क्योंकि उनकी बातों में उनकी अपनी भावनाएं छलकती रहती है। डा. बताते हैं कि जब व्यक्ति आत्माओं के संपर्क में होता है तब उसकी आवाज बदल जाती है जिसे रिकार्ड भी किया जा सकता है। इन्होंने यह भी बताया कि आत्माएं जो बुलाने पर आ जाती हैं वह अपनी मर्जी से खुद ही चली जाती हैं इसलिए हिप्नोटिज्म के द्वारा आत्मओं से संपर्क करने पर यह डर नहीं रहता कि आत्मा आ गई तो लौट कर जाएगी या नहीं। इस तरह आत्मा की आवाज टेप की जाती है

आत्मा की बातें कर ली जाती हैं रिकॉर्ड
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अगर आपने ‘शापित’ फिल्म देखी है तो याद कीजिए वह दृश्य जब राजा की आत्मा को बुलाया जाता है और आत्मा जो बोलती है वह बातें रिकॉर्ड हो जाती है। यह सिर्फ कल्पना की बात नहीं है। आत्मा से संपर्क करने का एक माध्यम यह भी है जिसका यूरोप में काफी इस्तेमाल किया जाता है। जिस मशीन में आत्मा की आवाज रिकार्ड होती है उसे इलेक्ट्रॉनिक वॉयस प्रोजेक्शन यानि ईवीपी कहते हैं।
अब इस तरह से भी सुन सकते हैं प्रेतात्मा की आवाज जकल, ईवीपी को पूरी दुनिया में आत्मा को खोजने और उनसे बात करने का एक मानक ज़रिया माना जाता है। आज इंटरनेट से जुड़े सैकड़ों ईवीपी फोरम हैं जिन पर पढ़े-लिखे और गंभीर किस्म के लोग आत्मा से बात करने आते हैं। उनका कहना है कि मृत आत्माएं उनसे बात करती हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इनके पीछे सिर्फ अंधविश्वास है। तांत्रिक और जादू टोना करने वाले इस तरह की चीजें करते हैं इसलिए इस तरह की चीजों पर वैज्ञानिक दृष्टि से यकीन करना उचित नहीं लगता।





सोर्स:फिरकी.इन 



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